ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। ओलंपिक पदक का सूखा खत्म करने के लिए भारतीय तीरंदाजों को इस बार आपसी जुड़ाव का विशेष मंत्र दिया गया है। तीरंदाज न सिर्फ साथ भोजन कर रहे हैं बल्कि साथ में आना-जाना भी कर रहे हैं। उन पर किसी भी तरह की नकारात्मक बात करने पर पूरी तरह से पाबंदी है। यही नहीं, फ्रांस रवानगी से पूर्व पुणे में 10 दिन तक तीरंदाजों को उसी अंदाज में तैयारी कराई गई, जिस तरह उन्हें पेरिस ओलंपिक में तीरंदाजी करनी है। उन्हें पोडियम पर तीरंदाजी कराई गई। दर्शकों का शोर, माइक पर आवाज, बड़ी स्क्रीन पर पिक्चर, इन सबके बीच तीरंदाजों ने कड़ी तैयारी की है।
1988 में पहली बार लिया था हिस्सा
1988 के सियोल ओलंपिक में भारत ने तीरंदाजी में पहली बार लिया था हिस्सा। भारत ने तीरंदाजी में अब तक कोई पदक नहीं जीता है। 1992 के ओलंपिक में लिंबा राम कांस्य पदक से चूक गए थे।
24 बार विदेशी टूर्नामेंट और तैयारी के लिए भेजा
तीरंदाजों को 24 बार साई ने विदेशी टूर्नामेंटों और तैयारियों के लिए भेजा, जिस पर 10.74 करोड़ का खर्च आया। साथ ही साढ़े छह करोड़ की लागत से 217 दिन के 41 बार राष्ट्रीय शिविर लगाए गए। तीरंदाजों को एक घंटे का ऐसा ध्यान लगाना होता है, जिसमें वह आंखें बंद कर तीरंदाजी का दृश्यावलोकन करते हैं।
पेरिस ओलंपिक के लिए तीरंदाजी टीम
•पुरुष-तरुणदीप रॉय (ओलंपिक 2004, 2012, 2021) विश्व रैंकिंग-31
वी धीरज (पहला ओलंपिक), विश्व रैंकिंग-12
प्रवीण जाधव (2021), विश्व रैंकिंग-114
महिला-दीपिका कुमारी (2012, 2016, 2021), विश्व रैंकिंग-12
•भजन कौर (पहला ओलंपिक), विश्व रैंकिंग-45
•अंकिता भगत (पहला ओलंपिक), विश्व रैंकिंग-40