-हरित ऊर्जा व हरित क्रांति ही इस समस्या के समाधान की तरफ आगे ले जाएगी। कॉप-27 में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने विश्व के समक्ष कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जटिल जलवायु परिवर्तन की समस्या का सरल समाधान हरित क्रांति के रूप में प्रदान किया है।
बेमौसम बाढ़, और सूखे से भारत पिछले कई सालों से परेशान है। अब पहले जैसे मौसम नहीं रहे, कभी भी बरसात और सर्द-गर्म का एहसास होने लगता है। विशेषज्ञ इसके पीछे जलवायु परिवर्तन को एक बड़ा कारण मानते हैं। अब भारत को कॉप-27 के जरिए इस समस्या के हल के लिए विकसित देशों से सकारात्मक पहल किए जाने की उम्मीद है। कॉप-27 क्या है और यह कैसे जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर समस्याओं से निजात दिलाएगा, यह एक विचारणीय मुद्दा है।
कॉप-27 का मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन को रोकने की दिशा में प्रयास करना है। कार्बन उत्सर्जन, अनुकूलन, क्लाइमेट फाइनेंस ये 3 विशेष मुद्दे हैं। चिंता की बात यह है कि जलवायु परिवर्तन से वैश्विक तापमान लगातार बढ़ रहा है, बेमौसम बाढ़ एवं सूखा पड़ने से किसान परेशान हो रहे हैं। पानी की कमी, उपज में गिरावट, भोजन की असुरक्षा और प्रदूषण का बढ़ता खतरा दिनोंदिन गंभीर होता जा रहा है। साथ ही गरीबी भी बहुत तेजी से अपने पांव फैला रही है। ये सभी चिंतन का विषय हैं।
कॉप-27 की बैठक में शामिल होने से पहले केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा था कि भारत विकासशील देशों के लिए फाइनेंस और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की मांग विकसित देशों से करेगा ताकि विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मदद मिल सके। इसके अलावा सार्वजनिक और निजी फाइनेंस को अलग करने के बारे में बात करते हुए पर्यावरण मंत्री ने कहा था कि भारत इस बारे में स्पष्टीकरण मांगेगा, चाहे वह अनुदान हो, ऋण हो या सब्सिडी। इन सभी मुद्दों को सम्मेलन में उठाए जाने की बात कही गई थी। अब इन मुद्दों के समाधान में कितनी सफलता मिल पाएगी और क्या नतीजे निकलते हैं यह देखना होगा।
आज जलवायु परिवर्तन की स्थिति इतनी गंभीर होती जा रही है कि जब खेती को पानी की जरूरत हो, और बरसात ना हो तो नुकसान होता है तथा जब पानी की आवश्यकता ना हो, और मूसलाधार बरसात हो जाए तब भी फसल खराब हो जाती है। वस्तुत: पिछले कुछ सालों से ऐसा ही हो रहा है। 2022 में इंग्लैंड और पूरा यूरोप गर्मी से परेशान रहा। भारत के अलग-अलग इलाकों में खूब बारिश हुई तो कई इलाकों में बारिश ना होने के कारण धान की बुआई भी नहीं हो पाई। पाकिस्तान में भी कुछ ऐसी ही हालत देखी गई। इन सब के पीछे जलवायु परिवर्तन एक महत्वपूर्ण वजह है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में लगभग 5.5 करोड़ लोग हर साल सूखे से प्रभावित होते हैं सूखे की वजह से बीमारी और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है जिससे बड़े पैमाने पर पलायन होता है। 2022 में दुनिया के कई देशों में बाढ़ का कहर रहा। पाकिस्तान में बाढ़ से 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। नाइजीरिया के 18 राज्य हद से ज्यादा बाढ़ की चपेट में आ गए जिसमें 600 से अधिक लोग मर गए और 10 लाख से अधिक लोग पलायन कर गए। ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में बाढ़ से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है और वहां के हजारों लोगों को घर छोड़ना पड़ा। बहुत ज्यादा चारागाहों का बनना, जंगलों की कटाई और बढ़ते शहरों की वजह से पृथ्वी का 40 फीसद भाग खराब हो चुका है। दुनिया भर के सभी महाद्वीपों में सिंचाई वाली भूमि का 20 से 50 प्रतिशत हिस्सा इतना नमकीन हो चुका है कि वहां उपज मुश्किल होती जा रही है।
