पुणे। वीर और भाटघर बांधों में पर्याप्त जल भंडार नहीं होने के कारण वीर बांध से नीरा बाईं ंनहर में पानी छोड़ना बंद कर दिया गया है। परिणामस्वरूप, गर्मी के आखिरी चरण के दौरान बारामती तहसील के बागवानी क्षेत्र में फसलें खतरे में हैं। साथ ही बारामती शहर में एक दिन बाद जलापूर्ति करने घोषणा नगर पालिका प्रशासन ने दी है।
पानी का संयमित उपयोग करने का अनुरोध
नीरा बाईं ंनहर में पानी न छोड़े जाने के कारण बारामती में एक दिन छोड़कर जलापूर्ति होने की जानकारी नपा प्रशासन की ओर से की दी गयी है। बारामती निवासियों से पानी का संयमित उपयोग करने का अनुरोध किया गया है। बारामती शहर में 15 दिन के लिए जल आपूर्ति के लिए भंडार उपलब्ध है।
ग्रामीण इलाकों में दो दिनों के बाद पानी आपूर्ति
बारामती के ग्रामीण और रुई इलाकों में एक दिन बाद पानी की आपूर्ति की जाएगी। दूसरी ओर जलोची और तांदूलवाड़ी इलाके में पानी की आपूर्ति दो दिन बाद की जाएगी। पिछले साल बारामती के नागरिकों को मानसून से पहले एक सप्ताह के अंतराल के बाद पानी की आपूर्ति की गई थी।
तीन तालाबों से शहर को पानी की आपूर्ति
बारामती शहर में पाटस रोड पर दो तालाब हैं। इसके अलावा जलोची में एक तालाब भी हैं। बारामती शहर के 1 लाख 60 हजार नागरिकों को तीन तालाबों से पानी की आपूर्ति की जाती है। तीनों तालाबों की जल भंडार की क्षमता 705 एमएल है। बारामती की जनसंख्या बढ़ रही है और पानी की मांग भी अधिक है। चूंकि तालाबों की जल भंडारण क्षमता कम है, इसलिए मानसून से पहले कुछ दिनों तक पानी की आपूर्ति एक दिन के बाद करनी पड़ रही है।
शहर की बढ़ती आबादी को देखते हुए तीन नए तालाबों का निर्माण कराया जा रहा है। शहर के घारे एस्टेट जलोची और तांदूलवाड़ी में तालाबों का काम अंतिम चरण में है। तीन तालाबों की पानी भंडारण क्षमता 600 एमएल है। अगले दो से तीन महीने में काम पूरा हो जाएगा। उसके बाद बारामती शहर को पानी की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
कृषि क्षेत्रों में पानी की कमी
बारामती तहसील में कृषि क्षेत्रों में पानी की भारी कमी है। बागवानी बेल्ट से गुजरने वाली नीरा बाईं नहर में पानी छोड़ने की प्रक्रिया गर्मियों में शुरू हुई थी लेकिन वीर और भाटघर बांध में पानी का भंडार कम होने के कारण चार दिन पहले ही नीरा नहर में पानी छोड़ना बंद कर दिया गया था। जनवरी से नीरा बाईं ंनहर से खेती के लिए पानी छोड़ना शुरू था। उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा था कि नहर जून तक जारी रहेगी लेकिन उससे पहले ही नहर में पानी छोड़ना बंद कर दिया गया। इस पर निर्भर खेती संकट में है। छत्रपति, मालेगांव और सोमेश्वर कारखानों सहित बारामती और इंदापुर तहसील में गन्ना श्रमिक भी इस नहर के पानी विभिन्न दैनिक कार्यों के लिए करते हैं। पानी की कमी से गन्ना और सब्जी की फसल से कमाई करने वाले किसानों को काफी नुकसान होगा।
नीरा नदी का पानी प्रदूषित
नीरा नदी के बदबूदार पानी से कृषि प्रदूषण स्तर बढ़ गया है। इसलिए किसान नीरा नदी का पानी खेती के लिए देने से कतराते हैं। फिलहाल किसानों की उम्मीद बारिश पर टिकी है। बाई ं नहर में जब तक पानी छोड़ना जारी था, तब तक कुओं और बोरवेलों ने जल स्तर बनाए रखने में मदद हुई लेकिन नहर में पानी छोड़ना बंद होने के बाद जल स्तर कम हो गया है।