दीप्सी द्विवेदी
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने वैवाहिक विवाद और जमानत के मामलों से जुड़ी स्थानांतरण याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 1 दिसंबर को न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी वाली पूरी तरह महिला जजों की एक पीठ गठित कर दी। दो जजों वाली यह पीठ अभी अदालत संख्या 11 में बैठ रही है।
पीठ के समक्ष 32 मामले सूचीबद्ध किए गए जिनमें से वैवाहिक विवाद और जमानत वाली 10-10 स्थानांतरण याचिकाएं भी शमिल हैं। गौरतलब है कि स्थानांतरण याचिका ऐसी याचिका होती है जिनमें किसी मामले को राज्य एजंेसियों से केंद्रीय एजेंसी या किसी हाईकोर्ट ने दूसरे हाईकोर्ट या हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित किए जाने का अनुरोध किया जाता है। पूरी तरह से महिला पीठ का गठन पहली बार 2013 में किया गया था जब न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा और न्यायमूर्ति रंजना प्रसाद देसाई की पीठ बनी थी। हालांकि यह पीठासीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति आफताब आलम की अनुपस्थिति के कारण एक ‘आकस्मिक‘ व्यवस्था थी। इसके बाद 2018 में न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ का गठन किया गया। सुप्रीम कोर्ट में इस समय 27 जज हैं जिनमें केवल तीन ही महिला जज हैं। यह भी विचित्र संयोग है कि न्यायमूर्ति हिमा कोहली, न्यायमूर्ति बीवी नागरत्न और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी ने 31 अगस्त, 2021 को एक ही दिन शपथ ली थी।
कॉलेजियम की सिफारिशों को लेकर तकरार : इस बीच, कॉलेजियम की सिफारिशों के अनुसार जजों की नियुक्तियां नहीं करने को लेकर शीर्ष कोर्ट व सरकार के बीच तकरार जारी है। नियुक्तियों की फाइलें रोके जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी प्रकट की है।
2027 में देश की पहली महिला सीजेआई बनेंगी नागरत्न
जस्टिस बीवी नागरत्न 2027 में देश की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश बनने वाली हैं। सर्वोच्च अदालत में वर्तमान में सीजेआई समेत 27 न्यायाधीश कार्यरत हैं, जबकि स्वीकृत पदों की संख्या 34 है।