गत दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छह दिन की विदेश यात्रा पर गए थे। इस यात्रा में उन्होंने जापान के हिरोशिमा में जी7 व क्वाड समूह के सम्मेलन में हिस्सा लिया। पीएम मोदी चौथी बार जी7 की बैठक में विशेष गेस्ट के रूप में शामिल हुए। जी7 देशों में जापान, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, इटली और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं। जी7 में भारत को बीते कुछ साल से बुलाया जा रहा है किंतु इस बार भारत की मौजूदगी की बात करें तो स्थितियां और भी मजबूत थीं क्योंकि वहां भारत जी20 के अध्यक्ष देश के रूप में शामिल हुआ। आज के समय में जी20, जी7 से ज्यादा असरदार समूह है। यहां से वे पापुआ न्यू गिनी गए जहां उन्होंने फोरम फॉर इंडिया पैसिफिक आइलैंड कोऑपरेशन (एफआईपीआईसी) के तीसरे सम्मेलन से जुड़े कार्यक्रमों में भाग लिया और इसके बाद ऑस्ट्रेलिया में भारतीय समुदाय के लोगों के बीच अपनी यात्रा के अंतिम दौर का समापन किया। पीएम मोदी का वहां भी भव्य स्वागत हुआ और उन्होंने वहां ऑस्ट्रेलिया के हैरिस पार्क इलाके को ‘लिटिल इंडिया’ का नया नाम दे कर भारतीय डायस्पोरा का गौरव बढ़ाया।
इस संपूर्ण यात्रा के दौरान पीएम मोदी का अभूतपूर्व ढंग से स्वागत व सत्कार हुआ। जी7 बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन स्वयं पीएम मोदी से आ कर गले मिले। पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारेप ने पीएम मोदी के पैर छूकर उनका अभिवादन किया और आशीर्वाद लिया तथा अपनी परंपरा को तोड़ कर रात्रि में एयरपोर्ट पर ही ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया।
पीएम पीएम मोदी की यह यात्रा अनेक मायनों में खास और महत्वपूर्ण रही। विदेश यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने करीब 40 से अधिक कार्यक्रमों में भाग लिया और विश्व के कई नेताओं से मुलाकात की। पीएम मोदी अपने जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा के निमंत्रण के बाद जी7 शिखर सम्मेलन के तीन सत्रों में हिस्सा लेने के लिए 19 मई को हिरोशिमा पहुंचे थे। जी7, क्वाड और एफआईपीआईसी जैसे महामंचों से पीएम मोदी ने अपने पड़ोसियों को और वैश्विक स्तर पर अनेक महत्वपूर्ण कूटनीतिक संदेश दिए जिनके कारण उनकी यह यात्रा एक सफल और भारत के प्रभाव को और सुदृढ़ करने वाली बन गई। पीएम मोदी ने 2014 में शासन संभालने के बाद भारतीय विदेश नीति के प्रारूप को ही बदल दिया जिससे वह वैश्विक स्तर पर अत्यंत प्रभावशाली बन गई। अपने वैश्विक कूटनीतिक मिशन को पूर्ण करने का उनका अंदाज ही निराला है। मोदी अपने हर कूटनीतिक मिशन को एक यादगार इवेंट के रूप में ढाल देते हैं। अपने इस वैश्विक कूटनीतिक मिशन की शुरुआत पीएम मोदी ने जापान के अखबारों को साक्षात्कार देने से की। इसमें जी20 के महत्व, आतंकवाद, पड़ोसी देशों की नापाक हरकतों, एलएसी पर तनाव पैदा करने वालों व अनेक वैश्विक मुद्दों पर विचार साझा किए। जापानी अखबार ‘निक्केई एशिया’ को साक्षात्कार में उन्होंने आतंकवाद के ठेकेदार पाकिस्तान व सीमा (एलएसी) पर लगातार तनाव पैदा करने वाले चीन को नसीहतें दीं व चेतावनियों से भारत का रुख समझा दिया कि पड़ोसी देशों के साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमा पर शांति आवश्यक है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 मई को जापान के हिरोशिमा शहर में आयोजित जी7 शिखर सम्मेलन के एक सत्र के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में कहा कि वह यूक्रेन में मौजूदा हालात को राजनीति या अर्थव्यवस्था का नहीं बल्कि मानवता एवं मानवीय मूल्यों का मुद्दा मानते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि ही हमारा साझा उद्देश्य है। हमने शुरुआत से ही कहा है कि संवाद और कूटनीति ही समाधान का एकमात्र रास्ता है।” इससे पूर्व भी समरकंद में प्रधानमंत्री मोदी यह स्पष्ट कर चुके हैं कि आज का युग युद्ध का नहीं है।
