ब्लिट्ज ब्यूरो
– गुयाना के राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद इरफान अली होंगे मुख्य अतिथि
– इस बार का विषय है ‘अमृत काल में भारत की प्रगति के लिए विश्वसनीय भागीदार’
– युवा प्रवासी भारतीय सम्मेलन का भी होगा आयोजन
इंदौर। 17वां प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन आठ से 10 जनवरी को मध्य प्रदेश के इंदौर में आयोजित किया जाएगा। आठ जनवरी को युवा प्रवासी भारतीय सम्मेलन का शुभारंभ होगा तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नौ जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे।
इस कार्यक्रम में प्रवासी भारतीयों को विदेशों में उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा 10 जनवरी को सम्मानित किया जाएगा। गुयाना के राष्ट्रपति डॉक्टर मोहम्मद इरफान अली सम्मेलन में मुख्य अतिथि होंगे तथा ऑस्ट्रेलिया की संसद सदस्य जनेटा मैस्करेनहास युवा प्रवासी भारतीय दिवस में मुख्य अतिथि होंगी।
प्रवासी भारतीय दिवस का इस बार का विषय चुना गया है- अमृत काल में भारत की प्रगति के लिए विश्वसनीय भागीदार।
युवा प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय के साथ साझेदारी में किया जाएगा।
इस बार प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार के लिए 27 लोगों को चुना गया है। इसमें भूटान के शिक्षाविद, ब्रुनेई के एक डॉक्टर से लेकर इथियोपिया, इस्राइल व पोलैंड के नागरिक समाज के कार्यकर्ता तक शामिल हैं।
सम्मानित किए जाने वाले नामों को समिति के उपाध्यक्ष व विदेश मंत्री एस जयशंकर की अध्यक्षता वाले पैनल द्वारा चुना गया है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि समिति ने सर्वसम्मति से पुरस्कार विजेताओं का चयन किया।
- विज्ञान प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया के जगदीश चेन्नुपति
- शिक्षा में भूटान के संजीव मेहता
- कला संस्कृति और शिक्षा में ब्राजील के दिलीप लुंडो, अलेक्जेंडर मालियाकेल
- चिकित्सा में ब्रुनेई के जॉन
- सामुदायिक कल्याण में कनाडा के वैकुंठम अय्यर लक्ष्मणन
- कला और संस्कृति में क्रोएशिया के जोगिंदर सिंह निज्जर
- आईटी में डेनमार्क के रामजी प्रसाद
- सामुदायिक कल्याण में इथोपिया के कन्नन अंबालम
इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में अलग पहचान बना कर भारत का नाम रोशन करने वाले ये प्रवासी भारतीय भी होंगे सम्मानित-
जर्मनी के अमल कुमार मुखोपाध्याय, गुयाना के मोहम्मद इरफान अली, इस्राइल की रीना विनोद पुष्करणा, जापान की मकसूदा सरफी शिओतानी, मेक्सिको के राजगोपाल व अमित। कैलाश चंद्र लाठ, परमानंद सुखुमल दासवानी, पीयूष गुप्ता, मोहनलाल हीरा और संजयकुमार शिवभाई पटेल भी सम्मानित होने वालों की सूची में शामिल हैं।
देश के विकास में भारतवंशियों के योगदान को रेखांकित करने के लिए प्रवासी भारतीय दिवस प्रत्येक वर्ष 9 जनवरी को मनाया जाता है। इसी दिन 1915 में महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश लौटे थे।
प्रवासी भारतीयों का वर्गीकरण
निवासी भारतीय
‘अनिवासी भारतीय’ (नॉन रेजिडेंट इंडियन-एनआरआई) का अर्थ ऐसे नागरिकों से है जो भारत के बाहर रहते हैं और भारत के नागरिक हैं या जो नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7(ए) के दायरे में ‘विदेशी भारतीय नागरिक’ कार्डधारक हैं। आयकर अधिनियम के अनुसार, कोई भी भारतीय नागरिक जो भारत के निवासी” के रूप में मानदंडों को पूरा नहीं करता है, वह भारत का निवासी नहीं है और उसे आयकर देने के लिए अनिवासी भारतीय माना जाता है।
भारतीय मूल का व्यक्ति
भारतीय मूल के व्यक्ति (पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजन –पीआईओ) का मतलब एक विदेशी नागरिक (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, चीन, भूटान, श्रीलंका और नेपाल को छोड़कर) से है, जो:
1. किसी भी समय भारतीय पासपोर्ट धारक हो या
2. वह या उसके माता-पिता/पितामह, दोनों ही भारत में जन्में हों या भारत शासन अधिनियम, 1935 के प्रभावी होने से पूर्व से भारत के स्थायी नागरिक हों या इस अवधि के बाद किसी क्षेत्र के भारत का अभिन्न अंग बनने से पूर्व वहां के निवासी हों।
ओवरसीज़ सिटीज़न ऑफ इंडिया
प्रवासी भारतीयों की मांग को ध्यान में रखते हुए एक छद्म नागरिकता योजना बनाई गई जिसे ‘विदेशी भारतीय नागरिकता’ आमतौर पर ओसीआई कार्डधारक के रूप में जाना जाता है। प्रवासी भारतीयों को अनिवासी भारतीयों के समान सभी अधिकार (कृषि एवं बागान अधिग्रहण का अधिकार) दिए गए हैं।
क्या है ‘डायस्पोरा’?
‘डायस्पोरा’ का मूल ग्रीक भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है बीज बिखेरना। ‘डायस्पोरा’ शब्द जनसंख्या और प्रवास के संबंध में उन लोगों के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है, जो व्यापार, रोजगार या अन्य किसी कारण से अपने जन्म स्थान को छोड़कर विश्व की किसी दूसरी जगह पर बस जाते हैं। ‘भारतीय डायस्पोरा’ शब्द उन लोगों के संदर्भ में प्रयुक्त किया जाता है जिन्होंने भारत से विश्व के अन्य देशों में उत्प्रवास किया है। भारतीय डायस्पोरा में एनआरआई यानी अनिवासी भारतीय और पीआईओ यानी भारतीय मूल के व्यक्ति आते हैं। भारतीय डायस्पोरा के एक आकलन के अनुसार 30 मिलियन से अधिक लोग भारत से बाहर जाकर बसे हैं। बीते 20 वर्षों में लगभग 18 मिलियन लोगों ने भारत से बाहर उत्प्रवास किया है और यह संख्या अन्य किसी देश में के मुकाबले सबसे अधिक है।