ब्लिट्ज ब्यूरो
चंडीगढ़। भारतीय रेलवे का विशाल नेटवर्क है जो देश के हर एक कोने तक पहुंच रखता है। यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे लगातार बड़े फैसले लेता है, जिससे ट्रेनों का सफर और सुखद बनाया जा सके। भारतीय रेलवे ने दशकों पूर्व अनूठी पहल की थी जिसे आज तक जारी रखा गया है। एक ऐसी ट्रेन चलाई गई जो अपने यात्रियों को मुफ्त यात्रा प्रदान करती है। यह ट्रेन भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड द्वारा चलाई जाती है और पंजाब और हिमाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित भाखड़ा और नंगल के बीच एक विशिष्ट मार्ग पर चलती है।
बिना टीटीई की ट्रेन
एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण का केंद्र है भाखड़ा-नंगल बांध, जो दुनिया में सबसे ऊंचे सीधे बांध के लिए जाना जाता है और यह इसी मार्ग पर स्थित है। बांध को देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से आते हैं और वे वहां जाने के लिए मुफ्त ट्रेन का सफर कर सकते हैं। ट्रेन शिवालिक पहाड़ियों और सतलुज नदी के बीच से 13 किलोमीटर की दूरी तय करती है। यह ट्रेन लकड़ी के डिब्बों से बनी है और इसमें टीटीई नहीं होता।
अब हुए ये बदलाव
शुरुआत में जहां ट्रेन में 10 कोच थे लेकिन अब केवल 3 हैं। यह भाप के इंजन से चलती थी लेकिन अब डीजल से चलती है। ट्रेन अपने मार्ग में कई स्टेशनों और तीन सुरंगों से होकर गुजरती है और हर दिन लगभग 800 लोगों द्वारा इसका उपयोग किया जाता है, जिसमें कई छात्र भी शामिल हैं।
विरासत बड़ी चीज
2011 में वित्तीय घाटे के कारण मुफ्त सेवा समाप्त करने पर विचार किया था, लेकिन अंततः परंपरा को जारी रखने और ट्रेन को आय के स्रोत के बजाय विरासत के रूप में देखने का निर्णय लिया। भाखड़ा-नंगल बांध का निर्माण 1948 में शुरू हुआ था और ट्रेन का उपयोग श्रमिकों और मशीनरी को साइट पर ले जाने के लिए किया गया था। बांध को आधिकारिक तौर पर 1963 में खोला गया था और तब से पर्यटक अपनी यात्रा के हिस्से के रूप में मुफ्त ट्रेन यात्रा का आनंद ले रहे हैं।