ब्लिट्ज विशेष
नई दिल्ली। कठोर मेहनत, स्पष्ट नीति, अनुशासन, संयम, संघर्षशीलता, चुनौतियों से हार न मानने, दूरदृष्टि, विपरीत परिस्थितियों में सहनशील रहने के गुण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में कहां से आए, नि:संदेह ये तमाम गुण मां हीराबेन से विरासत में मिले। हीराबेन काे ही पीएम मोदी को हीरा बनाने का पूरा श्रेय जाता है। स्वयं पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग में अपनी मां के अनेक प्रेरक किस्सों का जिक्र किया है।
समय की पक्क ी और मेहनतीः सुबह 4 बजे उठतीं, सारा काम खुद करतीं । मेरे पिता सुबह चार बजे ही काम पर निकल जाते थे। उनके कदमों की आहट पड़ोसियों को बताती कि सुबह के 4 बज रहे हैं और दामोदर काका काम पर जा रहे हैं। वो अपनी छोटी सी चाय की दुकान खोलने से पहले पास के मंदिर में प्रार्थना करने जरूर जाते थे। मां भी उतनी ही समय की पाबंद थीं। वह भी पिता के साथ उठतीं और सुबह ही कई काम निपटा देती थीं। अनाज पीसने से लेकर चावल-दाल छानने तक मां के पास कोई सहारा नहीं था। उसने कभी हमसे मदद भी नहीं मांगी। मुझे खुद लगता था कि मदद करनी चाहिए। मैं घर से सारे मैले कपड़े ले जाता और उन्हें तालाब से धो लाता था।
विपरीत परिस्थितियों में सहनशील
घर का खर्च चलाने के लिए मां कुछ घरों में बर्तन मांजती थीं। अतिरिक्त कमाई के लिए वो चरखा चलातीं, सूत काततीं। मां दूसरों पर निर्भर रहने या अपना काम करने के लिए दूसरों से अनुरोध करने से बचती थीं। मानसून में हमारी छत टपकती थी और घर में पानी भर जाता था। मां बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए लीकेज के नीचे बर्तन रख देती थीं। वह अगले कुछ दिनों तक इस पानी का इस्तेमाल करतीं। जल संरक्षण का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है!
परिवार चलाना जानती थीं
जब हमारा बड़ा भाई किसी की दी हुई कोई चीज बाहर से लेकर आता तो मां उसे फटकार लगाते हुए वह चीज लौटाने के लिए भेज देती थीं। मां में ईमानदारी के गुण थे जो उन्होंने अपने बच्चों को दिए। मां हीराबा का अर्थशास्त्र भी मजबूत था। खर्च के लिए पांच हों या एक रुपए, वे जानती थीं कि घर का खर्च कैसे चलाना है। – (हीराबेन के बेटे प्रहलादभाई ने एक इंटरव्यू में बताया)
बच्चों के लिए सजग
मां अंधविश्वासों से दूर रहीं और हममें भी वही गुण पैदा किए। पिता की इच्छा पर एक बार हमारा परिवार पूजा के लिए नर्मदा घाट गया था। तीन घंटे का सफर था। जबरदस्त गर्मी से बचने के लिए हम सुबह-सुबह ही घर से निकल गए। गर्मी बहुत तेज थी। पैदल चलना आसान नहीं था। हमने नदी किनारे-किनारे चलना शुरू किया। मां ने तुरंत ही हमारी बेचैनी को देख लिया। मां ने पिता से थोड़ा गुड़ लाने को कहा। वे दौड़ते गए और गुड़ ले आए। गुड़ और पानी ने हमें फौरन ही ताकत दी और हम सभी दोबारा पैदल चल निकले।
मोदी के प्रयोगों को हमेशा प्रोत्साहित करती थीं
मैं अपने भाई-बहनों की तुलना में थोड़ा अलग हुआ करता था। मेरी खास आदतों और असामान्य प्रयोगों की अलग जरूरतों को पूरा करने के लिए मां को अक्सर विशेष प्रयास करने पड़ते थे। मैं अक्सर कई महीनों के लिए नमक छोड़ देता था। कई हफ्तों के लिए दूध या अनाज नहीं खाता था या केवल दूध पीता था। कई बार मैं छह-छह महीनों तक मिठाई नहीं खाता था। सर्दियों में मैं खुले में सोता था और मटके के पानी से नहाता था। मां बस इतना कहतीं- सब ठीक है, जैसा तुम्हारा मन करे करो।
मोदी को 18 घंटे काम करने की प्रेरणा मां से मिली
हमारे पिता बहुत मेहनती थे और मां पूरे दिन काम करती थीं। पीएम मोदी दिन में 18 घंटे काम करते हैं। उनको ये प्रेरणा मां हीराबेन से ही मिली है। वह अनपढ़ थीं, लेकिन मेरे पिता और उनके पति दामोदर उनको धार्मिक किताबें पढ़कर सुनाते थे। वह शिवरात्रि और सावन के महीने में लगातार मंदिर आती थीं। हर पुरुष की सफलता के पीछे एक महिला होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन की वह महिला उनकी मां हीराबेन हैं। ( हीराबेन के बेटे प्रहलादभाई और स्थानीय मंदिर हटकेश्वर महादेव के पुजारी निरंजन सिंह रावल ने बताया)
