ब्लिट्ज इंडिया
नई दिल्ली। वैश्विक पटल पर आज भारत का रुतबा और दबदबा, दोनों में इजाफा हुआ है। गत दो-तीन सालों में भारत की विदेश नीति में महत्वपूर्ण बदलाव आया है। वैश्विक मुद्दों पर भारत अपने हित में स्वतंत्र रुख अपना रहा है। बीते दिनों ताइवान-चीन तनाव, यूक्रेन युद्ध और रूस से तेल लेने जैसे अहम मामलों में भारत ने स्वतंत्र रुख अपनाया। भारत ने अमेरिका सहित कई देशों के दबाव को दरकिनार कर रूस से तेल आयात भी जारी रखा और शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के दौरान रूस के राष्ट्रपति पुतिन को सार्वजनिक रूप से यह सीख भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी कि ‘आज का युग युद्ध का नहीं’। इसमें कोई दो राय नहीं कि पीएम मोदी की नीतियों से विश्व में भारत का कद बहुत बढ़ा है।
-महाशक्ति बनेगा इंडिया : अमेरिका
वैश्विक कूटनीति के लिहाज से देखें तो शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ), संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और उसके बाद विश्व में सबसे शक्तिशाली समूह जी20 की अध्यक्षता से भारत प्रभावी मुकाम पर है। जी20 की अध्यक्षता भारत को कूटनीतिक, सामरिक एवं आर्थिक नजरिए से खास देशों को साधने तथा विकासशील देशों के सरोकारों को आगे बढ़ाने का व्यापक मंच एवं दुनिया में अग्रणी भूमिका निभाने और अपनी दीर्घकालिक छाप छोड़ने का स्वर्णिम मौका भी देगी।
अर्थ व्यवस्था की बात करें तो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मुखिया क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने एक टीवी चैनल से साक्षात्कार में कहा कि इंडिया सही राह पर है। वैश्विक वित्तीय सेवा फर्म मॉर्गन स्टेनली का अनुमान है कि वर्ष 2023 में एशियाई क्षेत्र में भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से बढ़ेगी। इस अवधि में भारत के सकल घरेलू उत्पाद की औसत 7 फीसद की वृद्धि की उम्मीद है जो एशियाई और वैश्विक विकास में क्रमशः 28 फीसद और 22 फीसद का योगदान देती है। इसके अलावा विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमानों के अनुसार भी भारत 2021-24 के दौरान विश्व की प्रमुख तीव्रगामी अर्थव्यवस्था बना रहेगा। इसके अलावा वैक्सीन कूटनीति ने भी भारत को एक जिम्मेदार वैश्विक नेता के रूप में उभरने का मौका दिया। पड़ोसी व ज़रूरतमंद देशों को वैक्सीन देकर भारत ने ‘वसुधैव कुटुंबकम ्’ के अपने मूल मंत्र को भी चरितार्थ किया जिसकी पूरे विश्व में प्रशंसा हुई और ब्राजील, कनाडा के अलावा डोमिनिकन गणराज्य और बारबाडोस जैसे जरूरतमंद देशों से भी मुखर सराहना मिली। सैन्य क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर भारत आज अपनी आवश्यकता पूर्ण करने के अलावा तमाम मुल्कों को उनकी जरूरत के हथियार मुहैया करा रहा है। अंतरिक्ष क्षेत्र में सफलताओं ने भी विश्व में भारत की धाक बनाई है।
विशेष महत्व के मंचों की अध्यक्षता की वजह से भारत कूटनीतिक ताकत बढ़ाने में भी सफल होगा और जी7 देशों में भी शामिल होने की राह आसान होगी। भारत विशेष मेहमान के रूप में इसमें बुलाया जाता है। जर्मनी में इसकी तीसरी बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन खुद बढ़कर पीएम मोदी से मिलने आए थे। ‘ऐस्पन सिक्योरिटी फोरम’ की बैठक में भारत को लेकर किए सवाल पर व्हाइट हाउस के एशिया मामलों के समन्वयक कैंपबेल ने कहा था कि भारत, अमेरिका का केवल एक सहयोगी नहीं होगा। वह एक स्वतंत्र, शक्तिशाली देश बनने की इच्छा रखता है तथा वह एक और महाशक्ति बनकर उभरेगा। इसके अलाव बाली के घोषणापत्र में यूक्रेन-रूस युद्ध खत्म करने तथा बातचीत और कूटनीति