दीपक द्विवेदी
भारत सरकार ने इस वर्ष देश की पांच महान हस्तियों- कर्पूरी ठाकुर, लालकृष्ण आडवाणी, चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिंह राव और डॉ. एमएस स्वामीनाथन को देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने का फैसला किया है। पांच में से चार विभूतियां राजनीतिक क्षेत्र से हैं तो एमएस स्वामीनाथन कृषि वैज्ञानिक रहे हैं। आडवाणी को छोड़कर अन्य सभी हस्तियों को यह अलंकरण मरणोपरांत प्रदान किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर इसकी घोषणा की थी। भारत रत्न की शुरुआत 02 जनवरी 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने की थी।
भारत में एक नहीं, अनेक ऐसे नेता हैं जिन्होंने अपने व्यक्तित्व, कृतित्व और जीवन मूल्यों की ऐसी अमिट छाप देश एवं उसकी जनता पर छोड़ी जिससे निरंतर देश समृद्ध होता रहा है। यही नहीं देश में ऐसे उल्लेखनीय व्यक्तियों का उदय भी हुआ है जिनके योगदान ने देश को प्रगति पथ पर अग्रसर किया। ऐसे ही उन कुछ दिग्गजों में ये विभूतियां भी हैं जिन्हें अब देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया जा रहा है।
हालांकि एक ही साल में पांच लोगों को भारत रत्न दिए जाने से लोग अचंभित से भी नजर आ रहे हैं। वैसे वर्ष 2024 और भी कई बातों को लेकर स्मरण किए जाने योग्य है। इसमें सर्वाधिक खास यह है कि इस वर्ष को भारत ही नहीं पूरी दुनिया में राम वर्ष के रूप में भी याद किया जा रहा है और हमेशा याद किया जाएगा। जनवरी के उत्तरार्द्ध में जननायक कर्पूरी ठाकुर और लालकृष्ण आडवाणी को ‘भारत रत्न’ देने की घोषणा हुई थी और फरवरी के पूर्वार्द्ध में कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन, पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव को ‘भारत रत्न’ दिए जाने की घोषणा हुई। चूंकि देश में जल्द ही चुनाव होने वाले हैं तो इसलिए भी इन सम्मानों को लोग राजनीति के चश्मे से भी देख रहे हैं। वैसे यह कहना नितांत सही होगा कि जिन विभूतियों को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जा रहा है उनसे स्वयं इस सम्मान की महिमा का मंडन हुआ है। अब जहां तक एक साथ पांच हस्तियों को एक ही वर्ष में सम्मानित करने की बात है, तो साल 1999 में भी चार विभूतियों को ‘भारत रत्न’ देने की घोषणा हुई थी। तब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री हुआ करते थे। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस प्रकार के निर्णय लेने के लिए याद किया जाएगा। वह सदैव से ही अपने फैसलों से देश को चौंकाते रहते हैं।
यह सम्मान अपने दूरदर्शी नेताओं को सम्मानित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की भी पुष्टि करेगा।
वैसे ‘भारत रत्न’ के लिए चयनित होने वाली विभूतियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व ने सदैव ही देश की प्रगति को एक सार्थक दिशा दी है। सबसे पहले कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन की चर्चा की जानी चाहिए। एक समय यह देश अनाज के संकट के लिए जाना जाता था। लोग अनाज के लिए तरसते थे। स्वामीनाथन ने कृषि उत्पादन में देश का कायाकल्प कर दिया और वह समय हरित क्रांति के नाम से जाना गया। 1960 के दशक में ही स्वामीनाथन के योगदान को देश ने जान एवं समझ लिया था किंतु उन्हें ‘भारत रत्न’ देने में शायद कुछ देरी हो गई। बीते वर्ष 28 सितंबर को ही वे 98 वर्ष की आयु में दुनिया से विदा हो गए। जैसे किसानों को मुख्यधारा में बनाए रखने के लिए स्वामीनाथन को याद किया जाएगा वैसे ही राजनेता चौधरी चरण सिंह को भी किसानों की आवाज उठाने के लिए याद किया जाएगा। 1970 के दशक में चौधरी चरण सिंह की महत्ता को इस देश ने जाना। उन्होंने सदैव किसानों में यह विश्वास पैदा किया कि किसान भी सरकार बना सकते हैं और प्रधानमंत्री बन सकते हैं। जननायक कर्पूरी ठाकुर भी कृषि पृष्ठभूमि से आते हैं जो अपनी सादगी व ईमानदारी के कारण इस देश की जनता के दिल में रहते हैं। कमजोर समाज से आए ऐसे नेताओं को ‘भारत रत्न’ मिलना वास्तव में लोकतंत्र का ही सम्मान है।
1980 के दशक के आखिर में लालकृष्ण आडवाणी भारतीय राजनीति में आए। तब देश के बहुसंख्यकों में एक अलग किस्म की जागृति आई। तब राजनीति कमंडल की दिशा में मुड़ी। आज अयोध्या में राम मंदिर के भव्य निर्माण व प्राण प्रतिष्ठा को पूरे संसार ने देखा है। उसकी नींव में लालकृष्ण आडवाणी के योगदान को कौन भुला सकता है क्योंकि भगवान राम भारत की चेतना हैं। उन्हें मिला सम्मान इस बात की भी घोषणा है कि भारत अब बदल चुका है और इस भारत को बदलने में पीवी नरसिंह राव के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। 1990 के दशक के प्रारंभ में देश के प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने ही आर्थिक उदरीकरण का जो अंकुर बोया था, उसी का सुंदर विकसित होता वृक्ष आज विश्व देख रहा है।
हालांकि कई लोग यह भी प्रश्न कर रहे हैं कि आखिरकार पीएम मोदी ने अलग-अलग विचारधाराओं वाली हस्तियों को चुनावी साल में देश का सर्वोच्च अलंकरण क्यों दिया और उसके पीछे क्या कोई सियासी संकेत या फार्मूला छिपा है? तो इसका उत्तर स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस कथन में छिपा है जिसमें उन्होंने कहा है ‘इन शख्सियतों का यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है। चरण सिंह ने किसानों के अधिकार व कल्याण के लिए जीवन समर्पित कर दिया। नरसिंह राव के कार्यकाल में भारत के दरवाजे विश्व के लिए खोले जाने से आर्थिक विकास के नए युग को बढ़ावा मिला। वहीं, डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने भारतीय कृषि को बदलने के साथ- साथ देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि भी सुनिश्चित की। अत: इन सभी विभूतियों को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करना केवल प्रतीकात्मक संकेत ही नहीं है बल्कि एक पुनरुत्थानशील और न्यायसंगत भारत की कहानी को गढ़ने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को भी मान्यता देना है। इसलिए इन सभी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना न केवल इनके प्रति सच्ची श्रद्धा प्रदर्शित करने का माध्यम है बल्कि यह देशवासियों और विशेषकर आने वाली पीढ़ियों के दिलों में भी इनके प्रति गर्व की भावना को और सुदृढ़ करने जैसा है। यह आने वाली पीढ़ियों के लिए उनकी विरासत को अमर बनाए रखेगा और अपने दूरदर्शी नेताओं को सम्मानित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की भी पुष्टि करेगा।