संदीप सक्सेना
नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली में आयोजित 16वें ओपन हाउस में शोधार्थियों ने पर्यावरण, ऊर्जा और सतत विकास से जुड़ी समस्याओं के समाधान पेश किए। इस बार ओपन हाउस में सबसे अधिक चर्चा पराली से भवन निर्माण की सामग्री तैयार करने की तकनीकी को लेकर हुई । पराली से भवन निर्माण सामग्री बनाने की तकनीकी प्रो. वसंत मस्तागर की टीम ने विकसित की है। प्रो. वसंत का कहना है कि इस तकनीकी के जरिए एक एकड़ खेत से निकली पराली से 100 वर्ग फुट आकार वाले घर के लिए ईंट बनाई जा सकती हैं। इस काम के लिए हम कंप्रेसर खेत में ले जाएंगे और वहीं इसका प्रयोग कर ईंट बनाई जा सकती है। पराली के 70 से 80 फीसदी हिस्से से सिलिका ईंट और बाकी हिस्से से कंक्रीट की जगह इस्तेमाल होने वाली सामग्री और ब्लैक लीकर बनाया जा सकता है, जिसका इस्तेमाल सड़क निर्माण हो सकता है।
इस तरह बनती है ईंट
प्रो. वसंत ने बताया कि कंप्रेसर मशीन से 200 से 400 मेगा पास्कल तक दबाया जाता है, जिससे पराली 9 गुणा 3 इंच की ईंट में तब्दील हो जाती है। यह बायोडिग्रेडेबल है, लेकिन यह न तो पानी में घुलेगी और न ही आग से जलेगी। इसमें दीमक भी नहीं लगेगी। इसके लिए इसमें केमिकल मिलाया जाता हैं। इस तकनीकी को ग्लोबल इंडियन यंग साइंटिस्ट रिसर्च एव इनोवेशन कॉन्फ्रेंस 2023 का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार भी मिल चुका है।
लाई-फाई नेटवर्क उपयोग से वीडियो प्रसारण
सामान्य इंटरनेट की जगह लाई-फाई का प्रयोग कर वीडियो प्रसारण का डेमो प्रस्तुत किया गया। इलेक्टि्रकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर अभिषेक दीक्षित की टीम ने ट्रांसमीटर पर मल्टीप्लेक्स किए गए कई उपयोगकर्ताओं के वीडियो सिग्नल को लाई फाई लिंक पर एक एलईडी का उपयोग करके प्रसारित किया। ऐसी जगहों पर जहां इंटरनेट का उपयोग मुश्किल है वहां यह तकनीकी काफी कारगर होगी। लाई-फाई का पूरा नाम लाइट फिडेलिटी है। यह भी वाई-फाई की तरह ही एक वायरलेस नेटवर्किंग सुविधा है, लेकिन यह प्रकाश आधारित है और इसमें एलईडी बल्ब का प्रयोग डाटा आदान-प्रदान में किया जाता है।
सूरज की रोशनी के साथ घूम जाएगा सोलर पैनल
सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रथम वर्ष के छात्र लोहित और उनकी टीम ने एक ऐसा सन ट्रैकिंग सोलर सिस्टम बनाया है जो फोटो सेंटर तकनीकी से घूमेगा। इस तकनीकी के तहत सूरज जिधर जाएगा, यह सोलर पैनल भी उसी तरफ घूम जाएगा। कृषि या अन्य कार्यों के लिए देश में बहुतायत सोलर पैनल लगाए गए हैं। अब उन्हें घुमाने की जरूरत नहीं होगी।
सिविल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के ही छात्रों की एक टीम ने बिना विद्युत की सहायता से चलने वाला मैनुअल ट्रेडमिल बनाया है, जिसे चलाने पर व्यक्ति के दाब और ट्रेलमिल की गति से बिजली बनेगी। छात्र लोहित ने बताया कि यह ट्रेडमिल न केवल व्यायाम के काम आएगा, बल्कि उन इलाकों के लिए विशेष रूप से मददगार होगा, जहां पर बिजली नहीं है। हम इस बिजली को स्टोर भी कर सकते हैं।
दो हजार छात्रों ने हिस्सा लिया
ओपन हाउस में राजधानी के सरकारी और निजी स्कूलों के दो हजार से अधिक छात्रों ने हिस्सा लिया। इन छात्रों ने न केवल ओपन हाउस देखा बल्कि आईआईटी दिल्ली के छात्रों के साथ उनकी लैब में उनके प्रयोग भी देखे। स्कूली छात्रों ने संस्थान के विभिन्न विभागों और केंद्रों में लगभग 80 प्रयोगशालाओं का भी दौरा किया। छात्रों को संबोधित करते हुए आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंगन बनर्जी ने कहा कि ओपन हाउस का उद्देश्य स्कूली छात्रों को यह दिखाना है कि आईआईटी दिल्ली विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्या कर रहा है।
ओपन हाउस 2023 के अध्यक्ष प्रोफेसर सुनील झा ने कहा कि पिछले पंद्रह वर्षों की परंपरा को जारी रखते हुए ओपन हाउस 2023 ने आईआईटी दिल्ली में उपलब्ध पथ-प्रदर्शक अनुसंधान कार्यों, छात्र परियोजनाओं और कई उन्नत सुविधाओं और प्रयोगशालाओं के बारे में जानकारी प्रदान की। शोधकर्ताओं ने अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों पर प्रकाश डालते हुए लगभग 50 कार्यात्मक प्रोटोटाइप और 100 शोध पोस्टर प्रदर्शित किए।