ब्लिट्ज ब्यूरो
उत्तरकाशी। ‘मजदूरों को पता चल गया था कि हम उन तक पहुंचने वाले हैं। मैंने जैसे ही आखिरी पत्थर हटाया, वे खुशी से चिल्लाने लगे। मैं उनके पास पहुंचा, तो उन्होंने मुझे गले लगा लिया।’ धूल से सने नसीम, वो रैट मानइर हैं जो अपने साथी नासिर के साथ खुदाई करते हुए सबसे पहले 41 मजदूरों तक पहुंचे। नसीम मजदूरों की जान बचाकर बेहद खुश हैं, पूरे जोश से बताते हैं, ‘हम बीते 24 घंटे से लगातार काम कर रहे थे, लेकिन 48 घंटे भी कर सकते थे। पहले कुछ घंटे हमने तैयारी की। फिर हमने खुदाई के लिए 24 घंटे का टाइम लिया था, लेकिन 15 घंटों में ही बंदों को बाहर निकाल लाए।’
मिशन की सफलता में ये शख्स बने सूत्रधार
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1983 बैच के आईएएस अफसर व पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी में अहम भूमिका निभाई। रेस्क्यू की अपडेट जानकारी मीडिया तक भी पहुंचाई।
एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने राहत एवं बचाव अभियान का जिम्मा संभाला। उनके अनुभव को देखते हुए उन्हें यहां विशेष रूप से भेजा गया था।
एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद व निदेशक अंशु मनीष खल्खो ने सुरंग के अंदर ऑगर मशीन से ड्रिलिंग के काम की निगरानी की। झारखंड निवासी खल्खो ने सुरंग के अंदर फंसे झारखंड निवासी मजदूरों से झारखंडी में बात कर मनोबल बढ़ाया।
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तमिलनाडु निवासी विनोद ने सुरंग में फंसे मजदूरों तक लाइफलाइन के तौर पर छह इंच की पाइप लाइन पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। छह इंच की पाइप आरपार होने के बाद मजदूरों तक पका भोजन पहुंचना शुरू हुआ।
पोकलेन मशीन के ऑपरेटर संदीप सिंह ने सुरंग के ऊपर ऊर्ध्वाधर ड्रिलिंग के लिए 24 घंटे में अस्थायी सड़क तैयार कर दी। खड़ी पहाड़ी पर 1200 मीटर सड़क को बनाने के लिए उन्होंने रात-दिन एक कर दिया।
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इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष अर्नोल्ड डिक्स के आने से रेस्क्यू ऑपरेशन में जान आई। उन्होंने रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी एनएचआईडीसीएल व प्रशासन को सही सलाह दी। टनल के पास बाबा बौखनाग का मंदिर में अर्नोल्ड डिक्स ने पूजा की।
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फरिश्ते बन कर आए ‘रैट माइनर्स’
रैट माइनर्स ने 800 एमएम के पाइप में घुसकर ड्रिलिंग की। ये बारी-बारी से पाइप के अंदर जाते, फिर हाथ के सहारे छोटे फावड़े से खुदाई करते थे। ट्राली से एक बार में तकरीबन 2.5 क्विंटल मलबा लेकर बाहर आते थे। पाइप के अंदर इन सबके पास बचाव के लिए ऑक्सीजन मास्क, आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मा और हवा के लिए एक ब्लोअर भी मौजूद रहता था।
रैट का मतलब है चूहा, होल का मतलब है छेद और माइनिंग मतलब खुदाई। मतलब से ही साफ है कि छेद में घुसकर चूहे की तरह खुदाई करना। इसमें पतले से छेद से पहाड़ के किनारे से खुदाई शुरू की जाती है और पोल बनाकर धीरे-धीरे छोटी हैंड ड्रिलिंग मशीन से ड्रिल किया जाता है और हाथ से ही मलबे को बाहर निकाला जाता है। रैट होल माइनिंग नाम की प्रकिया का इस्तेमाल आमतौर पर कोयले की माइनिंग में खूब होता रहा है। झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर पूर्व में रैट होल माइनिंग जमकर होती है, लेकिन रैट होल माइनिंग काफी खतरनाक काम है, इसलिए इसे कई बार बैन भी किया जा चुका है।
‘मुझे टनल में जाने से डर नहीं लगता। यहां तो 800 मिमी का पाइप है, हम लोग तो 600 मिमी के पाइप में घुसकर भी रैट माइनिंग कर लेते हैं। ये तो रोज का काम है।’ यूपी के झांसी के रहने वाले परसादी लोधी ये सब मुस्कुराते हुए बताते हैं।
नई दिल्ली। उत्तरकाशी में सुरंग से 41 मजदूरों की सकुशल वापसी इतनी बड़ी घटना थी कि बीबीसी, सीएनएन, अलजजीरा, ट्रांस एशिया, फ्रांस टीवी आदि ने इसे लाइव दिखाया। विदेशी मीडिया भारत के प्रयासों की भरपूर सराहना कर रहा है। इस दुर्घटना के बाद बचाव कार्यों को इंडियन मीडिया ने 24/7 दिखाया और सोशल मीडिया ने दिन रात। इस त्रासदी से निपटने वाली सभी इकाइयां साधुवाद की अधिकारी हैं ।