सारा विश्व इस तथ्य से भलीभांति परिचित है कि आज के परस्पर संबद्ध विश्व में किसी भी क्षेत्र में तनाव का असर सभी देशों पर पड़ता है और विकासशील देश सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। मौजूदा वैश्विक हालात में भोजन, ईंधन और उर्वरक के संकट का सबसे ज्यादा असर विकासशील देशों में महसूस किया जा रहा है। इसलिए यह आवश्यक है कि सभी देश संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और एक-दूसरे की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें। भारत का हमेशा से यही मत रहा है कि किसी भी तनाव, किसी भी विवाद को बातचीत के जरिये शांतिपूर्वक ढंग से ही हल किया जाना चाहिए।
पीएम मोदी ने इन बैठकों में अन्य देशों के साथ शांति, स्थिरता, खाद्यान्न, ऊर्जा और उर्वरक जैसे मुद्दों पर अपने विचार रखे और पूरी दुनिया को इनकी महत्ता समझाई। ऐतिहासिक शहर हिरोशिमा में पीएम मोदी ने महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण कर विश्व को शांति का संदेश भी दिया। दूसरे विश्व युद्ध में परमाणु हमले से तबाह हुए इस शहर में साल 1957 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू गए थे। उनके बाद नरेंद्र मोदी वहां जाने वाले भारत के दूसरे प्रधानमंत्री हैं। हिरोशिमा में पीएम मोदी की मौजूदगी इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत परमाणु अप्रसार संधि यानी एनपीटी में शामिल नहीं है। वस्तुत: परमाणु अप्रसार संधि में वही देश शामिल हैं जिन्होंने 1 जनवरी, 1969 से पहले परमाणु हथियार विकसित कर लिए थे। इसके बाद जिन देशों ने परमाणु परीक्षण किया या हथियार विकसित किए, उन्हें इसमें शामिल नहीं किया गया।
एक समय था जब भारत को गुटनिरपेक्ष समूह का नेता माना जाता था जिसमें तीसरी दुनिया के देश शामिल थे। ये वे देश हैं जिन्हें वर्तमान में ‘ग्लोबल साउथ’ का नाम दिया जाता है। आज भारत उभरती हुई महाशक्तियों जैसे- चीन, रूस और पहले से स्थापित महाशक्तियों यथा- अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय देशों के समकक्ष खड़ा नजर आता है। वर्तमान में जी7 के जो सदस्य अथवा अन्य देश इस बैठक में शामिल हुए, उनमें अमेरिका और कनाडा को छोड़ कर शेष अन्य देशों की अर्थव्यवस्था निगेटिव ग्रोथ की दिशा में जा रही है। वहां जो भी देश मिल रहे हैं, उनमें भारत ही अकेला ऐसा देश है जिसकी आर्थिक वृद्धि दर सबसे तेज है। आज भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़ कर पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। इन सारी बातों पर गौर करें तो ये भारत की भूमिका को और अहम बनाती हैं। आज ग्लोबल साउथ के देश भारत को अपना आदर्श और लीडर मानते हैं क्योंकि भारत और पीएम मोदी खुल कर उनकी समस्याओं को उठाते हैं। यह कहना अतिशयोक्ति न होगी कि आज भारत विकासशील देशों का अगुआ बन चुका है और पीएम मोदी की वजह से दुनिया में इन देशों सहित पश्चिमी व यूरोपीय देशों में भी भारतीय कूटनीति का डंका बज रहा है।