इस वर्ष नौ राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं। अगर इनमें जम्मू-कश्मीर को भी शामिल कर लिया जाए तो 10 राज्यों के चुनाव और 2024 में लोकसभा के चुनाव भी प्रस्तावित हैं।
देश में सिर्फ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ही एक ऐसी राजनीतिक पार्टी कही जा सकती है जो हमेशा खुद को चुनावी मोड में रखती है। प्राय: भारत में किसी न किसी राज्य में विधानसभा चुनाव होते ही रहते हैं। ऐसे में भाजपा ही एक ऐसा राजनीतिक दल नजर आता है जो सांगठनिक स्तर पर चुनाव की दृष्टि से सदैव ‘एवर रेडी’ दिखाई पड़ता है। यही कारण है कि पिछले साल सात राज्यों में चुनाव हुए और इनमें से पांच पर भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई। गुजरात और उत्तर प्रदेश में भाजपा ने जोरदार जीत हासिल की। यह बात दीगर है कि हिमाचल प्रदेश, पंजाब और दिल्ली एमसीडी के परिणामों से भाजपा को निराशा भी हाथ लगी पर उसका प्रदर्शन इन राज्यों, खासकर हिमाचल में सत्ता वापसी से थोड़ा ही दूर रहा। राष्ट्रीय राजनीति की बात की जाए तो दिल्ली में लोकसभा की सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है। ऐसे में भाजपा की स्थिति और दृढ़ करने में पीएम मोदी का रोड शो निश्चित रूप से उल्लेखनीय कारक साबित होगा। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल में भी नई स्फूर्ति का संचार होगा। बहुत दिनों से पीएम मोदी का इस तरह का कोई भी कार्यक्रम दिल्ली में नहीं हुआ था। इस रोड शो के जरिए देश व दिल्ली की जनता को भी संदेश दिया गया है कि वह अभी भी सबके साथ हैं। इस बार दिल्ली एमसीडी के चुनाव में भी पीएम मोदी न कोई रैली अथवा न ही कोई रोड शो किया था।
हाल के दिल्ली रोड शो के जरिए एक बार फिर से लोगों के बीच चर्चा शुरू हो गई है। इस रोड शो पर अलग-अलग तरह के विपक्ष के बयान से भी लोगों में चर्चा का माहौल गरम है। साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं व समर्थकों को भी नए सिरे से जुटने का संदेश इस रोड शो के जरिए भाजपा की ओर से दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के समापन सत्र में कहा कि लोकसभा चुनाव में सिर्फ 400 दिन बचे हैं। ऐसे में पार्टी के सभी सदस्य चुनाव की तैयारी में जुट जाएं। उन्होंने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह संदेश भी दिया कि आप सभी अल्पसंख्यक समुदाय के बोहरा, पसमांदा और सिखों समेत समाज के सभी वर्गों तक जाएं। चुनावी रणनीति के तहत ही पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं से कहा कि भाजपा एक राजनीतिक आंदोलन बन चुकी है। अब यह सामाजिक आंदोलन भी बनेगी। हमें लोगों से हर दिन मिलना है। जैसे एक दिन यूनिवर्सिटी, एक दिन चर्च, एक दिन अन्य जगह जाकर लोगों से मिलें। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में भाजपा नेताओं को नसीहत भी दी। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय के बारे में गलत बयानबाजी न करें। कई नेताओं के बयान अमर्यादित होते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए।
वैसे भाजपा ने राजधानी दिल्ली में संपन्न हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक में जिस तरह का जोश, उत्साह और आत्मविश्वास दिखाया, उसे स्वाभाविक ही कहा जा सकता है। पार्टी की यह बैठक ऐसे समय हुई है, जब 2024 के लोकसभा चुनाव ज्यादा दूर नहीं हैं, बल्कि उससे पहले नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। इनमें से पांच राज्यों में भाजपा या तो अकेली या सहयोगी दलों के साथ सत्ता में है। विधानसभा चुनावों का जो हालिया राउंड हुआ, उसमें कोई दो राय नहीं कि गुजरात में पार्टी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की जिसका रिकॉर्ड किसी भी अन्य राजनीतिक दल के लिए भविष्य में तोड़ पाना आसान नहीं होगा लेकिन हिमाचल प्रदेश में एक फीसदी की जो कसर रह गई, उसने विपक्ष (कांग्रेस) के पस्त हो जाने और भाजपा के अपराजेय होने का वह नैरेटिव नहीं बनने दिया, जिसकी भाजपा समर्थक उम्मीद कर रहे थे। ऐसे में अब और जरूरी हो गया है कि उस कसर की भरपाई पार्टी नेतृत्व कार्यकर्ताओं के जोश और उनके मनोबल को कई गुना बढ़ाकर करे। आश्चर्य नहीं कि पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कार्यकर्ताओं से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि 2023-24 में पार्टी एक भी चुनाव में पराजित नहीं हो। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चुनाव को लेकर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक में यह भी कहा कि हमें सक्रिय रहना है और आत्ममुग्ध नहीं होना है। कोई यह नहीं समझें कि मोदी आएगा और जीत दिला देगा। हमें इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा। प्रधानमंत्री ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि पिछली बार हम अति आत्मविश्वास के कारण हार गए थे। इस बार हमें इससे बचना होगा।
पार्टी संगठन को मजबूती देने का मोर्चा ऐसा है, जिस पर भाजपा ने निरंतर बेहतरीन प्रदर्शन किया है। इस बार भी पार्टी अध्यक्ष नड्डा की यह घोषणा विशेष महत्व रखती है कि भाजपा ने 72,000 कमजोर पाए गए बूथों को मजबूत बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए गए लक्ष्य से आगे बढ़कर 1.30 लाख बूथों तक अपनी पहुंच बनाई। इसी के साथ वर्तमान पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता को जून 2024 तक का विस्तार देने का फैसला भी उचित ही कहा जा सकता है क्योंकि जो चुनावी चुनौतियां पार्टी के सामने हैं, उनको ध्यान में रखते हुए वर्तमान परिदृश्य में निरंतरता बनाए रखने की आवश्यकता पार्टी के समक्ष सबसे अधिक जरूरी है। भले ही विपक्षी दल भाजपा अध्यक्ष का चुनाव न हो पाने की जो भी व्याख्या करें।