ब्लिट्ज ब्यूरो
रेडियो की दुनिया के बेताज बादशाह रहे अमीन सयानी जी को हम देशवासियों की ओर से ‘ब्लिट्ज इंडिया’ का आखिरी सलाम और अंतिम विनम्र श्रद्धांजलि।
अमीन सयानी की आवाज हमेशा के लिए भले ही शांत हो गई हो लेकिन यकीन मानिए ये आवाज कभी बंद होने वाली नहीं है। ‘ब्लिट्ज इंडिया’ ने एक खास कार्यक्रम में उनको अंतिम सलाम और उनकी आखिरी सीख में बताया कि अमीन सयानी नये भारत के अपने हुनरमंद नौजवानों के लिए अपनी काबिलियत और नसीहत का बहुत बड़ा और खुला खजाना छोड़ गये हैं। इससे हमारे नौजवानों को कितनी बड़ी सीख और कितना बड़ा रोजगार मिलेगा, इसका अनुमान लगा पाना बहुत ही मुश्किल है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमीन सयानी के न रहने पर दुख व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा, रेडियो पर अमीन सयानी की मखमली आवाज़ में एक आकर्षण और गर्मजोशी थी जिससे उन्होंने हर पीढ़ी के लोगों को अपना बना लिया था। उन्होंने भारतीय प्रसारण में क्रांति लाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
गृह मंत्री अमित शाह ने भी, सयानी के न रहने पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि सयानी जी के जाने से एक खालीपन पैदा हुआ है जिसे भरना मुश्किल है।
1932 में जन्मे अमीन सयानी ने अपने 63 साल के मेहनत भरे, शानदार सफर में लगभग 58 हज़ार प्रोग्राम, 30 हज़ार स्पॉट्स और जिंगल्स बनाकर रेडियो की दुनिया में अपना एक अलग सिक्का जमाया था।
अब आपको बताते हैं कि 1952 से 1988 तक रेडियो सिलोन पर ‘बिनाका गीतमाला’ को शुरू करने वाले अमीन सयानी का अन्दाज़ कुछ इस तरह का होता था- ‘बिनाका गीतमाला’ सुनने वाले सभी संगीत प्रेमियों को सलाम। उपस्थित है आपका दोस्त, आपका साथी अमीन सयानी। तो आइए बहनों और भाइयों गाना है फिल्म ‘जानेमन’ से और लता मंगेशकर कह रही हैं- ‘आयेगी, आएगी, आएगी, किसी को हमारी याद आएगी।’
‘बिनाका गीतमाला’ रेडियो का एक ऐसा कार्यक्रम था जिसका लोग शिद्दत के साथ इंतज़ार किया करते थे। एक घंटे के इस प्रोग्राम से देश भर में सभी जगहों पर घर, बाज़ार, दुकानों, स्कूल और यूनिवर्सिटीज़ के हॉस्टलों तक में हर उम्रवाले रेडियो प्रेमी गानों की खूबसूरत रोमांटिक दुनिया में खो जाते थे। ऐसी थी अमीन सयानी जी की वह सम्मोहित करने वाली आवाज़ और उनका दिलो-दिमाग में छाने वाला प्रेजेंटेशन।
बताया जाता है कि अमीन सयानी जी की बुलंदी के समय में उन्हें हर हफ़्ते लगभग 20 करोड़ लोग केवल भारत में ही नहीं, बल्कि एशिया, साउथ ईस्ट अफ्रीका और मॉरीशस तक में कान लगाकर सुनते थे। उनकी दीवानगी का आलम यह था कि अमीन सयानी जी को हर हफ्ते लगभग 60 हजार श्रोताओं के पत्र प्राप्त होते थे।
उनकी जादुई और लहराती आवाज़ से फ़िल्मों के इंट्रोडक्शन के साथ शुरू हुए गानों को सुनने से ऐसा लगता था मानों आप किसी ख़ुशबू भरे बगीचे में सैर के लिए आ गये हों।
अमीन सयानी की विशेषता थी कि वह बुलंदियों पर पहुंची अपनी साख और और शख़्सियत के बावजूद, दूसरों से इस कदर शालीनता से मिलते थे कि लोग उनके क़ायल हो जाते थे।
आठ बरस की उम्र से ही जुड़ गए थे रेडियो से
अमीन साहब रेडियो की दुनिया से आठ बरस की उम्र में ही जुड़ गए थे। हालांकि, कमर्शियल ब्रॉडकास्टिंग की शुरुआत 1951-52 के आसपास एकाएक हुई, जब रेडियो सिलोन के ‘ओवल्टीन फुलवारी’ कार्यक्रम में प्रायोजक का संदेश बोलने वाला उद्घोषक नहीं आ सका। प्रोग्राम के प्रोड्यूसर ने युवा अमीन को संदेश पढ़ने के लिए कह दिया, जो उन्हें कुछ इतना पसंद आया कि वे हर हफ्ते उन्हीं से इसे पढ़वाने लगे।
गांधी जी द्वारा सुझाई गई सरल हिंदुस्तानी भाषा का प्रयोग करके उन्होंने लोगों के दिल में जगह बनाई।
पार्श्वगायक बनना चाहते थे
कम लोगों को ही पता होगा कि सयानी साहब असल में पार्श्वगायक बनना चाहते थे। यह बात उन्होंने किशोर कुमार को भी बताई थी लेकिन बात बनी नहीं।
अमिताभ ऑडिशन देने आए पर नहीं मिले अमीन
अमीन सयानी और सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के बीच का एक क़िस्सा आज भी बहुत मशहूर है। फ़िल्म इंडस्ट्री के इस सच्चे किस्से को अमीन सयानी भी खूब सुनाया करते थे। सच्ची बात यह है कि अमिताभ बच्चन बिना अपॉइंटमेंट लिए रेडियो स्टूडियो में अपना ऑडिशन देने के लिए गये थे। उस समय अमीन सयानी प्रोग्राम में व्यस्त होने के कारण, अमिताभ बच्चन से नहीं मिल सके।
कई साल बाद अमीन साहब ने अमिताभ बच्चन और अपने दोस्तों को बताया कि अच्छा हुआ कि उस वक्त, मैं अमिताभ से नहीं मिला। अगर मिल लेता तो दुनिया को अमिताभ बच्चन जैसा महानायक नहीं मिलता। समय के बलवान होने का इससे बड़ा और जीवंत उदाहरण आपको आज की दुनिया में नहीं मिल सकता है।