दीपक द्विवेदी
नई दिल्ली। गुजरात के एक गांव में जन्मे मोरारीदास प्रभुदास हरियाणी यानी मोरारी बापू आज देश ही नहीं दुनिया में रामचरित मानस की कथा करने वाले एक महान कथावाचक के रूप में विख्यात हैं। वे दुनिया में अपने देश और संस्कृति का प्रचार और प्रसार अपनी कथा के माध्यम से कर रहे हैं। इनके अच्छे कर्मों को भारत ही नहीं वरन पूरी दुनिया अभिनन्दन करती है। इन्होंने लोगों के बीच भगवान राम के जीवन को दर्शाने का काम किया है। राम कथा का सार ही है जनकल्याण।
मोरारी बापूू भ्ाी यही कहते हैं कि वे समाज के उपेक्षित, शोषित और हाशिए पर खड़े लोगों का उत्थान और विकास चाहते हैं ताकि सशक्त और नए आत्मनिर्भर भारत का निर्माण हो सके। उनका राम कथा कहने का मकसद भी यही है। बापू एक महान कथावाचक, हिंदू आध्यात्मिक नेता और उपदेशक के रूप में भी जाने जाते हैं। वे चाहते हैं कि समाज समृद्ध हो और भारत का निरंतर विकास हो और बापू की इस उद्देश्यपूर्ण अनंत यात्रा को प्राण प्रण से पूरा करने में जुटे हुए हैं उनके शिष्य मदन पालीवाल जो मिराज समूह के अध्यक्ष भी हैं। मदन पालीवाल ने ही राजस्थान में राजसमंद जिले के नाथद्वारा कस्बे में 369 फुट ऊंची शिव प्रतिमा ‘विश्वास स्वरूपम’ का निर्माण करवाया है। पालीवाल तद पदम संस्थान के ट्रस्टी भी हैं। मोरारी बापू ने देश और समाज के लिए अच्छे काम किए हैं और कर भी रहे हैं। इनके अच्छे कार्यों के लिए देश के बड़े-बड़े नेता यहां तक की भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक इनकी प्रशंसा कर चुके हैं। एक साक्षात्कार में मोरारी बापू ने कहा था कि राम कथा को समाज के उपेक्षित, शोषित और हाशिए पर खड़े लोगों के लिए सुलभ बनाना उनका मकसद है, जैसा की राम ने खुद निषादराज और शबरी के साथ किया था। वही उनकी प्रेरणा स्रोत भी हैं। वर्ष 2016 में, मोरारी बापू ने मुंबई में ट्रांसजेंडर्स के लिए राम कथा का आयोजन किया था। इस बात पर इनको भारतीय एलजीबीटी कार्यकर्ता, लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा था “दुनिया में किसी भी आध्यात्मिक या धार्मिक नेता ने ऐसा नहीं किया, मैं इनका आभारी हूं। मोरारी बापू अध्यात्म के महानायक भी कहे जाते हैं।
एक बार अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया में राम-कथा के दौरान उन्होंने भक्तों से उत्तराखंड में आई आपदा से पीड़ित लोगों के लिए 1 करोड़ रुपए का दान देने के लिए कहा था, शाम होते ही लोगों ने 3.41 करोड़ की व्यवस्था कर दी थी। यहीं नहीं बापू के सचिव दिलावर खान, एक मुसलमान हैं। महुवा में हर वर्ष मुस्लिम समुदाय एक प्रसिद्ध कार्यक्रम ‘याद-ए-हुसैन’ आयोजित करता है, जिसमें बापू मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हैं। इन्होंने 2016 में अबुधाबी में कथावाचन किया जहां सुल्तान मोहम्मद-बिन-जयद-अल-नहयान ने मोरारी बापू का भव्य स्वागत किया था। मोरारी बापू जरूरतमंद छात्रों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करवाते हैं और वे सर्वधर्म समभाव के प्रतीक के रूप में भी जाने जाते हैं।
विकसित भारत
-विश्व में सबसे बड़े विश्वास स्वरूपम, 20 किमी दूर से दिखेंगे
-अपने कंठ और स्वर को मैंने रामकथा के लिए पेटेंट करवाया है, यदि मैं रामकथा नहीं कर सका तो यह किस काम का। – मोरारी बापू
विनोद शील
