नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बाद पूरी दुनिया एक साथ कई चुनौतियों से जूझ रही है। ऐसे में भारत के पास जी20 की अध्यक्षता का अवसर आया है। नेतृत्व के सटीक विजन और दूरगामी नीति-रणनीति के चलते भारत ने हर चुनौती को कुछ सीखने, कुछ कर दिखाने के अवसर में तबदील करके दिखाया है। इसी के कारण आज विश्व में भारत की छवि प्रभावशाली अगुआ की बन चुकी है। दुनिया में मुद्दों की भरमार है लेकिन भारत को दुनिया संकटमोचक के रूप में देख रही है।
चुनौतियों की भरमार
फरवरी 2022 से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण चुनौतियां और भी बढ़ गई हैं। विश्व आज मंदी, जीडीपी में संकुचन और बढ़ती महंगाई से जूझ रहा है। जलवायु परिवर्तन एक बड़ी समस्या के रूप में उभर रहा है। एक अहम मुद्दा वैश्विक संस्थाओं की पुनर्रचना का भी है।
बदलाव की जरूरत
दूसरे विश्व युद्ध के बाद अस्तित्व में आए विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जिनमें विकसित देशों का वर्चस्व है, में बदलाव की जरूरत है।
भारत के लिए बड़ा अवसर
विश्व में पैदा हुए खाद्यान्न और ऊर्जा संकट की तमाम चुनौतियों के बीच भारत में जी-20 के विदेश मंत्रियों का सम्मेलन दिल्ली में हुआ। भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है। भारत पिछले कुछ वर्षों से ‘ग्लोबल साउथ’ यानी विकासशील देशों की प्रभावशाली अावाज के रूप में उभर रहा है। भारत के लिए इससे बेहतर अवसर और कोई नहीं हो सकता। दुनिया की 85 प्रतिशत जीडीपी जी-20 देशों में आती है और विश्व की कुल जनसंख्या का दो-तिहाई इन देशों में निवास करता है। विश्व के कुल व्यापार का 75 प्रतिशत हिस्सा भी जी-20 देशों के पास है। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत इस समय दुनिया में एक सशक्त आवाज बन चुका है।
भारत की आवाज को अब नजरंदाज नहीं किया जा सकता। भारत का कहना है कि वैश्विक चुनौतियों से आपस में लड़कर नहीं बल्कि आपस में मिलकर निपटा जा सकता है।
यूक्रेन मुद्दे पर शांति प्रक्रिया में योगदान को भारत तैयार : मोदी
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि यूक्रेन में घटनाक्रम शुरू होने के समय से ही भारत ने संवाद और कूटनीति के माध्यम से इस विवाद को सुलझाने पर जोर दिया है और वह किसी भी शांति प्रक्रिया में योगदान देने के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘कोविड महामारी और यूक्रेन संघर्ष के प्रभाव पूरे विश्व पर पड़े हैं। विकासशील देशों पर इसका विशेष रूप से नकारात्मक प्रभाव रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम इस बात से सहमत हैं कि इन समस्याओं का समाधान संयुक्त प्रयासों से ही संभव है और जी20 की अध्यक्षता करने के दौरान भी भारत इस दिशा में प्रयास कर रहा है।’’