ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। महाराष्ट्र कैबिनेट ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 से 12 प्रतिशत मराठा आरक्षण के बिल के मसौदे को हरी झंडी दिखा दी है। राज्य विधानसभा में विशेष सत्र के दौरान इस बिल को पेश किया गया, जो एकमत से मंजूर हुआ। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस बात पर विशेष जोर दिया था कि मराठाओं को कानून की शर्तों के मुताबिक आरक्षण दिया जाएगा। बता दें कि मराठा कोटा कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल, जालाना जिले के अंतरवाली सारती गांव में लंबे समय से भूख हड़ताल पर रहे हैं। यही वजह है कि सरकार ने ये विशेष सत्र बुलाया ।
सीएम ने बिल पेश करते हुए कहा था कि इसमें महाराष्ट्र के सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण का प्रस्ताव है। मराठा समाज को आरक्षण देने के लिए मैंने शिवाजी महाराज की सौगंध ली थी। उन्होंने कहा कि आरक्षण को लेकर मराठा समाज की भावना तीव्र है। पीएम मोदी का एक मूल मंत्र है ‘सबका साथ सबका विकास’, उसी भावना को लेकर हमारी सरकार भी आगे बढ़ रही है। सीएम शिंदे ने कहा कि किसी भी समाज को भावना को ठेस न पहुंचाते हुए मराठा समाज को आरक्षण देने का फैसला हमारी सरकार ने किया है।
आरक्षण बिल की प्रमुख बातें-
– मराठा समाज की सरकारी नौकरियों और शिक्षा में भागीदारी कम है, इसलिए उनको पर्याप्त भागीदारी देने की जरूरत है।
– इसलिए मराठा समाज को सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा घोषित करते हैं।
– सर्वे की रिपोर्ट से ये पता चलता है कि मराठा समाज सामाजिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है।
– रिपोर्ट के अध्ययन से ये भी पता चलता है कि सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक दृष्टि से मराठा समुदाय की पहचान निम्नतम है
– मराठा समाज की जनसंख्या राज्य की कुल जनसंख्या की 28 फीसदी है।
– कुल 52 फीसदी आरक्षण में कई बड़ी जातियां और वर्ग पहले से शामिल हैं, ऐसे में 28 फीसदी जनसंख्या वाले समाज को अन्य पिछड़ा वर्ग में रखना असमानता होगी। इसलिए इस समाज को अलग से आरक्षण देने की ज़रूरत है।




















