ब्लिट्ज ब्यूरो
न्यूयॉर्क। उम्र बढ़ने के साथ इंसान के चेहरे पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं। कोशिकाओं के मुरझाने से ऐसा होता है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्हें ऐसी थेरेपी खोजने में कामयाबी मिली है, जिससे कोशिकाएं कभी नहीं मुरझाएंगी। शरीर पर किसी बीमारी का हमला होने पर भी कोशिकाएं सुरक्षित रहेंगी।
‘मिरर’ की रिपोर्ट के मुताबिक न्यूयॉर्क की कोल्ड स्पि्रंग हार्बर लेबोरेटरी के शोधकर्ताओं ने श्वेत रक्त कोशिकाओं को पुन: प्रोग्राम करने की थेरेपी खोजी है। आमतौर पर हमारे शरीर में मौजूद टी सेल्स इम्यूनिटी को बेहतर करते हैं, जिससे शरीर बीमारियों से लड़ता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वृद्ध कोशिकाएं शरीर में प्रतिकृति बनाना बंद कर देती हैं। इससे शरीर शिथिल होने लगता है। वैज्ञानिकों ने इन टी-सेल्स को सीएआर (काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर) थेरेपी से संशोधित किया। सीएआर वृद्ध कोशिकाओं को दुरुस्त करती है।
बुजुर्ग चूहे स्वस्थ, युवा और सक्रिय
शोधकर्ताओं ने पहला प्रयोग चूहों पर किया। नतीजे चौंकाने वाले रहे। ‘नेचर एजिंग जर्नल’ में प्रकाशित शोध के मुताबिक सीएआर थेरेपी से संशोधन के बाद बुजुर्ग चूहे स्वस्थ हो गए। उनके शरीर का वजन कम हो गया, पाचन क्रिया बेहतर हो गई और शुगर भी नियंत्रित पाई गई। उनका शरीर युवा चूहों की तरह काम करने लगा। दूसरी तरफ युवा चूहे इस थेरेपी के बाद और सक्रिय हो गए।
मोटापा और शुगर के लिए रामबाण
शोध टीम की सदस्य और सहायक प्रोफेसर कोरिना अमोर वेगास का कहना है कि अब तक ऐसी कोई थेरेपी नहीं थी, जिससे श्वेत रक्त कोशिकाओं को पुन: प्रोग्राम किया जा सके। हमारी खोज इस दिशा में संभावनाओं के नए द्वार खोलती है। मोटापा और शुगर के मरीजों के लिए यह थेरेपी रामबाण हो सकती है। इससे टी-सेल्स की उम्र लंबी हो जाती है।