की ओर लौटने को लेकर जो सर्वसम्मति कायम हुई उसमें अहम भूमिका निभाने वाले पीएम मोदी ने भी यह ठान लिया लगता है कि भारत नेतृत्व की चुनौती पर खरा उतरे और अपनी जी20 अध्यक्षता के दौरान अमिट छाप छोड़े। समापन सत्र में मोदी ने विश्व के नेताओं से कहा था कि कोविड के बाद नई व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी अब हमारे कंधों पर है। मैं आप सबको भरोसा दिलाना चाहता हूं कि भारत की जी20 की अध्यक्षता समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और कार्रवाई-उन्मुख होगी। साथ मिलकर हम जी20 को वैश्विक बदलाव का उत्प्रेरक बनाएंगे। इंडोनेशिया की अध्यक्षता ‘रिकवर टुगेदर, रिकवर स्ट्रॉन्गर’ को लेकर थी, तो भारत की थीम ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ है जो ‘वसुधैव कुटुंबकम ्’ मंत्र का ही अंश है। यह दर्शाता है कि किस तरह देशों को एकजुट होने और उन बहुत से संकटों से मिलकर निबटने की जरूरत है, जो दुनिया के आगे मुंह बाए खड़े हैं। मोदी सरकार अपनी जी20 अध्यक्षता को सबसे कामयाब अध्यक्षताओं में से एक बनाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। इसी महीने से शुरू होकर दिसंबर, 2023 में ब्राजील को अध्यक्षता सौंपने तक भारत देश भर में फैली 56 जगहों पर जी20 की 200 से ज्यादा बैठकें आयोजित करेगा। ये जगहें उत्तर में श्रीनगर से दक्षिण में तिरुवनंतपुरम तक और पश्चिम में कच्छ के रण से पूरब में कोहिमा तक फैली हैं। इसके अलावा, कारोबार, विज्ञान, लैंगिक मुद्दों और स्टार्ट-अप जो भारत ने जोड़ा है; के क्षेत्र में गैर-सरकारी प्रतिनिधिमंडलों की 50 बैठकें व 25 सेमिनार तथा कार्यशालाएं भी होंगी। इसके जरिए ‘अतुल्य जी20’ और ‘अतुल्य भारत’ बनाने का पक्का इरादा मोदी सरकार का है। इन आयोजनों से भारत अपनी वैश्विक अहमियत साबित करने के अलावा कश्मीर पर पाकिस्तान के दुष्प्रचार का जवाब भी दे देगा।
नई दिल्ली। जी20 के लिए भारत के शेरपा और पीएम मोदी की तरफ से सभी बैठकों की देख-रेख करने वाले अमिताभ कांत का कहना है कि अच्छी अध्यक्षताएं तीन मूल स्तंभों पर काम करती हैं। एक राजनैतिक संचालन जो हम सर्वसम्मति और सम्मेलन से उभरने वाला व्यापक नैरेटिव बनाने के लिए प्रदर्शित करते हैं। दूसरा कंटेट या कथ्य जिसमें नए और अभिनव विचार जोड़ना भी शामिल है। तीसरा प्रशासनिक लॉजिस्टिक जो पक्क ा करे कि वैश्विक मानव गतिवधियों के हरेक क्षेत्र से शीर्ष नेताओं का यह जमावड़ा ध्यान रखने वाला है। पीएम मोदी के नेतृत्व में हमें इन तीनों उद्देश्यों पर खरा उतरने का पूरा यकीन है।नीति आयोग के पूर्व सीईओ कांत भारत को प्रमुख पर्यटन स्थल के तौर पर पेश करने की अपनी काबिलियत के लिए भी जाने जाते हैं। उन्हें ‘इनक्रेडिबल इंडिया’ या ‘अतुल्य भारत’ और केरल के लिए ‘गॉड्स ओन कंट्री’ सरीखे अभियानों का श्रेय हासिल है। अब वे भारत की अध्यक्षता को ‘इनक्रेडिबल जी20’ या ‘अतुल्य जी20’ के तौर पर पेश करना चाहते हैं जो ‘अतुल्य भारत’ के पीएम मोदी के सपने को साकार करेगा। कांत ने अहमदाबाद का पतंग उत्सव, कोणार्क का रेत कला उत्सव, सूरजकुंड का शिल्प मेला, कोहिमा का हॉर्नबिल संगीत उत्सव और खजुराहो का नृत्य उत्सव, सभी को भारत की सांस्कृतिक शक्ति के रूप में जी20 के आयोजन के साथ पिरोया है। वैश्विक जलवायु संकट के हल के लिए भारत के लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट अभियान का भी समावेश किया है। भारत की महिलाओं की अगुआई में हो रहे विकास की कोशिशों को प्रमुखता से सामने रखा जाएगा, तो डिजिटल हैकॉथन के माध्यम से डिजिटल समावेशन और कायापलट में देश की ऊंची छलांगों को भी दर्शाया जाएगा।