ब्लिट्ज इंडिया ब्यूरो

नई दिल्ली। पत्रकारिता के कुछ मान्य सिद्धांत हैं जिनमें विश्वसनीयता, निष्पक्षता, संवेदनशीलता एवं समाज के प्रति उत्तरदायित्व भी शामिल हैं। उत्तरदायित्व इस बात का कि सही और तथ्यात्मक खबर ही समाज के समक्ष रखी जाए जिसमें विश्वसनीयता अवश्य हो। पर ऐसा लगता है कि ब्रिटेन की मीडिया कंपनी ब्रिटिश ब्रॉडकॉस्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री बनाते समय इन सारे सिद्धांतों को भुला कर पूर्वाग्रहों से ग्रस्त होने के कारण पथभ्रष्ट हो गया है और देश और दुनिया में विरोध के साथ-साथ बीबीसी की विश्वसनीयता पर सवाल भी उठ रहे हैं। यही नहीं, स्वयं ब्रिटेन में भी बीबीसी की तीखी आलोचना हो रही है और उसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए गए हैं।
इसके अलावा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भी पाकिस्तान मूल के लेबर पार्टी के सांसद इमरान हुसैन द्वारा वहां की संसद में उठाए गए बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के मुद्दे पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक अपने समकक्ष नरेंद्र मोदी के बचाव में खड़े नजर आए। उन्होंने कहा कि इस पर यूके सरकार की स्थिति स्पष्ट और लंबे समय से चली आ रही है और बदली नहीं है। सुनक ने कहा, ‘निश्चित रूप से हम उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं करते हैं, चाहे यह कहीं भी हो, लेकिन मैं उस चरित्र-चित्रण से बिल्कुल सहमत नहीं हूं, जो नरेंद्र मोदी को लेकर सामने रखा गया है।’
भारतीय विदेश मंत्रालय की तीखी प्रतिक्रिया
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री के बारे में भारत के विदेश मंत्रालय ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। बीबीसी द्वारा रिलीज डॉक्यूमेंट्री को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हमें लगता है कि यह एक प्रोपोगेंडा का हिस्सा है। इसकी कोई वस्तुनिष्ठता नहीं है। उन्होंने इसे पक्षपातपूर्ण बताते हुए कहा कि ‘ध्यान दें कि इसे भारत में प्रदर्शित नहीं किया गया है।’
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि हमें लगता है कि यह एक प्रचार सामग्री है, जिसे एक विशेष कहानी को आगे बढ़ाने के लिए बनाया गया है। इसमें पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि यह फिल्म या डॉक्यूमेंट्री उस एजेंसी और व्यक्तियों का एक प्रतिबिंब है जो इस कहानी को फिर से फैला रहे हैं। डॉक्यूमेंट्री सीरीज में ब्रिटेन के पूर्व सचिव जैक स्ट्रॉ द्वारा की गई टिप्पणियों का जिक्र करते हुए बागची ने कहा कि ऐसा लगता है कि वह (जैक स्ट्रॉ) ब्रिटेन की कुछ आंतरिक रिपोर्ट का जिक्र कर रहे हैं। मैं उस तक कैसे पहुंच सकता हूं? यह 20 साल पुरानी रिपोर्ट है।
बागची ने डॉक्यूमेंट्री बनाने की बीबीसी की मंशा पर भी प्रश्न उठाया। उन्होंने कहा, ‘हम इसके मक़सद और इसके पीछे के एजेंडे पर सोचने को मजबूर हैं।’ डॉक्यूमेंट्री न केवल दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के दो बार लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री का अपमान करती है, बल्कि न्यायपालिका और संसद का भी अपमान करती है, जिसने श्री मोदी की गहन जांच की और उन्हें किसी भी तरह से दंगों में शामिल होने के आरोपों से बरी किया है। केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू का मत है कि देश में कुछ लोग बीबीसी को भारत के सुप्रीम कोर्ट से ऊपर मानते हैं। वे अपने मकसद के लिए, आकाओं को खुश करने के लिए देश की गरिमा और छवि को किसी भी हद तक कम करने को तैयार रहते हैं।