ललित दुबे
वाशिंगटन। अमेरिकी सरकार ने 3.99 अरब अमेरिकी डालर की अनुमानित लागत पर भारत को 31 एमक्यू-1बी सशस्त्र ड्रोन की बिक्री को मंजूरी दे दी है। इससे समुद्री मार्गों में मानवरहित निगरानी और टोही गश्त के जरिए वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने के लिए भारत की क्षमता बढ़ेगी। सूत्रों के अनुसार इस सौदे के पीछे भारत सरकार की इच्छा चीन को हर क्षेत्र में मुंहतोड़ जवाब देने की है। इस ड्रोन सौदे की घोषणा जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की ऐतिहासिक राजकीय यात्रा के दौरान की गई थी।
रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (डीएससीए) ने यहां एक बयान में कहा कि विदेश विभाग की मंजूरी मिल चुकी, अब कांग्रेस को इस संभावित बिक्री के बारे में सूचित करते हुए आवश्यक प्रमाणीकरण दे दिया गया है। एजेंसी ने कहा कि इस प्रस्तावित बिक्री से अमेरिका-भारत के रणनीतिक संबंधों को मजबूती मिलेगी और हिंद-प्रशांत तथा दक्षिण एशियाई क्षेत्र में आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा।
नौसेना को मिलेंगे 15 ड्रोन, थलसेना और वायुसेना को आठ-आठ
भारत अपने सशस्त्र बलों की निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए, विशेष रूप से चीन के साथ बढ़ते विवाद के चलते वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लंबे समय तक संचालित होने वाले ड्रोन खरीद रहा है। सौदे के तहत भारत को जो 31 अत्याधुनिक ड्रोन (यूएवी) मिलेंगे उनमें से 15 ‘सी-गार्जियन’ ड्रोन नौसेना को मिलेंगे, जबकि थलसेना और वायुसेना को आठ-आठ ‘स्काई गार्जियन’ ड्रोन मिलेंगे। डीएससीए ने इस बात की सराहना कि भारत ने अपनी सेना के आधुनिकीकरण के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है। भारत को इन सेवाओं को अपने सशस्त्र बलों में शामिल करने में कोई कठिनाई नहीं होगी। रक्षा क्षेत्र की प्रमुख अमेरिकी कंपनी जनरल एटामिक्स सिस्टम (जीए) से ड्रोन की खरीद होगी।