ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में भारतीय कूटनीति को एक और बड़ी सफलता मिली है। कतर की एक अदालत ने भारतीय नौसेना के सभी आठ पूर्व नौसैनिकों को रिहा कर दिया है। इसमें से सात भारत लौट आए हैं। विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी किए बयान में इसकी जानकारी दी गई है। आठों पूर्व नौसैनिक कतर के खिलाफ जासूसी करने के आरोप में मिडिल ईस्ट के इस छोटे से देश की जेल में कैद थे। इन्हें कतर की अदालत ने मौत की सजा भी सुना दी थी लेकिन मोदी सरकार की कुशल विदेश नीति एवं कूटनीति ने रंग दिखाया और हर मुश्िकल आसान होती गई।
– विदेश मंत्रालय ने सभी कानूनी उपायों और कूटनीतिक रास्तों के जरिए करवा लिया रिहा
भारत ने कतर की अदालत के जरिए आठों भारतीय नागरिकों को रिहा किए जाने के फैसले का स्वागत किया है। खाड़ी देश की अदालत की तरफ से जब मौत की सजा का एलान किया गया था, तो भारत ने अपने कूटनीतिक चतुराई पेश करते हुए, इसके खिलाफ अपील की थी। इसका फायदा भी देखने को मिला था, क्योंकि 28 दिसंबर, 2023 को भारत की अपील को ध्यान में रखते हुए आठों नागरिकों को सुनाई गई मौत की सजा पर रोक लगा दी गई थी।
विदेश मंत्रालय ने क्या कहा
विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘भारत सरकार कतर में हिरासत में लिए गए अल-दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है। उन आठ में से सात सुरक्षित भारत लौट आए हैं। मंत्रालय ने आगे कहा, ‘हम इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी सुनिश्चित करवाने के लिए कतर के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं।
परिजनों ने लगाई थी रिहाई की गुहार
आठों भारतीयों की रिहाई के लिए कतर और भारत के बीच राजनयिक वार्ता चल रही थी। इसका नतीजा ये हुआ कि नौसैनिकों की मौत की सजा को बढ़ी हुई जेल की सजा में बदल दिया गया।
जेल में रहने की अवधि और भी ज्यादा छोटी की गई, जब भारतीयों के परिजनों ने विदेश मंत्रालय से उनकी रिहाई के लिए गुहार लगाई। परिजनों की परेशानी को समझते हुए मंत्रालय ने सभी कानूनी उपायों और कूटनीतिक रास्तों के जरिए उन्हें रिहा करवा लिया है।
किस केस में कैद थे पूर्व नौसैनिक?
कतर की जेल में कैद रहने वाले आठों भारतीय पहले नौसैना में काम करते थे। उन पर कथित तौर पर कतर के सबमरीन प्रोग्राम की जासूसी करने का आरोप था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। ये लोग अक्टूबर, 2022 से ही कतर की जेल में बंद थे। कतर की अदालत ने इन्हें जासूसी का दोषी भी पाया, जिसके बाद इन्हें मौत की सजा सुनाई गई। हालांकि, अदालत के फैसले में इन्हें किस चीज का दोषी पाया गया, उसे सार्वजनिक नहीं किया गया। विदेश मंत्रालय ने तब अदालत के फैसले को काफी हैरानी भरा बताया था। मंत्रालय ने कहा था कि हम भारतीयों के खिलाफ लगे आरोपों से उन्हें मुक्त करवाने के लिए सभी कानूनी विकल्पों का सहारा लेंगे। इस केस में बड़ी हलचल तब हुई, जब पिछले साल कतर की अदालत ने भारत सरकार के हस्तक्षेप के बाद भारतीय नागरिकों की मौत की सजा को कम कर दिया। पूर्व नौसैनिकों की मौत की सजा को जेल में बिताए जाने वाले वर्षों के रूप में बदल दिया गया।