नई दिल्ली। राजस्थान में राजसमंद जिले के नाथद्वारा कस्बे में निर्मित 369 फीट ऊंची शिव प्रतिमा ‘विश्वास स्वरूपम’ का 29 अक्टूबर की शाम को लोकार्पण हुआ। प्रतिमा का निर्माण तद पदम संस्थान द्वारा किया गया है। संस्थान के ट्रस्टी और मिराज समूह के अध्यक्ष मदन पालीवाल ने कहा कि प्रतिमा के उद्घाटन के बाद नौ दिनों तक धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। इस दौरान मोरारी बापू राम कथा का पाठ भी करेंगे। गणेश टेकरी पर भगवान शिव की प्रतिमा बनाने के पीछे की रोचक कहानी है। प्रतिमा के निर्माता मदन पालीवाल बताते हैं कि ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीनाथजी से मिलने शिवजी नाथद्वारा आए थे और उन्होंने अरावली पर्वत की इस पर्वतमाला पर उनका इंतजार किया, जिसे गणेश टेकरी कहा जाता है। इसलिए शिवजी की प्रतिमा का निर्माण गणेश टेकरी पर कराया जाना तय किया गया। पूर्व मेंं शिव प्रतिमा की ऊंचाई 251 फीट रखा जाना था लेकिन बाद मेंं इसे 369 फीट तक ऊंचा बनाया गया। दुनिया की इस सबसे ऊंची शिव प्रतिमा के निर्माण में 50 हजार से ज्यादा लोग और 10 साल का समय लगा है।
कार्यक्रम के प्रवक्ता जयप्रकाश माली ने कहा कि नाथद्वारा की गणेश टेकरी पर 51 बीघा की पहाड़ी पर बनी इस प्रतिमा में भगवान शिव ध्यान एवं अल्हड़ की मुद्रा में हैं। माली ने दावा किया है कि विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा की अपनी एक अलग ही विशेषता है। 369 फुट ऊंची यह प्रतिमा विश्व की अकेली ऐसी प्रतिमा होगी, जिसमें लिफ्ट, सीढ़ियां, श्रद्धालुओं के लिए हॉल बनाया गया है। हॉल में 10 हजार लोग एक साथ बैठ सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिमा के अंदर सबसे ऊपरी हिस्से में जाने के लिए चार लिफ्ट और तीन सीढ़ियां बनी हैं। प्रतिमा के निर्माण में 10 वर्षों का समय और 3000 टन स्टील और लोहा, 2.5 लाख क्यूबिक टन कंक्रीट और रेत का इस्तेमाल हुआ है। इस परियोजना की नींव अगस्त 2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मोरारी बापू की उपस्थिति में रखी गई थी। यह स्थान उदयपुर शहर से लगभग 45 किलोमीटर दूर है। रात के समय भी शिव प्रतिमा साफ दिखाई दे, इसके लिए खास लाइट्स से इसे सजाया गया है। आयोजकों के मुताबिक हर रोज एक लाख लोग प्रसाद ग्रहण करेंगे। सर्विस काउंटर तक सामग्री पहुंचाने के लिए यहां ओवरहेड कनवेयर तकनीक का सहारा लिया जा रहा है जो अपने आप में अद्भुत है।
प्रतिमा का निर्माण 250 साल की स्थिरता को ध्यान में रखते हए कराया गया है। 250 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवा से भी इस प्रतिमा को किसी तरह की क्षति नहीं पहुंचेगी। इस प्रतिमा की डिजाइन का विंड टनल टेस्ट (ऊंचाई पर हवा) आस्ट्रेलिया में हुआ है। बरसात और धूप से बचाने के लिए इस पर जिंक की कोटिंग के बाद कॉपर कलर किया गया है। प्रतिमा स्थल पर पर्यटकों की सुविधा और मनोरंजन के लिए बंजी जम्पिंग का निर्माण किया गया है। यह ऋषिकेश के बाद दूसरी सबसे बड़ी बंजी जम्पिंग होगी जिसका लुत्फ उठाने के लिए देश-विदेश के पर्यटक यहां आएंगे। साथ ही फूडकोर्ट, गेम जोन, जिप लाइन, गो कार्टिंग, एडवेंचर पार्क, जंगल कैफे का निर्माण भी किया गया है जहां पर्यटक इसका लुत्फ उठा सकेंगे। शिव प्रतिमा पर विशेष रूप से लाइट और साउंड के थ्री डी उपयोग के जरिए शिव स्तुति का प्रसारण होगा। पर्यटकों के लिए यह बहुत ही आकर्षण का केंद्र होगा। शिव प्रतिमा के निर्माण में सुरक्षा मानकों का भी पूरा ध्यान रखा गया है।
विशेषताएं
– 369 फीट ऊंची शिव प्रतिमा
– 250 किमी प्रतिघंटा की स्पीड से चली आंधी को भी झेल सकती है मूर्ति। आस्ट्रेलिया की लैब में हुआ विंड टेस्ट
– 3000 टन स्टील n2600 टन लोहा n26618 क्यूबिक मीटर सीमेंट-कंक्रीट
– इसे पहाड़ी पर बनाया गया है
-270 फीट बायां कंधा और त्रिशुल, 280 फीट दायां कंधा और नाम देवता के दर्शन
भव्य नंदी
भगवान शिव के समक्ष सदा नंदी बैठे नजर आते हैं लेकिन यहां नंदी की विशेष खड़ी मुद्रा है। ये नाचते हुए हैं।
नंदी की ऊंचाई करीब 25 फीट है।