नई दिल्ली। नॉर्थ ईस्ट यानी पूर्वोत्तर के त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय तीनों ही राज्यों में भाजपा गठबंधन एक बार फिर से चुनाव जीत चुका है। पीएम मोदी ने पूर्वोत्तर को राजनीतिक अहमियत दी जिसकी गवाही तीन राज्यों के चुनाव नतीजे खुदबखुद दे रहे हैं। नतीजे बता रहे हैं कि पीएम मोदी का जादू बरकरार है। भाजपा त्रिपुरा में अपने दम पर सत्ता बचाए रखने में सफल रही है तो मेघालय और नगालैंड में क्षेत्रीय दलों के साथ सरकार बना रही है। कांग्रेस पूर्वोत्तर के इलाके में जहां कमजोर पड़ी है तो वहीं टीएमसी से जेडीयू तक के नेशनल ड्रीम के विस्तार को तगड़ा झटका लगा है। इस तरह पूर्वोत्तर के नतीजों में कांग्रेस से लेकर भाजपा तक के लिए बड़े राजनीतिक संदेश छिपे हैं।
वैसे तो विधानसभा चुनाव के नतीजों का लोकसभा चुनाव से कोई सीधा सरोकार नहीं होता लेकिन इसके नतीजे सियासी नब्ज का अंदाजा जरूर देते हैं। भाजपा के लिए तीन राज्यों के चुनाव नतीजों से 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए संदेश अवश्य निकला है। भाजपा के लिए पूर्वोत्तर खास मायने रखता है क्योंकि वहां 26 लोकसभा सीटें है, जो बाकी देश के मध्य आकार के एक राज्य के बराबर हैं। भाजपा जानती है कि लोकसभा चुनाव में अन्य राज्यों में उसके खिलाफ सत्ता विरोधी रुझान हो सकता है। अत: उन राज्यों में नुकसान की भरपाई के लिए पूर्वोत्तर अहम है। इन तीन राज्यों के नतीजों का राष्ट्रीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह ऐसेे समझा जा सकता है। त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय के चुनाव नतीजों से एक बात साफ हो गई है कि भाजपा अब सिर्फ हिंदी पट्टी वाले राज्यों तक ही सीमित नहीं बल्कि गैर-हिंदी राज्यों में भी उसकी पहुंच है। असम से अरुणाचल तक पूर्वोत्तर में भाजपा ही है। पूर्वोत्तर में भाजपा के लिए मजबूत रास्ता बनाने के लिए पीएम मोदी ने पार्टी लाइन से इतर काम किया। क्षेत्रीय मुद्दों और नेताओं को वरीयता देने के साथ-साथ नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) का गठन किया। अब भाजपा सिर्फ उत्तर भारत के हिंदी पट्टी (काउ बेल्ट) वाले राज्यों की पार्टी नहीं रही। नार्थ-ईस्ट में सात राज्य आते हैं और भाजपा सातों ही राज्यों की सत्ता में सीधे या क्षेत्रीय दलों के गठबंधन के सहारे सत्ता पर काबिज है।