लखनऊ। 2004 के विशेषाधिकार हनन मामले में प्रदेश विधानसभा में 6 दोषी पुलिकर्मियों को सजा सुनाई गई। भाजपा के तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई के साथ पुलिस ने अभद्रता की थी, उसी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव दिया गया था।
विधानसभा में सभी पुलिसकर्मियों को दिन की समाप्ति तक (रात 12 बजे तक) कारावास की सजा सुनाई गई। विशेषाधिकार हनन समिति ने सर्वसम्मति से इन सभी को दोषी करार दिया था। सभी पुलिसकर्मियों ने विधानसभा में ही बनी जेल में रात 12 बजे तक सजा काटी। सजा पूरी होने के बाद सभी को रिहा कर दिया गया। विधानसभा अध्यक्ष ने सर्वसम्मति से सदन को अदालत के रूप में परिवर्तित करते हुए सजा का एलान किया।
उन्होंने कहा कि सदन में सर्वसम्मति से सजा का प्रस्ताव स्वीकार हुआ है। सभी दोषी पुलिसकर्मियों को एक दिन के साधारण कारावास का आदेश दिया जाता है। तारीख बदलने तक इन्हें कारावास में रखा जाए। साथ ही कारावास में भोजन आदि की व्यवस्था की जाए। सजा सुनाए जाने के समय न तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सदन में थे, न समाजवादी पार्टी और रालोद के विधायक।
प्रकरण चिंतनीय है : विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि यह प्रकरण चिंतनीय है। अपने अधिकारों से परे जाकर अफसरों ने काम किया। विधायिका की शक्तियों का प्रयोग इस तरह किया जाना चाहिए, जिससे आने वाली पीढ़ियों को एक संदेश दिया जा सके। इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि न्याय से ऊपर संवेदनशीलता मानी गई है। दोषियों का भी पक्ष सुना जाए।
माफी मांगता हूं : इसके बाद तत्कालीन सीओ अब्दुल समद ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि पूरे सदन और सलिल विश्नोई जी से हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं। भविष्य में कोई त्रुटि नहीं होगी। तत्कालीन एसओ ऋषिकांत शुक्ला ने कहा कि हम आपका सम्मान करते हैं और करते रहेंगे।
यह था मामला
2004 में तत्कालीन भाजपा विधायक सलिल विश्नोई को पुलिस ने पीटा था। 15 सितंबर, 2004 को वह कानपुर में बिजली कटौती के खिलाफ जिलाधिकारी (कानपुर नगर) को ज्ञापन सौंपने जा रहे प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे, तभी पुलिसकर्मियों ने उनके साथ अभद्रता की थी।



















