आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। देशभर में सोमवार एक जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए। इससे देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में निश्चित रूप से व्यापक बदलाव आएंगे। इसके साथ ही पहली जुलाई से औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत हो गया।
21 दिसंबर 2023 को नए कानूनों को संसद से मंजूरी मिली थी, 25 दिसंबर 2023 को राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दी थी।
तीन नए कानूनों, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने ब्रिटिश काल के कानून भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान ले लिया। इन कानूनों से एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी, जिसमें जीरो एफआईआर, पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, एसएमएस के जरिये समन भेजने जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान लागू हो गए। इसके लिए दिल्ली में कई माह से पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अब तक करीब 25 हजार पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है।
नए कानूनों में ये होगा खास
– फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे।
– दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान महिला पुलिस अधिकारी अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज करेगी और मेडिकल रिपोर्ट सात दिन के भीतर देनी होगी।
– संगठित अपराधों और आतंकवाद के कृत्यों को परिभाषित किया गया है। राजद्रोह की जगह देशद्रोह लाया गया है।
– किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है।
– नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा गया है।
– सभी तलाशी और जब्ती की कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराना अनिवार्य कर दिया गया है।
प्रमुख बदलाव
भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने 1872 के साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को लेकर बड़े बदलाव किए गए हैं। अभी तक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की जानकारी एफिडेविट तक सीमित होती थी। भारतीय साक्ष्य अधिनियम नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 प्रावधान हैं। इससे पहले वाले कानून में 167 प्रावधान थे। नए कानून में 24 प्रावधान बदले हैं।
अपराध पर नकेल को कानूनी शिकंजा कसा
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) ने 163 वर्ष पुराने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह ली। इसमें 511 की जगह 358 खंड हैं। इसमें 21 नए अपराध जोड़े गए हैं। 41 अपराधों में सजा की अवधि बढ़ी है। 82 में जुर्माना राशि बढ़ी है। 25 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा शुरू की गई है। छह अपराधों में सजा के रूप में सामुदायिक सेवा के प्रावधान हैं, 19 धाराएं निरस्त की गई हैं।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस)
बीएनएसएस दंड प्रक्रिया संहिता ने (सीआरपीसी) 1973 की जगह ली। इसमें मजिस्ट्रेट द्वारा जुर्माना लगाने की शक्ति बढ़ी है। अपराध से अर्जित आय को जब्त और कुर्की करने की प्रक्रिया को शामिल किया गया है। तीन से सात साल से कम सजा वाले अपराधों में प्रारंभिक जांच होगी। गंभीर अपराध की जांच डीएसपी स्तर के अधिकारी करेंगे।
भारतीय साक्ष्य विधेयक (बीएसए)
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह इसे लाया गया है। इसमें दो नई धाराएं और छह उप धाराएं जोड़ी गई हैं। पहले 167 खंड थे अब 170 हो गए हैं। 24 खंडों में संसोधन हुआ है। छह निरस्त हुए हैं। इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्राप्त बयान साक्ष्य की परिभाषा में शामिल किया गया है। साक्ष्य के रूप में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड को कानूनी मान्यता होगी।
– नाबालिग से दुष्कर्म पर सजा का क्या प्रावधान?
नाबालिग बच्चियों से दुष्कर्म को पॉक्सो के साथ सुसंगत किया है। आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान। सामूहिक दुष्कर्म में 20 वर्ष की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान।
– यौन उत्पीड़न में मेडिकल जांच रिपोर्ट कब मिलेगी ?
यौन उत्पीड़न के मामले में पीड़ित की चिकित्सा जांच रिपोर्ट को मेडिकल अधिकारी मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी को सात दिन के भीतर मुहैया कराएगा।
– महिला अपराधों को लेकर कानून में नया क्या?
नए कानून के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराध होता है तो उसे किसी भी अस्पताल में मुफ्त प्राथमिक चिकित्सा या उपचार की सुविधा मिलेगी।
– पीड़ित महिला को लेकर क्या प्रावधान?
कुछ खास तरह के अपराधों में पीड़ित महिला एक महिला मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज करा सकती है, महिला मजिस्ट्रेट की अनुपस्थिति में पुरुष मजिस्ट्रेट बयान दर्ज कर सकता है लेकिन इस दौरान एक महिला की उपस्थिति अनिवार्य होगी।
– क्या घर तक पुलिस मदद मिलेगी?
