आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली आज भारत सरकार प्रवासी भारतीयों के लिए ‘अधिकतम सुविधा’ और ‘न्यूनतम असुविधा‘ सुनिश्चित करना चाहती है। प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन आयोजित करने का प्रमुख उद्देश्य प्रवासी भारतीय समुदाय की उपलब्धियों को मंच प्रदान कर उनको दुनिया के सामने लाना है। प्रवासी भारतीयों की भारत के प्रति सोच, भावना की अभिव्यक्ति, देशवासियों के साथ सकारात्मक बातचीत के लिए एक मंच उपलब्ध कराना कराना भी इसका एक अहम मकसद है। भारत सरकार चाहती है कि विश्व के सभी देशों में अप्रवासी भारतीयों का मजबूत नेटवर्क हो। भारत की युवा पीढ़ी को प्रवासियों से जोड़ना तथा विदेशों में रह रहे भारतीय श्रमजीवियों की कठिनाइयों को जानना तथा उन्हें दूर करने के निरंतर प्रयास करना मोदी सरकार का ध्येय बना हुआ है।
प्रवासी भारतीयों की वैश्विक स्थिति
वर्तमान में खाड़ी देशों में लगभग 8.5 मिलियन भारतीय रहते हैं जो दुनिया में प्रवासियों का सबसे बड़ा संकेंद्रण है। संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 4 मिलियन भारतीय हैं। यहाँ मैक्सिको के बाद भारतीयों का दूसरा सबसे अधिक संकेंद्रण है। इसके अतिरिक्त कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, मलेशिया, मॉरीशस, श्रीलंका, सिंगापुर, नेपाल सहित अन्य देशों में प्रवासी भारतीयों की बड़ी आबादी रहती है।
संस्कृति विस्तारक
प्रवासन का कार्य केवल भौगोलिक सीमाओं तक सीमित नहीं है बल्कि यह एक सांस्कृतिक विस्तार भी है। सिख समुदाय भारत के सबसे बड़े प्रवासियों में से एक है। ये यूके, कनाडा और कई अन्य देशों में निवास कर रहे हैं तथा भारतीय संस्कृति से पूरे विश्व को परिचित करा रहे हैं।
धन §प्रेषण
किसी अन्य देश में निवास कर रहे कर्मचारी द्वारा अपने देश में किसी व्यक्ति को पैसे का हस्तांतरण करना ही प्रेषण है। प्रवासियों द्वारा घर भेजा गया पैसा विकासशील देशों के सबसे बड़े वित्तीय प्रवाह में से एक है। विश्व बैंक के अनुसार, वर्ष 2018 में सर्वाधिक प्रेषण प्राप्त करने के साथ भारत ने दुनिया के शीर्ष प्राप्तकर्त्ता के रूप में अपनी स्थिति बरकरार रखी है।
प्रवासी ‘परिवर्तन के संवाहक’
यह प्रवासी निवेश को सुविधाजनक बनाने, बढ़ाने, औद्योगिक विकास को तेज करने और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तथा पर्यटन के विस्तार के ‘परिवर्तन के संवाहक’ के रूप में भ्ाी हैं।
तकनीकी विकास और उद्यमिता
सक्रिय प्रवासी भारतीयों के साथ संबंधों के पोषण और सामाजिक-आर्थिक विकास में वृद्धि करने में प्रमुख योगदान तकनीकी क्षेत्र का भी रहा है। कई बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में भारतीय मूल के व्यक्ति निर्णायक पदों पर आसीन हैं जिनमें गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, पेप्सिको इत्यादि शामिल हैं।
वैश्विक कद में वृद्धि
प्रवासी भारतीयों के समर्थन से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता एक वास्तविकता बन सकती है। भारत ने नवंबर 2017 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी की पुनर्नियुक्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र में दो-तिहाई मत हासिल कर अपने राजनयिक प्रभाव का प्रदर्शन किया।
प्रवासी कूटनीति
एक बड़े प्रवासी समूह के होने से महत्वपूर्ण लाभ ‘प्रवासी कूटनीति’ का मिलता है। भारत को अपने प्रवासी भारतीयों से लाभ हुआ है। चाहे वह विदेशों से भेजे गए प्रेषण के रूप में हो या वर्ष 2008 में यूएस-इंडिया सिविलियन न्यूक्लियर एग्रीमेंट बिल की पैरवी। कुल मिला कर नौकरी, उद्योग, व्यापार और दूसरे कई कारणों से अपना देश छोड़कर दूसरे देशों में रहने वालों में भारतीयों की आबादी दुनिया में सर्वाधिक है। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और कई अन्य देशों में भारतीय वहां की सरकारों में मंत्री और सांसद तो निर्वाचित हुए ही हैं बल्कि नीति निर्धारक विभागों में उच्च पदों पर आसीन हैं। भारतीयों की खासियत है कि वे जिस भी देश में गए उन्होंने वहां की संस्कृति और संविधान को आत्मसात कर लिया। वहां के व्यापार, उद्योग, चिकित्सा क्षेत्र आदि में महत्वपूर्ण योगदान दिया। भले ही प्रवासी भारतीयों ने वहां का सब कुछ आत्मसात कर लिया है लेकिन वह भारत माता की माटी की सुगन्ध को नहीं भूले।
वे आज भी अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं। आज की तारीख में भारतीय नई शक्ति के तौर पर अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर उभर चुके हैं। विश्व बैंक की रिपोर्ट में बताया गया है कि पूरी दुनिया में सबसे अधिक पैसा भारतीयों ने अपने देश भेजा है। रिपोर्ट बताती है कि प्रवासी भारतीयों ने अपने देश के लिए 87 अरब डालर भेजे जो लगभग 64.64 खरब रुपए के बराबर हैं। विदेशों से पैसे भेजने के मामले में भारतीय पहले नम्बर पर हैं। प्रवासी भारतीयों द्वारा इस साल भारत पैसा भेजने में 4.6 फीसदी की बढ़ौतरी हुई है। कोरोना महामारी को देखते हुए परोपकारी कार्य करने के लिए प्रवासी भारतीयों द्वारा भेजे गए धन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रवासी भारतीयों को अपनी सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्य बनाए रखने के कारण ही साझा पहचान मिली है। उनकी सफलता का श्रेय उनकी परम्परागत सोच, सांस्कृतिक मूल्य, शैक्षणिक योग्यता को दिया जाना चाहिए। वैश्विक स्तर पर सूचना तकनीक के क्षेत्र में क्रांति में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। प्रवासी भारतीयों की ताकत को देखते हुए और उन्हें अपनी जड़ों से जोड़ने के लिए 2002 में एनडीए की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने हर वर्ष 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाने का निर्णय किया था।