ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। अब हादसों से बचाने में रेल यात्रियों का बॉडीगार्ड बनेगा ‘कवच’। रेलवे बोर्ड ने देश के सर्वाधिक व्यस्त और सर्वाधिक इस्तेमाल होने वाले रेलमार्गों को दुर्घटना मुक्त बनाने के लिए 34,000 किलोमीटर रेल रूट पर ‘कवच’ तकनीक लगाने की मंजूरी दे दी है। इस पर डेढ़ लाख करोड़ से अधिक धन खर्च होने का अनुमान है। दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-मुंबई मार्ग पर ‘कवच’ तकनीक लगाने का कार्य मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य तय गया गया है।
राधामोहन सिंह की अध्यक्षता वाली रेलवे संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने संसद के शीतकालीन सत्र में पेश रिपोर्ट में यह जानकारी दी। समिति ने इस बात पर खुशी जताई कि ट्रेन हादसों को रोकने के लिए भारत ने स्वदेशी तकनीक ‘कवच’ विकसित की है।
लगेगा ऑटोमैटिक ब्रेक : समिति को बताया गया कि दक्षिण मध्य रेलवे के बीदर-परली-मनमाड-सिकंदराबाद-गुंतकल सेक्शन (1200 किलोमीटर) पर ‘कवच’ लगाया जा रहा है। ‘कवच’ की विशेषता यह है कि इस तकनीक से ट्रेनों की आमने-सामने अथवा पीछे से टक्क र नहीं होती है। ऐसी स्थिति बनती है तो ‘कवच’ ट्रेन को ऑटोमैटिक ब्रेक लगा देता है।
समिति का सुझाव : समिति ने देश के सभी रेलवे नेटवर्क पर ‘कवच’ तकनीक लगाने का सुझाव दिया है, जिससे हादसों को न्यूनतम किया जा सके। इसके जवाब में रेलवे बोर्ड ने कहा कि दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-कोलकाता रेलमार्ग पर यह तकनीक लगाने का काम तेजी से चल रहा है।
2022-23 के लिए 272.30 करोड़ बजट का प्रावधान किया गया है। जबकि पिछले साल 2021-22 में ‘कवच’ के लिए 133 करोड़ रुपये जारी किए गए थे।
कई तकनीकों का समावेश
रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ‘कवच’ में कई प्रकार की तकनीकी का समावेश किया गया है। इसमें एलटीई बेस्ड मोबाइल ट्रेन रेडियो कम्यूनिकेशन (एमटीआरसी) सिस्टम लगेगा। सुदूर छोटे दो स्टेशनों के बीच (सेक्शन)पर ट्रेन का पता लगाने के लिए डायग्नोस्टिक एंड प्रीटेक्टिव सिस्टम, एडवांस मेनटेनेंस सिस्टम लगेगा जबकि प्रमुख रूप से ट्रेन प्रोटेक्शन एडं वॉर्निग सिस्टम (टीपीडब्लूएस) काम करेगा। इसमें ट्रेन इंजन के कैब में लगी स्क्रीन पर सभी सिग्नल नजर आएंगे। पायलट अपनी स्क्रीन पर आगे चल रही ट्रेन की रफ्तार जान सकेंगे। घने कोहरे, बारिश और खराब मौसम में ट्रेन की रफ्तार बनी रहेगी।