हीराबेन चाहती थीं सभी बच्चे पढ़ाई करें
मोदी ने 7वीं तक की पढ़ाई वडनगर के एक प्राइमरी स्कूल में की। परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि स्कूल की फीस दी जा सके, लेकिन मां ने न तो हार मानी, न ही किसी से पैसे उधार लिए। हर बार वो कुछ ज्यादा काम करके स्कूल की फीस चुकाती रहीं।
उस वक्त मोदी के पास स्कूल पहनकर जाने के लिए सिर्फ एक ड्रेस थी। ऐसे में जब भी मोदी की ड्रेस फट जाती तो मां हीराबेन किसी और रंग के कपड़े का अस्तर लगाकर उसे सिल देती थीं, ताकि मोदी की पढ़ाई न रुके।
मां हीराबा का सौ वर्षों का संघर्षपूर्ण जीवन भारतीय आदर्शों का प्रतीक है। मैं पुण्यात्मा की शांति के लिए प्रार्थना करती हूं। – राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
मां जीवन की पहली मित्र व गुरु होती है जिसे खोने का दुख संसार का सबसे बड़ा दुख है। – अमित शाह
मां का निधन जीवन में ऐसी शून्यता लाता है, जिसकी भरपाई असंभव है। – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
मोदी जी को उनकी प्यारी मां के खोने पर मेरी हार्दिक संवेदना। – कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे
दुख की इस घड़ी में हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं पूरे परिवार के साथ हैं। – लालकृष्ण आडवाणी
इस मुश्किल समय में मैं पीएम मोदी और उनके परिजनों को गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। – राहुल गांधी
मोदी जी की पूज्य माता का निधन अत्यंत दुखद है। प्रभु श्री राम दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें।- योगी आदित्यनाथ
मां का जाना अपूरणीय क्षति है, इस रिक्तता की पूर्ति असंभव है।- भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने ट्वीट किया- जिल और मैं पीएम मोदी को उनकी मां के निधन पर हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं।
इनके अलावा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, राज ठाकरे, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, गुलाम नबी आजाद, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी हीराबेन के निधन पर गहरा शोक जताया है।
ब्लिट्ज विशेष
नई दिल्ली। कठोर मेहनत, स्पष्ट नीति, अनुशासन, संयम, संघर्षशीलता, चुनौतियों से हार न मानने, दूरदृष्टि, विपरीत परिस्थितियों में सहनशील रहने के गुण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में कहां से आए, नि:संदेह ये तमाम गुण मां हीराबेन से विरासत में मिले। हीराबेन काे ही पीएम मोदी को हीरा बनाने का पूरा श्रेय जाता है। स्वयं पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग में अपनी मां के अनेक प्रेरक किस्सों का जिक्र किया है।
समय की पक्क ी और मेहनतीः सुबह 4 बजे उठतीं, सारा काम खुद करतीं । मेरे पिता सुबह चार बजे ही काम पर निकल जाते थे। उनके कदमों की आहट पड़ोसियों को बताती कि सुबह के 4 बज रहे हैं और दामोदर काका काम पर जा रहे हैं। वो अपनी छोटी सी चाय की दुकान खोलने से पहले पास के मंदिर में प्रार्थना करने जरूर जाते थे। मां भी उतनी ही समय की पाबंद थीं। वह भी पिता के साथ उठतीं और सुबह ही कई काम निपटा देती थीं। अनाज पीसने से लेकर चावल-दाल छानने तक मां के पास कोई सहारा नहीं था। उसने कभी हमसे मदद भी नहीं मांगी। मुझे खुद लगता था कि मदद करनी चाहिए। मैं घर से सारे मैले कपड़े ले जाता और उन्हें तालाब से धो लाता था।
विपरीत परिस्थितियों में सहनशील
घर का खर्च चलाने के लिए मां कुछ घरों में बर्तन मांजती थीं। अतिरिक्त कमाई के लिए वो चरखा चलातीं, सूत काततीं। मां दूसरों पर निर्भर रहने या अपना काम करने के लिए दूसरों से अनुरोध करने से बचती थीं। मानसून में हमारी छत टपकती थी और घर में पानी भर जाता था। मां बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए लीकेज के नीचे बर्तन रख देती थीं। वह अगले कुछ दिनों तक इस पानी का इस्तेमाल करतीं। जल संरक्षण का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है!
