ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत में अब भगवान शिव के हथियार के नाम पर एक रॉकेट सिस्टम बनाया जा रहा है। यह लंबी दूरी का गाइडेड रॉकेट सिस्टम है जिसका नाम रखा गया है ‘महेश्वरास्त्र’। पौराणिक कथाओं में जिक्र है कि भोलेनाथ के पास भी ऐसा ही हथियार था जिसमें उनकी तीसरी आंख की ताकत थी। वह किसी को भी जलाकर राख करने की क्षमता रखता था। ‘महेश्वरास्त्र’ को बना रही है सोलार इंडस्ट्रीज। इसके दो वर्जन बनाए जा रहे हैं- महेश्वरास्त्र-1 और महेश्वरास्त्र-2 । पहले की रेंज 150 किलोमीटर और दूसरे की 290 किलोमीटर होगी।
डेढ़ वर्ष में होगा तैयार
ये डेढ़ साल में बनकर तैयार हो जाएंगे। फिलहाल इस प्रोजेक्ट पर तीन सौ करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इसकी गति ही इसकी सबसे बड़ी मारक क्षमता है। यह आवाज की गति से चार गुना ज्यादा गति से दुश्मन की ओर लपकेगी यानी 5680 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार। यह एक सेकेंड में करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय करेगा। दूसरा वर्जन ब्रह्मोस मिसाइल की टक्क र का होगा यानी दुश्मन के बचने का कोई चांस नहीं।
कमी पूरी करेगा
अभी पिनाका गाइडेड रॉकेट सिस्टम और सरफेस-टू-सरफेस मिसाइल(एसएसएम) के बीच के हथियार की कमी है पिनाका की रेंज 75 किलोमीटर है जबकि एसएसएम की 350 किलोमीटर है। इन दोनों के बीच जो कमी थी उसे ‘महेश्वरास्त्र’ गाइडेड रॉकेट सिस्टम पूरा करेगा। ये दोनों ही मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम से दागे जाने वाले रॉकेट्स होंगे। इन्हें टैक्टिकल बैलिस्टिक मिसाइल सिस्टम में भी गिना जा सकता है। यह एम142हिमार्स ( हाई मोबिलिटी आर्टिलरी राकेट सिस्टम) जैसा ही होगा। यानी भारत को ऐसे मल्टीपल रॉकेट सिस्टम खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जो पहले से हैं वो अपडेट होंगे। नए अपने देश में ही बनेंगे। इससे रक्षा क्षेत्र का खर्च बचेगा और देसी कंपनियों को लाभ मिलेगा।
हर मौसम में करेगा मार
यह हर मौसम में मार करने वाले रॉकेट्स होंगे। यानी किसी भी मौसम, किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में इन्हें दागा जा सकता है। इनमें पारंपरिक हथियार लगाए जाएंगे जो सैन्य टुकड़ी, बंकर, टैंक, बख्तरबंद वाहनों को नेस्तनाबूद करेंगे। यह अगर पाक या चीन सीमा पर तैनात कर दी गई तो दुश्मन की हालत पस्त हो जाएगी।