सिंधु झा
नई दिल्ली। वर्ष 2023 देश के नागरिकों के लिए बेहतर संदेश ला सकता है। इस समय विश्व आर्थिक मंदी को लेकर आशंकित है। ज्यादातर देशों में महंगाई का संकट है तो दुनिया के अनेक देश कोरोना महामारी की नई लहर की चिंता में हैं लेकिन भारत में लगभग हर मोर्चे पर अच्छी खबरें आ रही हैं और कम से कम अभी तक कोरोना का प्रसार होता नहीं दिख रहा है। इस साल देश के 10 राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और अगले साल लोकसभा का चुनाव होना है।
बजट पर सबकी निगाहें
इस साल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जो बजट पेश करेंगी, वह नरेंद्र मोदी की दूसरी सरकार का आखिरी बजट होगा। इस बार का बजट पूरी तरह चुनावी बजट होगा। इस बजट के प्रावधानों से भाजपा को लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव लड़ने हैं। अगले साल के चुनाव से पहले भी संभव है कि प्रधानमंत्री कुछ बड़ी घोषणाएं करें या बड़ी योजनाओं का एलान हो। लाल किले से अपने संबोधन में भी प्रधानमंत्री बड़ी घोषणा कर सकते हैं। लेकिन वित्तीय प्रावधानों के लिहाज से बजट में कुछ अच्छी घोषणाएं हो सकती हैं।
बड़ी विकास योजनाएं
बड़ी विकास परियोजनाओं के अलावा बजट में नौकरी पेशा और मध्यम वर्ग को टैक्स से राहत की घोषणा हो सकती है। मनरेगा में आवंटन बढ़ाने से लेकर किसान सम्मान निधि की राशि में भी बढ़ोतरी की घोषणा हो सकती है। सरकार ने मुफ्त अनाज की योजना को बदला है। अब पांच किलो मुफ्त और पांच किलो सस्ते अनाज की जगह 81 करोड़ से ज्यादा गरीबों को सिर्फ पांच किलो मुफ्त अनाज मिलेगा। उसकी भरपाई के लिए सरकार किसी नई योजना की घोषणा कर सकती है।
– मनरेगा में आवंटन, किसान सम्मान निधि में बढ़ोतरी संभव
– देश में हर मोर्चे पर आ रही अच्छी खबरें
– पूरी तरह चुनावी होगा इस बार का बजट
– कुछ बड़ी घोषणाएं कर सकते हैं पीएम मोदी
लोगों के हाथ में पहुंचे नकदी
सरकार चाहेगी कि लोगों के हाथ में नकदी पहुंचे ताकि मांग बढ़े और विकास की गाड़ी आगे बढ़े। एक अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 में चालू खाते का घाटा बढ़ सकता है। वह 14.20 लाख करोड़ से बढ़ कर 14.80 लाख करोड़ रुपए हो सकता है। चुनावी साल में इतना चलता है। सरकार इसलिए भी इसे वहन कर सकती है क्योंकि आर्थिक मोर्चे पर कई अच्छी खबरें पिछले कुछ दिनों से लगातार मिल रही हैं।
कम हो रही महंगाई
महंगाई की दर लगातार कम हो रही है। अभी हाल में दिसंबर महीने की खुदरा महंगाई का आंकड़ा आया है, जो 5.72 फीसदी रहा है। उससे पहले नवंबर में महंगाई दर 5.82 फीसदी रही थी। अगर साल दर साल के हिसाब से देखें तो दिसंबर 2022 की खुदरा महंगाई दिसंबर 2021 के लगभग बराबर रही। ध्यान रहे महंगाई दर काबू में करने के लिए रिजर्व बैंक ने पिछले लगभग पूरे साल नीतिगत ब्याज दरों में बढ़ोतरी की। रिजर्व बैंक की रेपो दर छह फीसदी से ऊपर पहुंच गई है।
आरबीआई से भी घटेगा दबाव
अब जबकि महंगाई काबू में आ रही है तो रिजर्व बैंक पर से भी दबाव हटेगा और ब्याज दरों में कमी आ सकती है। सरकार विकास दर को लेकर चिंता में है इसलिए सरकार भी चाहती है कि रिजर्व बैंक ब्याज घटाए। करीब एक साल तक दहाई में रहने के बाद थोक महंगाई की दर छह फीसदी पर आ गई है। सो, खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक की ओर से तय की गई छह फीसदी की अधिकतम सीमा से नीचे है।
औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि
पिछले ही हफ्ते औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े आए, जिनके मुताबिक नवंबर में औद्योगिक उत्पादन बढ़ कर 7.1 फीसदी पहुंच गया, जो अक्टूबर में बहुत कम हो गया था। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी हो रही है और जीएसटी की वसूली लगातार बढ़ रही है।
जीएसटी संग्रह
पिछली तीन तिमाही से हर महीने जीएसटी का संग्रह एक लाख 40 हजार करोड़ रुपए से ऊपर रहा है। प्रत्यक्ष कर की वसूली भी लक्ष्य से 26 फीसदी ज्यादा है। रुपया पहले ही काफी गिर चुका लेकिन राहत की बात यह है कि इसमें अब और गिरावट नहीं आ रही है। डॉलर की कीमत 82 रुपए के आसपास ठहरी है। विदेशी मुद्रा भंडार 70 अरब डॉलर कम हुआ है लेकिन अब इसमें बढ़ोतरी शुरू हुई है।
शेयर बाजार की स्थिति
शेयर बाजार 60 हजार तक पहुंच कर उसके आसपास ही ठहरा हुआ है। संस्थागत विदेशी निवेशकों के अपना पैसा निकालने की वजह से शेयर बाजार में उतार चढ़ाव था और रुपए पर दबाव बढ़ा था। दूसरे, अमेरिका में महंगाई दर नौ फीसदी से ऊपर जाने की वजह से फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की थी, जिससे निवेशक भारत से निकलने लगा था। लेकिन अब अमेरिका में भी महंगाई दर साढ़े छह फीसदी तक आ गई है और कहा जा रहा है कि ब्याज दर में कमी हो सकती है।