महिला और 15 साल से कम उम्र का व्यक्ति, 60 वर्ष से अधिक उम्र का व्यक्ति जो गंभीर रोग से ग्रसित है, दिव्यांग है उसे पुलिस स्टेशन जाने से छूट मिलेगी। उसे पुलिस की मदद घर पर ही मिलेगी।
– हिट एंड रन केस में कितनी सजा होगी?
रोड एक्सीडेंट कर के भागने वालों को दस साल की सजा का प्रावधान है। अगर एक्सीडेंट करने वाला व्यक्ति घायल को अस्पताल पहुंचाता है तो उसकी सजा कम हो सकती है।
– आतंकवाद को लेकर नए कानून में क्या?
बीएनएस में आतंकवाद पर सख्ती की गई है। देश की एकता को क्षति पहुंचाने पर मृत्युदंड, उम्र कैद का प्रावधान। पैरोल नहीं मिलेगी।
– मॉब लिचिंग में कैसी सजा का प्रावधान?
मॉब लिचिंग जघन्य अपराध है। भीड़ हिंसा में दोष सिद्ध होने पर आरोपी को मौत की सजा हो सकती है।
– क्या हर व्यक्ति को हथकड़ी लगेगी?
रेप- हत्या आरोपियों को हथकड़ी लगाने का अधिकार। पुलिस को गिरफ्तारी से लेकर अदालत में पेशी तक हथकड़ी का प्रयोग कर सकती है। आर्थिक अपराधी इससे बचे रहेंगे।
– जीरो एफआईआर का क्या मतलब है?
पीड़ित अब किसी भी पुलिस थाने में जाकर जीरो एफआईआर दर्ज करा सकता है। शिकायत को 24 घंटे के भीतर संबंधित थाने में स्थानांतरित करना होगा।
– एफआईआर की कॉपी केस से संबंधित व्यक्ति को कब मिलेगी?
नए कानून के तहत आरोपी और पीड़ित को एफआईआर, रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, अपराध स्वीकारने समेत अन्य दस्तावेज 14 दिन के भीतर मिलेंगे।
– ई-एफआईआर क्या है इसका जवाब कब मिलेगा ?
एक महिला ई- एफआईआर दर्ज करा सकती है। इसका तुरंत संज्ञान लिया जाएगा और दो दिन के भीतर जवाब देने की व्यवस्था है।
•- समन से जुड़े नियमों में कैसे बदलाव हुए?
नए कानून के तहत समन अब इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भी भेजे जा सकते हैं। इससे मामले से जुड़े सभी पक्षों को एकसाथ केस की जानकारी मिल सकेगी।
– हिरासत अवधि की सीमा 15 दिन है या बढ़ी है?
बीएनएसएस के तहत हिरासत अवधि 15 दिन से लेकर 60 या 90 दिन तक हो सकती है।
– हिरासत से व्यक्ति कितने समय में रिहा हो सकता है?
हिरासत में पुलिस किसी व्यक्ति से अपनी शक्ति का दुरुपयोग नहीं कर सकती है। मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना होगा। छोटे मामलों में 24 घंटे के भीतर रिहाई संभव है।
– • नए कानून में पुलिस के लिए क्या प्रावधान?
गिरफ्तार लोगों की सूची तैयार करने और उनके रिश्तेदारों को सूचित करने के लिए थाने में एक पुलिस अधिकारी नामित होगा। व्यक्ति गिरफ्तारी की सूचना सबसे पहले किसे देना चाहता है ये वे खुद तय करेगा।
बीएनएसएस में ये भी खास
– नए कानून में 35 धाराओं में समय-सीमा जोड़ी गई है। इससे न्याय में तेजी की उम्मीद है।
– पीड़ितों और मुखबिरों को जांच की स्थिति के बारे में सूचना पुलिस 90 दिन के भीतर देगी।
– मजिस्ट्रेट द्वारा आरोप पर पहली सुनवाई के 60 दिनों में आरोप तय करना होगा।
– किसी भी आपराधिक केस के खत्म होने के बाद फैसले की घोषणा 45 दिनों के भीतर होगी।
– सत्र न्यायालय 30 दिनों के भीतर बरी या दोष सिद्धि पर निर्णय करेगा।
– सत्र न्यायालय अधिकृत कानूनी कारणों के आधार पर इसे 45 दिन के लिए बढ़ा सकता है।