ब्लिट्ज ब्यूरो>
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां ग्लोबल मिलेट्स (मोटा अनाज) कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 पर एक डाक टिकट और सिक्के का अनावरण किया। प्रधानमंत्री ने बायर-सेलर मीट और प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
पीएम मोदी ने इस अवसर पर कहा कि भारत के प्रस्ताव और प्रयासों के बाद ही संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया है।
उन्होंने कहा कि मिलेट्स की कामयाबी से ‘ग्लोबल साउथ’ की खाद्य समस्या का समाधान होगा। मोटे अनाज से ही ‘ग्लोबल नॉर्थ’ की फूड हैबिट्स से जुड़ी बीमारियों का निदान होगा। पीएम बोले,जब विश्व अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष मना रहा है तब भारत इस अभियान की अगुआई कर रहा है। ग्लोबल मिलेट्स कॉन्फ्रेंस इसी दिशा का एक महत्वपूर्ण कदम है। इस तरह के आयोजन न केवल वैश्विक भलाई के लिए जरूरी हैं, बल्कि इस कार्य में भारत की बढ़ती जिम्मेदारी का भी प्रतीक हैं। इस कार्यक्रम में 100 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसके मद्देनजर यह साल भारत के लिए बहुत ही अहम माना जा रहा है, क्योंकि भारत 2023 में जी20 की मेजबानी कर रहा है। सरकार ने मिलेट्स को जी20 बैठकों का भी हिस्सा बनाया है।
– वैश्विक भलाई के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी होगी मजबूत
कॉन्फ्रेंस में पीएम मोदी की प्रमुख बातें..
मिलेट्स यानी ‘श्री अन्न’
हमारे देश में मिलेट्स को अब ‘श्री अन्न’ की पहचान दी गई है। यह सिर्फ खेती और खाने तक ही सीमित नहीं है। ‘श्री अन्न’ भारत में समग्र विकास का एक माध्यम बन रहा है। इसमें गांव और गरीब भी जुड़े हैं। भारत के 75 लाख से ज्यादा किसान आज वर्चुअली इस कार्यक्रम से जुड़े हैं।
2.5 करोड़ किसानों की मजबूती
मिलेट्स अब लोगों के लिए रोजगार का जरिया भी बन रहे हैं। 2.5 करोड़ किसान सीधे तौर पर मिलेट्स से जुड़े हैं। ‘श्री अन्न’ के लिए हमारा मिशन इन सभी किसानों और उनसे जुड़े तंत्र को फायदा पहुंचाएगा। इससे ग्रामीण अर्थव्यस्था भी मजबूत होगी।
बढ़ रही है घरेलू खपत
हमने ‘श्री अन्न’ को ग्लोबल मूवमेंट बनाने के लिए लगातार काम किया है। हमारे यहां 12-13 राज्यों में मिलेट्स की खेती होती है, लेकिन अब तक इनकी घरेलू खपत बहुत कम थी। एक व्यक्ति महीने भर में 2 से 3 किलो मिलेट्स ही खाता था। आज ये खपत बढ़कर 14 किलो प्रति माह हो गई है।
‘श्री अन्न’ है समाधान
एक तरफ ‘ग्लोबल साउथ’ है, जो अपने गरीबों की फूड सिक्योरिटी को लेकर चिंतित है। दूसरी ‘ग्लोबल नॉर्थ’ का हिस्सा है, जहां फूड हैबिट्स से जुड़ी बीमारियां एक बड़ी समस्या हैं। ‘श्री अन्न’ ऐसी हर समस्या का समाधान देते हैं। ज्यादातर मिलेट्स को उगाना आसान होता है। इसमें खर्च भी बहुत कम होता है और दूसरी फसलों की तुलना में ये जल्दी तैयार भी हो जाते हैं। इसमें पोषण तो ज्यादा होता ही है, साथ में स्वाद में भी विशिष्ट होते हैं।
खराब मौसम, पानी की कमी अड़चन नहीं
मिलेट्स की एक और ताकत पर जोर देना चाहता हूं। मिलेट्स की ताकत है- इसका क्लाइमेट रेसिलिएंट होना। ये बहुत खराब मौसम में भी आसानी से उग जाते हैं। इनकी पैदावार में अपेक्षाकृत पानी भी कम लगता है, जिससे पानी की कमी वाली जगहों के लिए ये पसंदीदा फसल बन जाती है।
पीएम ने उत्साह से किया मार्गदर्शन
नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस मौके पर कहा कि मिलेट्स विषय को लेकर जब भी कोई सवाल आया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत ही उत्साह से हम सब लोगों का मार्गदर्शन किया और उसी के परिणाम स्वरूप यह कार्यक्रम ऊंचाई पर पहुंच रहा है।