ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। देश आजाद होने के बाद 1952 में हुए पहले लोकसभा चुनाव के दौरान नेताओं को चुनाव लड़ने में कोई खास रूचि नहीं थी। तीन सीटों पर चार सांसद बनने के लिए केवल 19 नेताओं ने ही किस्मत आजमाई थी। इन उम्मीदवारों में आठ निर्दलीय थे। हालांकि, इस चुनाव में मतदाताओं ने मतदान में काफी रूचि ली थी। पहले चुनाव में 57 प्रतिशत से अधिक मतदाता घरों से मतदान करने के लिए निकले थे।
आज की तारीख में दिल्ली में लोकसभा की 7 सीटें है। पर पहले लोकसभा चुनाव में दिल्ली में तीन लोकसभा क्षेत्र ही थे। नई दिल्ली, बाहरी दिल्ली और दिल्ली शहर लोकसभा क्षेत्र के तौर पर दिल्ली को बांटा गया था। बाहरी दिल्ली में दो सांसद चुनने का प्रावधान किया गया था। इस क्षेत्र में एक सामान्य सांसद के साथ-साथ एक सांसद अनुसूचित जाति श्रेणी का चुना गया था। अन्य दोनों क्षेत्रों में एक-एक सांसद ही चुनने की व्यवस्था थी। नई दिल्ली क्षेत्र से छह उम्मीदवारों ने सांसद बनने के लिए किस्मत आजमाई, जिनमें चार निर्दलीय शामिल थे।
इस क्षेत्र से किसान मजदूर प्रजा पार्टी की सुचेता कृपलानी कांग्रेस उम्मीदवार मन मोहन सहगल समेत चारों निर्दलीय उम्मीदवारों को हराकर सांसद बनी थीं। दिल्ली शहर क्षेत्र में केवल तीन उम्मीदवार ही मैदान में उतरे थे। इस क्षेत्र में कांग्रेस को जीत नसीब हुई थी।
कांग्रेस के राधा रमन ने भारतीय जनसंघ के रंग बिहारी लाल को हराया था। वहीं, बाहरी दिल्ली क्षेत्र में कांग्रेस ने दोहरी सफलता अर्जित की थी। सामान्य वर्ग के साथ-साथ अनुसूचित जाति श्रेणी में भी कांग्रेस उम्मीदवार ने जीत हासिल की।
सामान्य श्रेणी में सीके नायर जीते थे, जबकि अनुसूचित जाति श्रेणी में नवल प्रभाकर जीतने में सफल रहे थे। देश आजाद होने के बाद पहली हुए इस चुनाव में मतदाताओं में मतदान करने के लिए बहुत अधिक जोश दिखा था। मतदान केंद्रों पर पूरा दिन मतदाताओं की लाइन लगी रही थी। हालांकि, उन्हें देश आजाद होने से पहले भी विभिन्न चुनाव में मतदान करने का अवसर मिला था, लेकिन लोकसभा चुनाव में मतदान करने के लिए उनमें काफी अधिक उत्साह था।
– सुचेता कृपलानी- नई दिल्ली-किसान मजदूर प्रजा पार्टी
– दिल्ली शहर- राधा रमन-कांग्रेस
– बाहरी दिल्ली- सीके नायर नवल प्रभाकर -कांग्रेस
– पहले लोकसभा चुनाव में तीन क्षेत्रों में चार सांसद बनने के लिए मैदान में उतरे 19 उम्मीदवारों में से 11 की जमानत जब्त हुई थी। इन 11 उम्मीदवारों में सात नेता मत प्राप्त करने के मामले में 10 हजार का आंकड़ा भी पार नहीं कर सके थे।
– चुनाव में चारों सांसदों के दावेदारों में पहले व दूसरे स्थान पर रहे उम्मीदवारों की ही जमानत बची थी।
– 6,55,900 मतदाताओं ने मत का इस्तेमाल किया था
– 02 उम्मीदवारों ने एक-एक लाख से अधिक मत प्राप्त किए
– 01 महिला उम्मीदवार थीं जो जीतने में सफल रहीं।