परिवार चलाना जानती थीं
जब हमारा बड़ा भाई किसी की दी हुई कोई चीज बाहर से लेकर आता तो मां उसे फटकार लगाते हुए वह चीज लौटाने के लिए भेज देती थीं। मां में ईमानदारी के गुण थे जो उन्होंने अपने बच्चों को दिए। मां हीराबा का अर्थशास्त्र भी मजबूत था। खर्च के लिए पांच हों या एक रुपए, वे जानती थीं कि घर का खर्च कैसे चलाना है। – (हीराबेन के बेटे प्रहलादभाई ने एक इंटरव्यू में बताया)
बच्चों के लिए सजग
मां अंधविश्वासों से दूर रहीं और हममें भी वही गुण पैदा किए। पिता की इच्छा पर एक बार हमारा परिवार पूजा के लिए नर्मदा घाट गया था। तीन घंटे का सफर था। जबरदस्त गर्मी से बचने के लिए हम सुबह-सुबह ही घर से निकल गए। गर्मी बहुत तेज थी। पैदल चलना आसान नहीं था। हमने नदी किनारे-किनारे चलना शुरू किया। मां ने तुरंत ही हमारी बेचैनी को देख लिया। मां ने पिता से थोड़ा गुड़ लाने को कहा। वे दौड़ते गए और गुड़ ले आए। गुड़ और पानी ने हमें फौरन ही ताकत दी और हम सभी दोबारा पैदल चल निकले।
मोदी के प्रयोगों को हमेशा प्रोत्साहित करती थीं
मैं अपने भाई-बहनों की तुलना में थोड़ा अलग हुआ करता था। मेरी खास आदतों और असामान्य प्रयोगों की अलग जरूरतों को पूरा करने के लिए मां को अक्सर विशेष प्रयास करने पड़ते थे। मैं अक्सर कई महीनों के लिए नमक छोड़ देता था। कई हफ्तों के लिए दूध या अनाज नहीं खाता था या केवल दूध पीता था। कई बार मैं छह-छह महीनों तक मिठाई नहीं खाता था। सर्दियों में मैं खुले में सोता था और मटके के पानी से नहाता था। मां बस इतना कहतीं- सब ठीक है, जैसा तुम्हारा मन करे करो।
मोदी को 18 घंटे काम करने की प्रेरणा मां से मिली
हमारे पिता बहुत मेहनती थे और मां पूरे दिन काम करती थीं। पीएम मोदी दिन में 18 घंटे काम करते हैं। उनको ये प्रेरणा मां हीराबेन से ही मिली है। वह अनपढ़ थीं, लेकिन मेरे पिता और उनके पति दामोदर उनको धार्मिक किताबें पढ़कर सुनाते थे। वह शिवरात्रि और सावन के महीने में लगातार मंदिर आती थीं। हर पुरुष की सफलता के पीछे एक महिला होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन की वह महिला उनकी मां हीराबेन हैं। ( हीराबेन के बेटे प्रहलादभाई और स्थानीय मंदिर हटकेश्वर महादेव के पुजारी निरंजन सिंह रावल ने बताया)
हीराबेन चाहती थीं सभी बच्चे पढ़ाई करें
मोदी ने 7वीं तक की पढ़ाई वडनगर के एक प्राइमरी स्कूल में की। परिवार के पास इतने पैसे नहीं थे कि स्कूल की फीस दी जा सके, लेकिन मां ने न तो हार मानी, न ही किसी से पैसे उधार लिए। हर बार वो कुछ ज्यादा काम करके स्कूल की फीस चुकाती रहीं।
उस वक्त मोदी के पास स्कूल पहनकर जाने के लिए सिर्फ एक ड्रेस थी। ऐसे में जब भी मोदी की ड्रेस फट जाती तो मां हीराबेन किसी और रंग के कपड़े का अस्तर लगाकर उसे सिल देती थीं, ताकि मोदी की पढ़ाई न रुके।
मां हीराबा का सौ वर्षों का संघर्षपूर्ण जीवन भारतीय आदर्शों का प्रतीक है। मैं पुण्यात्मा की शांति के लिए प्रार्थना करती हूं। – राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
मां जीवन की पहली मित्र व गुरु होती है जिसे खोने का दुख संसार का सबसे बड़ा दुख है। – अमित शाह
मां का निधन जीवन में ऐसी शून्यता लाता है, जिसकी भरपाई असंभव है। – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
मोदी जी को उनकी प्यारी मां के खोने पर मेरी हार्दिक संवेदना। – कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे
दुख की इस घड़ी में हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं पूरे परिवार के साथ हैं। – लालकृष्ण आडवाणी
इस मुश्किल समय में मैं पीएम मोदी और उनके परिजनों को गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। – राहुल गांधी
मोदी जी की पूज्य माता का निधन अत्यंत दुखद है। प्रभु श्री राम दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करें।- योगी आदित्यनाथ
मां का जाना अपूरणीय क्षति है, इस रिक्तता की पूर्ति असंभव है।- भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने ट्वीट किया- जिल और मैं पीएम मोदी को उनकी मां के निधन पर हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं।
इनके अलावा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, राज ठाकरे, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, गुलाम नबी आजाद, उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी हीराबेन के निधन पर गहरा शोक जताया है।