भारत की आजादी के 75वें वर्ष में पूरी दुनिया ने यह भलीभांति स्वीकार कर लिया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक ‘चमकता सितारा’ है क्योंकि कोविड-19 और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर व्यापक सुस्ती दर्ज किए जाने के बावजूद भारत की आर्थिक विकास दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह बात दीगर है कि अमेरिका द्वारा संचालित अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ने भारत की विकास दर 6.1 फीसद रहने की बात कही जो कि सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सर्वाधिक है। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केन्द्रीय बजट 2023-24 पेश करते हुए ठीक ही कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था बिल्कुल तेजी से आगे बढ़ रही है और मौजूदा समय में तरह-तरह की चुनौतियां रहने के बावजूद भारत उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर है। सरकार के धुर विरोधी और आलोचक भी दबी जुबान से कह रहे हैं कि चुनावी लोक लुभावन बजट के बावजूद आठ साल बाद आयकर में बदलाव और उसमें कटौती मिडिल क्लास को राहत देगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बजट से पहले ही इशारों में कह चुके थे कि बजट समावेशी होगा ताकि देश विश्व की पांचवीं अर्थव्यवस्था से भी आगे बढ़ सके। बजट पेश होने के बाद मोदी ने खुलकर अपनी भावना को साझा भी कर दिया। मोदी ने कहा कि यह मिडिल क्लास की उम्मीदों वाला बजट है तथा इसमें गांव, गरीब और किसानों का भी पूरा ध्यान रखा गया है। अमृत काल का पहला बजट विकसित भारत के विराट संकल्प को पूरा करने के लिए एक मजबूत नींव का निर्माण करेगा । उन्होंने कहा कि ये बजट वंचितों को वरीयता देता है। ये बजट आज के आकांक्षी समाज, गांव, गरीब, किसान, मध्यम वर्ग सभी के सपनों को पूरा करेगा।
काफी शिद्दत से सरकार से यह उम्मीद की जा रही थी कि पिछले बजट में डाली गई मजबूत नींव और आजादी की सौंवीं वर्षगांठ पर 2047 में जिस समृद्ध एवं समावेशी भारत की परिकल्पना की गई है, के लिए तैयार किए गए ब्लूप्रिंट के सहारे भारत एक ऐसे मुकाम पर पहुंच जाएगा जहां आर्थिक विकास के फल सभी क्षेत्रों एवं समस्त नागरिकों, विशेषकर हमारे युवाओं, महिलाओं, किसानों, ओबीसी, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों तक निश्चित रूप से पहुंच जाएंगे।
मोदी सरकार के अमृत काल का पहला बजट वाकई एक समृद्ध और समावेशी भारत की कल्पना को साकार करने की दिशा में उठाए गए एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है। सरकार पर लोगों का भरोसा बढ़ा है। भारतीय अर्थव्यवस्था अब 10वें नंबर से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनी, देश में प्रति व्यक्ति आय बढ़कर दोगुनी हुई। बजट में सरकार ने जो सात प्राथमिकताएं गिनाई हैं, वे सप्तर्षि की अवधारणा पर आधारित हैं। इनमें समावेशी वृद्धि, हरित विकास, युवा शक्ति, वित्तीय क्षेत्र, अंतिम छोर तक पहुंच, बुनियादी ढांचे का विकास और क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल शामिल करने की बातें कही गई हैं।
जेएनयू में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक प्रवीण झा ने कहा कि टैक्स छूट में बदलाव से स्थिति में बदलाव होगा। अब 7 लाख रुपए तक की आय पर टैक्स बढ़ने से मिडिल क्लास को काफी राहत मिलेगी। पहले 2.5 लाख रुपये तक टैक्स स्ट्रक्चर में शून्य था। इसमें 50 हजार रुपए का इजाफा होने से नौकरी करने वालों को कागजात जुटाने की मुश्किलों से राहत मिलेगी। आयकर स्लैब की संख्या छह से घटाकर पांच की गई। तीन से छह लाख रुपये तक 5 प्रतिशत और छह से नौ लाख रुपये तक 10 प्रतिशत, नौ लाख रुपये से 12 लाख रुपये तक 15 प्रतिशत और 12 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक 20 प्रतिशत और 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत कर लगेगा।
नीति आयोग के पूर्व उप सलाहकार आर पी सिंह कहते हैं कि इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि सरकार और भाजपा की तरफ से बजट की खूब प्रशंसा हो रही है और विपक्ष इसमें कमियां और बाल की खाल निकालने में पीछे नहीं रहेगा। लेकिन अगर शेयर बाजार को पैमाना माना जाए तो सेंसेक्स में बजट के बाद 1100 प्वाइंट से अधिक की बढ़ोतरी देखने को मिली और बाद में गिरावट भी आई। बुनियादी क्षेत्र में 10 लाख करोड़ का खर्च निश्चित रूप विकास को नयी दिशा प्रदान करेगा। इससे मांग बढ़ेगी रोजगार का सृजन होगा और यह बजट ऐतिहासिक और एक ‘विजन डॉक्यूमेंट’ है। आलोचक किसी मुगालते में न रहें।
एसोचैम के अध्यक्ष सुमंत सिन्हा के मुताबिक बजट को लेकर उद्योगपतियों का रिएक्शन काफी पॉजिटिव है। सभी को फायदा होगा। ईज ऑफ डूईं ंग बिजनेस बेहतर होगा। एमएसएमई सेक्टर की कंपनियों का कैशफ्लो आसान होगा। स्टार्टअप के लिए बजट में सरकार ने ध्यान रखा है। स्किल और एजुकेशन पर ध्यान दिया गया है। नर्सिंग कॉलेज से भी लोगों को रोजगार में लाभ मिलेगा। सरकार ने छोटे दुकानदारों का भी ध्यान रखा है। महिला सशक्तिकरण की दिशा में बजट को युगांतकारी माना जा सकता है। गांव में रहने वाली महिलाओं से लेकर शहरी महिलाओं के लिए सरकार ने अनेक कदम उठाए गए हैं। बजट में ऐसे अनेक कदमों को पूरी ताकत से आगे बढ़ाने की बात कही गयी है। इसके अलावा महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप भारत में बड़ी जगह अपने लिए ले चुका है जिन्हें सपोर्ट देने के लिए नई पहल बजट में की गई है। महिलाओं के लिए एक विशेष बजट योजना भी शुरू करने की बात कही गयी है। जनधन अकाउंट के बाद यह विशेष बचत योजना सामान्य परिवार की माताओं को बड़ा फायदा देने वाली साबित हो सकती है।