भारत की परंपराओं, संस्कृति और अन्य देशों के प्रति उसके मैत्रीभाव का प्रभाव आज संपूर्ण विश्व पर परिलक्षित होता दिखाई दे रहा है। पश्चिमी देश हों अथवा यूरोप; सभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा भारत के विकास के लिए उठाए गए कदमों की प्रशंसा एक स्वर से करते नजर आते हैं। यही नहीं, अरब वर्ल्ड में भी भारत और पीएम मोदी की छवि एक अलग मुकाम हासिल कर चुकी है। आज व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी और संस्कृति जैसे प्रमुख क्षेत्रों में खाड़ी देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए भारत तत्पर है।
अभी पिछले दिनों ही प्रधानमंत्री मोदी की संयुक्त अरब अमीरात (यूएई व कतर) की यात्रा कई मायनों में ऐतिहासिक रही। पीएम मोदी और यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाहयान के बीच सातवीं मुलाकात बताती है कि दोनों देश हालिया समय में आपसी रिश्तों को कितना अधिक महत्व दे रहे हैं। इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री मोदी की कतर की दूसरी यात्रा भी काफी फलदायक रही। इससे पहले वह जून 2016 में कतर पहुंचे थे। प्रधानमंत्री ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के साथ व्यापक स्तर पर बातचीत की जिससे भारत-कतर संबंधों को एक और नई ऊंचाई हासिल होगी।
कतर सरकार द्वारा भारतीय नौसेना के उन आठ पूर्व कर्मियों को रिहा किए जाने के कुछ दिन बाद यह यात्रा हुई जिन्हें अगस्त, 2022 में गिरफ्तारी के बाद मौत की सजा सुनाई गई थी। वार्ता के दौरान मुख्य रूप से व्यापार, ऊर्जा, निवेश और नई प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में भारत-कतर संबंधों को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। मोदी ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल पर खाड़ी देश में अपने कार्यक्रमों के 1:24 मिनट के वीडियो के साथ पोस्ट किया कि कतर की मेरी यात्रा से भारत-कतर संबंधों में एक नया आयाम जुड़ा है।
उन्होंने बैठक की तस्वीरों के साथ ‘एक्स’ पर पोस्ट किया- शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के साथ हुई सार्थक बैठक में भारत-कतर संबंधों की पूरी श्रंखला की समीक्षा किए जाने और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करने के तरीकों पर चर्चा किए जाने से दोनों देशों के बीच भविष्य के क्षेत्रों में सहयोग करने के और भी बेहतर अवसर सृजित होंगे; इसमें कोई दो राय नहीं है। इस मुलाकात में प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय समुदाय के कल्याण के वास्ते समर्थन के लिए अमीर को धन्यवाद दिया और इस संबंध में अल-दहरा कंपनी के आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई के लिए भी उनकी सराहना की जिसने दोनों देशों के बीच आपसी सौहार्द की एक नई इबारत लिखी है।
कतर से पहले प्रधानमंत्री मोदी यूएई की यात्रा पर थे। वहां उन्होंने भव्य हिंदू मदिर का लोकार्पण किया। उनकी यह यात्रा भी अरब क्षेत्र में भारत के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है। अब इस इस्लामिक देश में भी मंदिर की घंटियां और शंखनाद सुनाई देगा। इससे भारतीय संस्कृति की छाप को विदेश, वो भी एक मुस्लिम देश में सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी। भारतीय संस्कृति ‘संपूर्ण विश्व को ही अपना परिवार’ यानि कि ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के सिद्धांत की अनुयायी है जो प्रेम और सद्भाव में विश्वास रखती है।
यह जरूरी भी है क्योंकि एक तो जब संपूर्ण विश्व में युद्ध के मोर्चे खुल रहे हों तो ऐसे में दो देशों के बीच संबंधों में इस प्रकार की गहराई व घनिष्ठता न केवल उन देशों को अपितु संपूर्ण वैश्विक व्यवस्था को राहत प्रदान करती है। एक बात और यह भी है कि विश्व में किसी भी देश की तुलना में यूएई में बहुत बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं जो यूएई की आबादी का कुल 30 प्रतिशत हिस्सा हैं। ये भारतीय हर साल अरबों डॉलर भारत भेजते हैं जिनके योगदान की सराहना स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने अबूधाबी में अहलान मोदी कार्यक्रम के दौरान भी की। इसके अलावा, यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार और सातवां सबसे बड़ा निवेशक भी है।
उल्लेखनीय बिंदु यह भी है कि 2015 में बतौर प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी ने यूएई का पहला दौरा किया था। तब यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री का 34 साल बाद हुआ दौरा था। उससे पहले 1981 में इंदिरा गांधी यूएई गई थीं। किंतु 2015 के बाद से जैसा स्वयं भारतीय विदेश मंत्री भी स्वीकारते हैं, दोनों देशों के बीच के संबंध लगातार तेजी से विकसित होते रहे हैं।
दोनों देशों के बीच के संबंधों की प्रगाढ़ता की यह सबसे बड़ी मिसाल है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के खत्म होने पर भारत को सबसे पहले समर्थन देने वाले देशों में यूएई ही था। भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने आतंकवाद के मुद्दे पर भी यूएई ही साथ खड़ा दिखाई देता है। प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के दौरान भारत एवं यूएई के बीच निवेश, विद्युत व्यापार, ऊर्जा और डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं। इनमें से दो समझौते भारतीय रुपे कार्ड और यूपीआई को स्वीकारने को लेकर हैं। इसके अतिरिक्त दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय निवेश समझौता (बीआईटी) भी हुआ है जो इस दृष्टि से अहम है कि इससे भारत के बुनियादी क्षेत्र में अरबों डॉलर के निवेश की राह खुलेगी। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा एक इस्लामी राष्ट्र में हिंदू मंदिर का उद्घाटन भी दोनों देशों द्वारा प्रदर्शित सहिष्णुता की मिसाल है जिसकी दुनिया को जरूरत भी है और यह भारत के ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के सिद्धांत का प्रतिपादन भी है।