ब्लिट्ज ब्यूरो
वॉशिंगटन। अमेरिकी इमिग्रेशन एजेंसी कुशल विदेशी कामगारों के लिए एक मार्च से वीजा(एच-1बी ) आवेदन स्वीकार करना शुरू कर देगी। भारतीय आईटी पेशेवरों में एच-1बी वीजा की सबसे ज्यादा मांग रहती है। यह एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता वाले विशेष व्यवसायों में विदेशी श्रमिकों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। प्रौद्योगिकी कंपनियां भारत और चीन से हर साल हजारों कर्मचारियों को इसी के तहत नियुक्त करती हैं।
अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) ने कहा कि वह 1 अक्टूबर, 2023 से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए 1 मार्च से 17 मार्च के बीच एच-1बी वीजा के लिए आवेदन स्वीकार करेगा। यह वीजा कुशल विदेशी कामगारों को टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मेडिसिन जैसे विशेष क्षेत्रों में छह साल तक अमेरिका में काम करने और रहने की अनुमति देता है। छह साल के बाद यह स्थायी निवास या ग्रीन कार्ड के रास्ते खोलता है।
यूएससीआईएस ने कहा, यदि हमें 17 मार्च तक पर्याप्त आवेदन प्राप्त होते हैं, तो हम रेंडमली आवेदन का चयन करेंगे और लाभार्थियों को माय यूएससीआई ऑनलाइन खातों के जरिए सूचनाएं भेजेंगे। यदि हमें पर्याप्त आवेदन प्राप्त नहीं होते हैं, तो प्रारंभिक रजिस्ट्रेशन अवधि में ठीक से प्रस्तुत किए गए सभी पंजीकरणों का चयन किया जाएगा।
एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार यूएससीआईएस ने कहा है कि वह आने वाले हफ्तों में अतिरिक्त जानकारी जारी करेगा। एच1बी वीजा आवंटन की सीमा प्रति वर्ष 85,000 वीजा तय की गई है, जिनमें से 20,000 वीजा अमेरिकी संस्थानों से एडवांस डिग्री रखने वाले कामगारों के लिए अलग रखे गए हैं। शेष 65,000 वीजा लॉटरी प्रणाली के माध्यम से दिए जाते हैं, जिससे एच1बी वीजा के लिए प्रतिस्पर्धा ज्यादा हो जाती है।
उच्च मांग के कारण एच -1 बी कार्यक्रम में सुधार की मांग उठ रही है और कई लोग उपलब्ध वीजा की संख्या बढ़ाने और आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाने की वकालत कर रहे हैं।