आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। केंद्र सरकार देश के प्रमुख 60 शहरों में रिंग रोड, बाइपास और एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने की तैयारी कर रही है। इससे लंबी दूरी तय करने वाले ट्रक और भारी व्यावसायिक वाहन उक्त शहर के भीतर जाने के बजाए बाइपास और एलिवेटेड कॉरिडोर से कम समय में अपने गंतव्य तक पहुंच पाएंगे। इससे शहरों में भीड़ कम होने से लोगों को ट्रैफिक जाम से छुटकारा मिलेगा और राष्ट्रीय राजमार्ग पर ट्रैफिक का दबाव भी कम होगा।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के विजन 2047 के मास्टर प्लान में उपरोक्त योजना को दो फेज में लागू करने का जिक्र है। मास्टर प्लान के फेज-1 में 60 शहरों में भीड़ कम करने के लिए रिंग रोड, बाइपास अथवा एलिवेटेड कॉरिडोर बनाए जाने का प्रस्ताव है। इनकी कुल लंबाई 1044 किलोमीटर किलोमीटर होगी। फेज-1 में प्रस्तावित योजना में रिंग रोड, बाइपास, एलिवेटेड कॉरिडोर को 2024-25 में अवार्ड किया जाएगा, जबकि योजना को समाप्त करने का लक्ष्य 2028-29 रखा गया है। इस पर 83 हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा। इसमें भूमि अधिग्रहण की लागत 50 फीसदी राज्यों को अदा करनी होगी। शहर के ट्रैफिक के दबाव के अनुसार रिंग रोड-बाइपास चार लेन अथवा छह लेन के बनाए जाएंगे। इन सड़कों पर सिग्नल नहीं लगाए जाएंगे ताकि सफर तेज गति से पूरा किया जाना संभव हो सके।
मास्टर प्लान के फेज-1 समाप्त होने के पश्चात फेज-2 शुरू होगा। इसमें कुल तीन हजार किलोमीटर लंबे रिंग रोड, बाइपास, एलिवेटेड कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव है। इसमें अधिक ट्रैफिक का सामना करने वाले राज्यों की राजधानियों को शामिल करने का निर्णय लिया गया है।
प्लान के शहरों के नाम
उत्तर प्रदेश: फिरोजबाद, मुरादाबाद, झांसी, आगरा, बरेली, सहारनपुर, वाराणसी हैं। उत्तराखंड में देहरादून और बिहार में पटना में योजना लागू होगी। जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर में इसे लागू किया जाएगा। इसमें गुजरात, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, असम राज्यों के प्रमुख शहरों को भी रखा गया है।
मास्टर प्लान में गैर सूचीबद्ध शहरों के नाम
उत्तर प्रदेश: प्रयागराज, गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ। जम्मू-कश्मीर में जम्मू और दिल्ली में योजना लागू होगी।