ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। जर्मनी के चांसलर की दो दिवसीय भारत यात्रा से अनेक क्षेत्रों में व्यापक संभावनाओं के द्वार खुले हैं। जर्मन चांसलर शोल्ज के भारत दौरे से साफ है कि भविष्य में दोनों देशों में स्वच्छ ऊर्जा, कारोबार और तकनीक के क्षेत्र में सहयोग बढ़ेगा। सुरक्षा और रक्षा सहयोग के नए पहलुओं पर भी दोनों देश फोकस करेंगे। वह दो दिवसीय यात्रा पर दिल्ली आए थे। भारत- जर्मनी के बीच सहयोग बढ़ने से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबाव को रोकने में मदद मिलेगी। इस दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े सभी आयामों के साथ ही महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई। एंजेला मर्केल के 16 साल के ऐतिहासिक कार्यकाल के बाद दिसंबर, 2021 में ओलाफ शोल्ज जर्मनी के नए चांसलर बने थे। चांसलर बनने के बाद यह पहली भारत यात्रा थी।
सामरिक गठजोड़ और मजबूत : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मनी के चांसलर ने 25 फरवरी को ही द्विपक्षीय वार्ता कर आपसी संबंधों को नई ऊंचाई देने पर सहमति जताई। स्वच्छ ऊर्जा, कारोबार, निवेश, रक्षा और नई प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन समेत अलग-अलग क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के उपायों पर चर्चा की थी। बैठक में रूस-यूक्रेन युद्ध और हिन्द- प्रशांत क्षेत्र की स्थिति पर भी विस्तार से बातचीत हुई जो परस्पर सहयोग और व्यापार संबंधों को बढ़ाने के तरीकों पर केंद्रित थी। इस दौरान दोनों देशों ने नवीकरणीय ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन और जैव ईंधन जैसे क्षेत्रों में साथ काम करने का फैसला किया।
साझा प्रेस कांफ्रेंस : साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने कहा कि बदलते समय की आवश्यकताओं के अनुसार, भारत-जर्मनी अपने संबंधों में नए और आधुनिक पहलू भी जोड़ रहे हैं। पिछले वर्ष पीएम मोदी की जर्मनी की यात्रा के दौरान दोनों देशों ने ग्रीन एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट पार्टनरशिप (हरित और टिकाऊ विकास गठजोड़) की घोषणा की थी। पीएम मोदी ने जोर दिया कि सुरक्षा और रक्षा सहयोग भारत-जर्मनी के बीच सामरिक साझेदारी क महत्वपूर्ण स्तंभ बन सकता है। दोनों देशों ने इस पर भी सहमति जताई कि सीमा पार आतंकवाद को खत्म करने के लिए ठोस कार्रवाई जरूरी है। आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और जर्मनी के बीच सक्रिय सहयोग रहा है और ये आगे भी जारी रहेगा।