ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। 6जी प्रौद्योगिकी के तहत व्यापक कवरेज के भारत के दृष्टिकोण को संयुक्त राष्ट्र निकाय अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) के अध्ययन समूह ने जिनेवा में हुई अपनी बैठक में स्वीकार कर लिया है। इस कदम से अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकी के उपयोग की लागत कम होने की उम्मीद है।
आईटीयू के पास अंतरराष्ट्रीय मोबाइल दूरसंचार मानकों को विकसित करने की जिम्मेदारी है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि मौजूदा बैठक में कुछ सदस्य देशों के प्रतिरोध के प्रयासों के बावजूद दूरसंचार विभाग व्यापक संपर्क सुविधा को सफलतापूर्वक शामिल कराने में सफल रहा। जिनेवा में आईटीयू अध्ययन समूह (एसजी-5) की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया।
आईएमटी 2030 को 6जी के नाम से जाना जाता है। इसे आईटीयू-आर अध्ययन समूह 5जी से जुड़ा कार्यकारी समूह विकसित कर रहा है। भारत के 6जी प्रस्ताव की स्वीकृति ने देश के दृष्टिकोण को वैश्विक स्तर पर ला दिया है और इससे देश को 6जी मानकों के निर्माण में भाग लेने का अवसर मिला है। यह पहली बार है जब भारत ने आईटीयू को प्रभावित करने में इतना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। अधिकारी ने कहा कि यह भारत को 6जी मानकों की परिभाषा को आगे बढ़ाने के लिए असाधारण रूप से अच्छी स्थिति में रखता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से जारी अपने 6जी दृष्टिकोण दस्तावेज में भारत ने प्रस्तावित किया है कि 6जी प्रौद्योगिकी कार्यान्वयन किफायती, टिकाऊ और सर्वव्यापी होनी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ के सदस्य सत्य एन गुप्ता ने कहा कि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के साथ भारत का 6जी के दृष्टिकोण को वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया गया है। उन्होंने कहा कि अंतिम रूप दिए गए प्रस्ताव यह तय करते हैं कि प्रौद्योगिकी किस प्रकार विकसित होगी।
मजबूत 6जी रणनीति विकसित करना जरूरी है
मालूम हो कि पीएम मोदी ने बीते 23 मार्च को भारत का 6जी दृष्टिकोण दस्तावेज जारी किया था। इसमें भारत को 2030 तक 6जी प्रौद्योगिकी के डिजाइन, विकास और तैनाती में अग्रणी योगदानकर्ता बनने की परिकल्पना की गई है।