किसी भी देश का प्रधानमंत्री ऐसा होना चाहिए जो अपने देश का सम्मान बढ़ाए और उसके फैसले विश्व में सराहे जाएं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे ही एक प्रधानमंत्री के रूप में जाने जाएंगे जिन्होंने देश का सम्मान बढ़ाया और वैश्विक स्तर पर उनके द्वारा जो फैसले विश्व की मदद के लिए किए गए, उनकी चारों ओर खूब प्रशंसा हो रही है। इसके एक नहीं अनेक ऐसे उदाहरण हैं जब पीएम मोदी ने खुले दिल से भारत की ओर से मुसीबत में आए विभिन्न देशों की मदद करके वसुधैव कुटुंबकम ्के मानव मात्र के कल्याण के मंत्र को सच्चे अर्थों में साकार किया। उन्होंने मुसीबत के समय में कोरोना काल के दौरान विश्व के अनेक देशों को बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध करायी। श्रीलंका को आर्थिक संकट के दौरान भी पीएम मोदी ने अरबों रुपये की आर्थिक मदद भिजवाई। भारत की नीति यही रही है कि बिना किसी स्वार्थ के सभी की मदद करना और सभी को साथ लेकर चलना। यही मंत्र पीएम मोदी ने भी दिया है, सभी का साथ, सभी का विश्वास और सभी का विकास। यही सच्ची मानवीयता भी है।
यह जानते हुए भी कि तुर्किये ने हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का विरोध और पाकिस्तान का समर्थन किया है, भारत ने मानव रक्षा और मानवीय मूल्यों को सर्वोपरि महत्व देते हुए सबसे पहले तुर्किये की ओर मदद का हाथ बढ़ाया। तुर्किये को 6 टन आपातकालीन राहत सामग्री, दवाएं, मेडिकल टीम को भारत ने दो ग्लोबमास्टर सी-17 विमान के जरिए भेजा। एडीआरएफ के 50 से अधिक कर्मी और प्रशिक्षित स्वान दस्ता, ड्रिल मशीन, राहत सामग्री और अन्य उपकरण भी तुर्किये भेजे गए।
पीएम मोदी की पहल इतनी त्वरित रही कि दुनिया देखती रह गई। सहायता व बचाव के तुर्किये सरकार के प्रबंध जब तक साकार रूप लेते तब तक तो भारत के ‘ऑपरेशन दोस्त’ के फरिश्ते मौके पर राहत व बचाव कार्यों का जिम्मा संभाल चुके थे। स्वयं तुर्किये के राष्ट्रपति ने माना कि भूकंप आने के बाद उनकी सरकार व प्रशासन के शुरुआती इंतजामों में भारी कमियां रहीं। पीएम मोदी की मानवीय पहल से कृतज्ञ होते हुए भारत में तुर्किये के राजदूत को कहना पड़ा, वक्त पर जो काम आए ,वही दोस्त होता है। ये वही तुर्किये है जिसकी जुबान और दिल में पाकिस्तान कहीं गहरे धंसा हुआ है। हर मंच पर उसे पाकिस्तान के अलावा कोई दूसरा मित्र दिखाई नहीं देता। तुर्किये को यह तो कदापि नहीं भूलना चाहिए कि भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति है। अगले तीन से चार वर्ष के दौरान यह तीसरी आर्थिक पायदान पर पहुंचने जा रहा है। मेक इन इंडिया के बूते औद्योगिक, कृषि, विज्ञान, अंतरिक्ष, हथियार उत्पादन, स्टार्टअप, दूरसंचार में तरक्क ी के नए अध्याय रच रहा है। भारत विश्व गुरू रहा, सोने की चिड़िया रहा। इन सबके बावजूद भारत ने कभी भी मर्यादा की सीमा नहीं लांघी, कभी मानव सेवा से पीछे नहीं हटा। हमेशा पूरे विश्व को अपना परिवार माना। तुर्किये अक्सर अमर्यादित आचरण से यह दिखाने की कोशिश करता रहा है कि पाकिस्तान को सहारा देकर वह झुकने नहीं देगा। तुर्किय ेमें भीषण प्राकृतिक त्रासदी के समय पीएम मोदी ने बिना विलंब मदद का हाथ बढ़ा कर जगत को दिखा दिया है कि उनके 56 इंच के सीने के नीचे दिल समंदर जैसा है।
तुर्किये को पीएम मोदी की पहल से सबक लेते हुए अपने आचरण, रवैये और दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करना चाहिए। विचारधारा, नैतिकता, दायित्व व जवाबदेही के स्तर पर उसे सोचना चाहिए कि वह किसका समर्थन करता रहा। वह पाकिस्तान जिसने कभी भी किसी के प्रति विश्वास को कायम नहीं रखा। वो पाकिस्तान जो हर क्षेत्र में सबसे पिछड़ा रहा लेकिन एक मोर्चे पर सबसे आगे रहा। वह मोर्चा है आतंकवाद का जिसमें पाकिस्तान हर दिन रिकॉर्ड बना रहा है। आतंकी गतिविधियों के विश्वव्यापी विस्तार में पाकिस्तान का कितना हाथ है, यह सारी दुनिया जानती है। पाकिस्तान की राजनैतिक अस्थिरता आतंकवाद को ऑक्सीजन देती है। हमारे पड़ौसी देश को अपनी अर्थव्यवस्था की चिंता नहीं, बल्कि यह गंभीर चिंता अवश्य रहती है कि आतंकवाद को और कैसे मजबूत किया जाए, और कैसे विस्तार दिया जाए। तुर्किये को व्यापक संदर्भों में फिर से अपने दृष्टिकोण का भविष्य के परिप्रेक्ष्य में आकलन करना चाहिए। उसे यह भी सोचना चाहिए कि जिस पाकिस्तान का वह समर्थन करता है, पोषण करता है, हर मंच पर पैरवी करता है, वह कहीं उसी तुर्किये के लिए भस्मासुर न बन जाए।
सारी दुनिया जानती है कि कश्मीर के मुद्दे पर तुर्किये ने हमेशा पाकिस्तान का ही साथ दिया है।1965 और 1971 के युद्ध में भी तुर्किये ने पाकिस्तान की सहायता की थी। इसके अलावा वह जब-तब कश्मीर को लेकर बयान देता रहता है। वहीं भारत 1970 से तुर्किये की सहायता करता रहा है। तुर्किये में कुर्दों के साथ युद्ध के समय भी भारत ने सैन्य सहायता भेजी थी। दुनिया के किसी भी देश पर संकट आया तो भारत सीमा, दूरी, दृष्टिकोण, रीति-नीति की सीमाओं से ऊपर उठ कर तत्काल मदद के लिए दौड़ पड़ा। भारत हर तरह से सक्षम है, समर्थ है और सबसे बड़ी बात यह कि उसके पास ऐसा परोपकारी दिल है जो सब की पीड़ा को समझता है, सबकी मदद को तत्पर रहता है। तुर्किये की त्रासदी कई स्तरों पर मदद की मांग कर रही है। आर्थिक तौर पर यह विनाशकारी भूकंप तुर्किये और सीरिया को वर्षों पीछे धकेल देगा। नुकसान की भरपाई और विकास की गाड़ी को पटरी पर लाने में लंबा समय लगेगा। तमाम संदर्भों, पहलुओं, अवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए तुर्किये को अपने वर्तमान और भविष्य के लिए अपने रवैये और दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करते हुए वैश्विक नीति और रणनीति का निर्धारण करना होगा। भारत ने अपना उदार दिल दिखा दिया, अब तुर्किये को अपना विवेक दिखाना चाहिए।