पीएम मोदी के 2014 में सत्ता में आने के बाद से उनके अब तक के दो कार्यकालों में भारत ने अभूतपूर्व ढंग से राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और आर्थिक स्तर पर सफलता हासिल की है। आज भारत ब्रिटेन को पछाड़ कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आत्मनिर्भर भारत के संकल्प में उन प्रश्नों के उत्तर मिलने की आस नजर आती है जो पिछले कई दशकों से अनछुए पड़े हैं अथवा उन पर पिछली सरकारों ने उतनी तवज्जो नहीं दी जितनी दी जानी चाहिए थी। यद्यपि महात्मा गांधी ने अपने सामाजिक, आर्थिक दृष्टिकोण में भावी भारत के आर्थिक मॉडल पर चिंतन अवश्य किया किंतु भारत के संदर्भ में इसे दुर्योग कहा जा सकता है कि वे आजादी के बाद अधिक समय तक जीवित नहीं रहे। भारतीय जनसंघ के नेता दीनदयाल उपाध्याय ने भी इन प्रश्नों पर समाधानपरक नजर डाली पर इसके बाद भी आजादी के बाद के सात दशकों में भारत के आर्थिक मॉडल पर कोई मौलिक दृष्टि व्यवहार में नहीं आ पाई। वर्ष 1947 में देश को आजादी हासिल हो गई थी किंतु आर्थिक आजादी से जुड़े कई प्रश्न अनुत्तरित रह गए थे। यद्यपि पिछले दशकों में देश को समृद्धि की ओर ले जाने के प्रयास अवश्य किए गए और तमाम योजनाएं भी बनीं पर कुल मिला कर देश को आर्थिक शक्ति के रूप में पहचान नहीं मिल पाई।
इसके विपरीत पीएम मोदी के 2014 में सत्ता में आने के बाद से उनके अब तक के दो कार्यकालों में भारत ने अभूतपूर्व ढंग से राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और आर्थिक स्तर पर सफलता हासिल की है। आज भारत ब्रिटेन को पछाड़ कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। कोविड काल में जब तमाम पश्चिमी एवं यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था और सामाजिक ढांचा चरमरा गया, ऐसे में भारत की आर्थिक व सामाजिक स्थिरता को वैश्विक सराहना मिली। यही नहीं, भारत अपनी विकास दर को भी कायम रखने में सफल रहा और आज उसकी विकास दर अमेरिका और चीन से भी बेहतर हालत में है।
इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड (आईएमएफ) की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टलीना जॉर्जीवा का भी कहना है कि भारत वर्ल्ड इकोनॉमी में एक ‘ब्राइट स्पॉट’ है और 2023 की ग्लोबल ग्रोथ में अकेले 15 प्रतिशत का योगदान देगा। जॉर्जीवा ने कहा कि डिजिटाइजेशन ने दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को महामारी से बाहर निकाला। जॉर्जीवा के अनुसार भारत का प्रदर्शन काफी प्रभावशाली रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि मार्च में समाप्त होने वाले वित्त वर्ष में भारत 6.8 प्रतिशत ग्रोथ रेट बनाए रखेगा। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए हम 6.1 फीसदी का अनुमान लगा रहे हैं, जो वैश्विक औसत से काफी ऊपर है। यह प्रमुख इकोनॉमीज में सबसे तेज विकास दर है। जॉर्जीवा का यह भी मत है कि भारत ऐसे समय में एक ‘ब्राइट स्पॉट’ बना हुआ है जब आईएमएफ ने 2023 में ग्लोबल ग्रोथ को पिछले साल के 3.4 फीसदी से घटाकर 2.9 फीसदी कर दिया है। जॉर्जीवा मानती हैं कि पीएम मोदी की सरकार ने कोविड महामारी के प्रभाव पर काबू पाने और विकास और नौकरियों के अवसर पैदा करने के लिए डिजिटलाइजेशन पर बेहतरीन काम किया। पीएम मोदी ने भारत की फिस्कल पॉलिसी को देश की आर्थिक स्थितियों के प्रति रिस्पॉन्सिव रखा और मोदी की सरकार के नए बजट से भी अच्छे सिग्नल मिलते हैं। पीएम मोदी ने देश के विकास को जारी रखने के लिए अनेक योजनाएं भी प्रारंभ कीं। इसमें डिजिटल क्रांति ने भी अहम भूमिका निभाई है।
‘वोकल फॉर लोकल’ के अभियान ने तो देश की जनता को आर्थिक रूप से आगे बढ़ने के लिए एक नया रास्ता ही दिखा दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 98वें एपिसोड के जरिए एक बार फिर देश को यह संदेश दिया और स्मरण कराया कि यदि भारत को आत्मनिर्भर बनाना है तो ‘वोकल फॉर ग्लोबल’ के मंत्र को अपनाना ही होगा। ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान के मूल में यही विचार है कि यदि देश के स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा तो छोटे-छोटे उद्यमियों का विकास होगा और धीरे-धीरे उनके उत्पाद वैश्विक बनते जाएंगे तथा ‘लोकल फॉर ग्लोबल’ के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा। वस्तुतः स्थानीय उत्पादों का विकास और प्रसार ही आत्मनिर्भरता के द्वार की मुख्य कुंजी है।
पिछले वर्ष कोरोना संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की थी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री द्वारा लोकल के लिए वोकल का नारा भी दिया गया था। इस नारे का अर्थ है कि न केवल देश में बने उत्पादों को उपयोग में लाया जाए बल्कि अपने स्तर पर उनका प्रचार-प्रसार भी किया जाए जिससे अधिकाधिक लोगों में स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को लेकर जागरूकता आए।
गौर करें तो ‘वोकल फॉर लोकल’ को जमीनी स्तर पर बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा लगतार प्रयास किए जा रहे हैं। इनमें सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम बेहद महत्वपूर्ण हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार संसद में पांचवां बजट पेश किया था। यह बजट मोदी सरकार 2.0 का आखिरी बजट था जिसमें सरकार ने पूर्ण रूप से एमएसएमई, किसान और कारोबारियों का विशेष रूप से ध्यान रखा गया। 5 प्रतिशत से कम नकदी वाले एमएसएमई को इस बजट में राहत दी गई है। यही नहीं एमएसएमई के लिए नई क्रेडिट गांरटी स्कीम भी लागू होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार एमएसएमई के लिए 9,000 करोड़ रुपये के साथ एक संशोधित ऋण गारंटी योजना एक अप्रैल से शुरू की जाएगी। इस स्कीम से एमएसएमई को 2 करोड़ रूपये का एडिशनल कोलेट्रल फ्री कर्ज लेने में मदद मिलेगी। इस प्रकार मोदी सरकार ‘वोकल फॉर लोकल’ के अभियान को और दृढ़ता प्रदान कर रही है। एमएसएमई के लिए कर-प्रणाली को भी लचीला और सरल किया गया है, जिससे छोटे-छोटे उद्यमियों को कारोबार में समस्या न आए। साथ ही आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत भी अनेक सुविधाएं दी जा रही हैं।
दरअसल एमएसएमई के अंतर्गत संचालित छोटे-छोटे उद्योगों के माध्यम से ‘लोकल फॉर वोकल’ को बहुत बल दिया जा सकता है। इस क्षेत्र को मजबूती देने के पीछे सरकार की यही मंशा है। इसके अलावा एक जिला, एक उत्पाद योजना, हुनर हाट योजना से लेकर राष्ट्रीय खिलौना मेला जैसे आयोजन भी इस अभियान को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।