नई दिल्ली। जैसे – जैसे भारत उत्तरोत्तर विकास की ओर अग्रसर है; देश के समक्ष चुनौतियां भी उतनी ही बढ़ती जा रही हैं। आज जहां बड़े-बड़े देश आर्थिक मोर्चे पर संघर्षरत और अपने अंदरूनी मामलों को निपटाने में उलझे हुए हैं वहीं भारत इन कठिन परिस्थितियों में भी आर्थिक विकास के पथ पर अग्रसर है। साथ ही वह आत्मनिर्भरता की ओर भी मजबूती से कदम बढ़ा रहा है जो बहुतों को रास नहीं आ रहा होगा।
आतंकवाद, साइबर क्राइम, सोशल मीडिया पर लेखन के जरिए देश के खिलाफ दुष्प्रचार और अराजक तत्वों द्वारा तकनीक का बढ़ता दुरुपयोग भी एक नई चुनौती के रूप में उभर रहा है। इसप्रकार भारत के सामने आज अंदर और बाहर, दोनों तरफ से चुनौतियां हैं जिनके समक्ष वह अटल और अडिग खड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी विगत दिवस इस दिशा में चेताते हुए बोले थे कि भारत के दुश्मन हमारी एकता को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लिहाजा इस तरह के प्रयासों के खिलाफ हिन्दुस्तान को दृढ़ता से खड़ा होना चाहिए। देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ के अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि भारत के लिए एकता कभी भी एक आवश्यकता नहीं रही है बल्कि यह इसकी विशिष्टता रही है। आज से नहीं बल्कि सैकड़ों वर्षों पहले गुलामी के लंबे कालखंड में भी हमारी एकता देश के दुश्मनों को चुभती रही। इसलिए जितने भी विदेशी आक्रांता आए, सभी ने भारत में विभेद पैदा करने के लिए हर मुमकिन कोशिश की। इसलिए हमें आज बहुत सावधान भी रहना है।
मोदी ने कहा कि अतीत की तरह ही भारत के उत्कर्ष और उत्थान से परेशान होने वाली ताकतें आज भी मौजूद हैं। वो आज भी हमें जातियों के नाम पर तोड़ने, बांटने की हर कोशिश करती हैं। प्रांतों और भाषा के नाम पर हमें लड़ाने की कोशिश होती है। कभी एक भारतीय भाषा को दूसरी भारतीय भाषा का दुश्मन बताने के लिए अभियान चलाए जाते हैं। इतिहास को भी इस तरह पेश किया जाता है ताकि देश के लोग जुड़ें नहीं, बल्कि एक दूसरे से दूर हों।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि देश को कमजोर करने वाली ताकतें हमेशा खुले दुश्मन के रूप में ही आएं। कई बार ये तुष्टीकरण के रूप में, कभी परिवारवाद के रूप में, कभी लालच और भ्रष्टाचार के रूप में दरवाजे तक दस्तक दे देती हैं, जो देश को बांटती और कमजोर करती हैं। लेकिन हमें उन्हें जवाब देना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर सरदार पटेल जैसे नेताओं ने भारत के एकीकरण का नेतृत्व नहीं किया होता तो स्थिति की कल्पना करना मुश्किल है। क्या होता अगर साढ़े पांच सौ से ज्यादा रियासतें एकजुट नहीं हुई होतीं। ये कठिन व असंभव कार्य, सिर्फ और सिर्फ सरदार पटेल ने ही सिद्ध किया।
आतंकवाद के संदर्भ में पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश में बंदूक वाला नक्सलवाद और कलम वाला नक्सलवाद दोनों ही हैं। हमें इनसे एकजुट होकर लड़ना होगा। बंदूक वाला और कलम वाला नक्सलवाद भी देश के लिए बड़ा खतरा है। इससे निपटने के लिए लॉ एंड ऑर्डर सिस्टम को स्मार्ट होना होगा। आज इंटर स्टेट और इंटरनेशनल क्राइम हो रहे हैं। इसके लिए सभी राज्यों व केंद्र की एजेंसियों के बीच समन्वय जरूरी है। आतंकवाद, हवाला और भ्रष्टाचार पर सरकार द्वारा सख्ती दिखाई जा रही है। अब बंदूक वाले नक्सलवाद और कलम वाले नक्सलवाद की काट निकालना जरूरी है। ये युवा पीढ़ी को भृमित रहे हैं। पीएम ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और नार्थ ईस्ट में विकास के चलते उग्रवादी मुख्य धारा में लौट रहे हैं।
देश व दुनिया के लिए चुनौतियों के संदर्भ में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा कि इंटरनेट और सोशल मीडिया आतंकियों की टूलकिट का अहम इंस्ट्रूमेंट बन गए हैं। जयशंकर ने दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद-रोधी समिति की बैठक में आतंकवादी समूहों की ओर से नई टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग का भी जिक्र किया।
‘ड्रोन के इस्तेमाल से बढ़ी चिंता’
विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवादी समूहों और संगठित आपराधिक नेटवर्कों की ओर से ड्रोन के इस्तेमाल ने दुनियाभर में सरकारों की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों के बावजूद आतंकवाद का खतरा बढ़ रहा है, खासतौर से एशिया और अफ्रीका में। भारत सरकार ने आईटी नियमों में बदलाव किया है। अब ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भारत की संप्रभुता के नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा। जयशंकर ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान और चीन पर भी जमकर निशाना साधा। एक आतंकवादियों को पालता है तो दूसरा उनके खिलाफ कार्रवाई में अड़ंगे लगाता है। भारत ने आतंकवाद से निपटने के लिए इस वैश्विक फोरम पर पांच लाख डॉलर का स्वैच्छिक योगदान देने की घोषणा भी की। वहीं एक रिकार्डेड संदेश में अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने कहा कि उनका देश भ्ाी 14 वर्षों से इस लड़ाई में भारत के साथ है। इसतरह भारत को चुनौतियों से निपटने में बाहरी सहयोग भी मिल रहा है पर हम तभी सुदृढ़ता से आगे बढ़ पाएंगे जब हम सब मिलकर इस लड़ाई को लड़ेंगे।