आगामी वर्षों में जलवायु परिवर्तन के साथ ही दुनिया के कई जगहों में पानी की भी समस्या देखने को मिली है। केपटाउन को 2017 में भारी जलसंकट से जूझना पड़ा था। ऐसी ही समस्या चेन्नई के लोगों को भी हुई थी। गर्मी ने भी तहलका मचा रखा है। अफ्रीका के उप-सहारा क्षेत्र से लेकर अंटार्कटिका तक तापमान में तेजी आई है। ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन, प्रदूषण, जंगल की कटाई सहित वो सभी भयानक चीजें जो हम कर रहे हैं उसकी वजह से धरती के तापमान में लगातार तेजी आ रही है। भारत में भी गर्मी का स्तर बीते कुछ वर्षों में बढ़ा है और लोगों के लिए मुसीबत का कारण बना है। आज जलवायु परिवर्तन की स्थिति इतनी गंभीर होती जा रही है कि जब आपकी खेती को पानी की जरूरत हो, और बरसात ना हो तो नुकसान होता है तथा जब पानी की आवश्यकता ना हो, और मूसलाधार बरसात हो जाए तब भी फसल खराब हो जाती है। वस्तुत: पिछले कुछ सालों से ऐसा ही हो रहा है। 2022 में इंग्लैंड और पूरा यूरोप गर्मी से परेशान रहा। भारत के अलग-अलग इलाकों में खूब बारिश हुई तो कई इलाकों में बारिश ना होने के कारण धान की बुआई भी नहीं हो पाई। पाकिस्तान में भी कुछ ऐसी ही हालत देखी गई। इन सब के पीछे जलवायु परिवर्तन एक महत्वपूर्ण वजह है।
मानव सभ्यता इस वक्त बड़े संकट में है। भारत ने जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में हरित ऊर्जा की वकालत की है। हरित क्रांति एक सुखद अहसास है। हरित ऊर्जा व हरित क्रांति ही इस समस्या के समाधान की तरफ आगे ले जाएगी। कॉप-27 में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने विश्व के समक्ष कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जटिल जलवायु परिवर्तन की समस्या का सरल समाधान हरित क्रांति के रूप में प्रदान किया है। संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने भी चेताया कि इस धरती को बचाने का वक्त यही है, अगर अब भी नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ी को नरक की आग में धकेलने के लिए हम तैयार रहें।
जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याओं का जाल इसकदर तेजी से बढ़ रहा है कि इससे अब अगर तुरंत न निपटा गया तो समस्याएं हल करना मुश्किल हो जाएगा। इसके लिए धन की भी जरूरत होगी। कॉप-27 में क्लाइमेट फाइनेंस भी बड़ा विषय है क्योंकि बिना पैसे के सभी योजनाएं धरी की धरी रह जाएंगी। विकासशील देशों ने पर्याप्त फंडिंग के लिए विकसित देशों से आग्रह करने का विचार किया है। सम्मेलन में विकसित देशों द्वारा प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर मुहैया कराए जाने का वादा चर्चा का केंद्र बिंदु है जो अभी पूरा नहीं किया गया है। अब जब जलवायु परिवर्तन पर दुनिया के महत्वपूर्ण और जिम्मेदार लोग एक साथ बैठ रहे हैं तो उम्मीद जरूर की जानी चाहिए कि कुछ न कुछ सकारात्मक एवं खास नतीजा तो अवश्य निकल ही सकता है।