2017 के चुनाव में हिमाचल में कई सीटों पर रहा था नजदीकी मुकाबला
नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश में साल 2017 में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य की कई सीटों पर करीबी मुकाबला देखने को मिला था। आंकड़ों पर गौर करें तो विधानसभा की कुल 68 में से 20 सीटों पर जीत का अंतर तीन हजार वोट से भी कम था जबकि राज्य में विधानसभा की छह सीटें ऐसी थीं जहां जीत का अंतर एक हजार वोटों से भी कम था। हालांकि उस दौरान हिमाचल प्रदेश में महज दो प्रमुख पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला था जबकि 2022 में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी की एंट्री से मुकाबला रोचक होता दिख रहा है।
हिमाचल में दिखेगा मोदी लहर का असर
हिमाचल प्रदेश में फिलहाल बीजेपी की अगुवाई में जयराम ठाकुर की सरकार है। वहीं खबरों के अनुसार प्रदेश में शासन से जुड़े कई मुद्दों पर बीजेपी चुनौतियों का सामना कर रही है और पार्टी पर खराब शासन के आरोप लग रहे हैं। इन सबके बीच एक न्यूज चैनल सी-वोटर की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के 66 प्रतिशत आम लोगों का कहना है कि पीएम मोदी का कामकाज अच्छा है। वहीं 19 प्रतिशत लोगों ने प्रधानमंत्री के काम को खराब बताया जबकि 15 प्रतिशत ने पीएम के काम को औसत कहा है। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कामकाज को लेकर राज्य की जनता की राय उनके पक्ष में नहीं है। रिपोर्ट में सबसे ज्यादा 35 प्रतिशत लोगों ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कामकाज को खराब बताया है। वहीं 33 प्रतिशत ने सीएम जयराम के काम को अच्छा बताया है जबकि 32 प्रतिशत लोगों ने इसे औसत करार दिया।
सत्ता में वापसी की तैयारी में जुटी बीजेपी
हिमाचल की सत्ता में वापसी की तैयारी में जुटी कांग्रेस बीजेपी पर लगातार हमलावर है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री कार्यालय में बीते पांच सालों में छह मुख्य सचिव बदले जा चुके हैं। इधर चुनावी माहौल बनते ही पीएम मोदी और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर से जीत हासिल करने के मिशन में जुट गए हैं। इसी कड़ी में पीएम मोदी लगातार राज्य के दौरे कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने कई विकास परियोजनाओं का ऐलान किया। सीएम ठाकुर भी हालिया जनसभाओं में मुख्यमंत्री गृहिणी योजना, मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना, मुख्यमंत्री शगुन योजना, नारी को नमन योजना के बारे में जोर देकर बात कर रहे हैं। पीएम भी राज्यों में डबल इंजन सरकार की जरूरत की बात कहते रहे हैं।
जानिए क्या होंगे चुनावी मुद्दे
हिमाचल प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में नई-पुरानी पेंशन स्कीम, सेव उत्पादन में खर्च, महंगाई, बीजेपी का शासन, फ्री बिजली, महिलाओं को भत्ता, गोबर खरीद समेत कई मुद्दे अहम भूमिका निभा सकते हैं। संभावना यह भी है कि हिमाचल में सेव आंदोलन तीन दशक के बाद फिर बड़ा मुद्दा साबित हो। बीते कुछ महीनों से सेव पैदा करने वाले कार्टन पर जीएसटी में इजाफा, डिब्बे के अंदर यूज होने वाले ट्रे की बढ़ती कीमतों के खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश में बीजेपी एक बार फिर मोदी लहर के भरोसे है वहीं कांग्रेस को हिमाचल में एक बार फिर सत्ता विरोधी लहर से उम्मीद है। हिमाचल की राजनीति का जो ट्रेंड रहा है उस पर गौर करें तो इस बार बीजेपी को कड़ी मेहनत करनी पड़ सकती है। इसी के मद्देनजर बीजेपी सत्ता वापसी के लिए हर एक सीट पर विशेष रणनीति बना रही है और उसी के हिसाब से पार्टी के नेताओं को मेहनत करने का निर्देश भी दिया गया है।
। उल्लेखनीय है कि हिमाचल की राजनीति अब तक कांग्रेस और बीजेपी के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है। वैसे इस बार आम आदमी पार्टी भी चुनाव में ताल ठोक रही है। बीजेपी नेता भले ही यह दावा कर रहे हो कि आप का मुकाबला कांग्रेस से ही होगा लेकिन त्रिकोणीय मुकालबा होने पर कांग्रेस के साथ ही बीजेपी को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है। खासकर हिमाचल की उन सीटों पर जो पंजाब से लगी हुई हैं क्योंकि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है।