ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। पश्चिम रेलवे ने बोइसर के पास मिशन रफ्तार के लिए अंतिम चरण का काम पूरा किया है। पांच साल पहले मुंबई से दिल्ली के बीच 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से ट्रेन चलाने के लिए ‘मिशन रफ्तार’ परियोजना की शुरुआत हुई थी। 1,478 किमी रूट और 8 हजार करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट से जुड़े लगभग सभी काम पूरे हो चुके हैं। मिशन से जुड़े अधिकारी की मानें, तो जल्द ही 160 किमी के ट्रायल शुरू होने जा रहे हैं।
बन गई सेफ्टी की फेंसिंग
स्पीड से ट्रेन दौड़ाने के लिए पूरे रूट पर पटरियों के दोनों छोर पर फेंसिंग जरूरी है।पूरे रूट का करीब 50 प्रतिशत हिस्सा यानी 792 रूट किमी पश्चिम रेलवे के अधिकार क्षेत्र में है और इस पूरे हिस्से में कैटल फेंसिंग और वॉल फेंसिंग का काम लगभग पूरा हो चुका है।
‘कवच’ से होगी सुरक्षित
ट्रेनों की स्पीड के साथ उनकी सेफ्टी को बढ़ाने के लिए पूरे रूट पर भारतीय रेलवे की ‘कवच’ तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिस ट्रेन में कवच लगा हो, उनका आमने-सामने से टकराना असंभव है, क्योंकि टकराने से पहले ट्रेन में ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाएंगे।
90 इंजन में ‘कवच’ लगाने के लिए 3 कॉन्ट्रैक्ट अवॉर्ड
दिसंबर, 2022 में पश्चिम रेलवे पर 735 किमी पर 90 इंजन में कवच लगाने के लिए 3 कॉन्ट्रैक्ट अवॉर्ड हुए थे, जिनका काम पूरा हो चुका है।
पश्चिम रेलवे पर इस तकनीक का सफल ट्रायल हो चुका है। अब तक वड़ोदरा-अहमदाबाद सेक्शन में 62 किमी, विरार-सूरत पर 40 किमी और वडोदरा-रतलाम-नागदा सेक्शन में 37 किमी पर ट्रायल हो चुका है।
रेलवे का टारगेट
भारतीय रेलवे में फिलहाल ट्रेनों की औसत गति 70 से 80 किमी प्रतिघंटा है, जिसे रेलवे 160 किमी प्रतिघंटा करना चाहती है। ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए रेलवे ने पटरियों के नीचे वाले बेस को चौड़ा किया है ताकि स्पीड में भी स्थिरता बनी रहे।
25 हजार वोल्ट की दो अलग पावर लाइन
इसके पूरे रूट पर 25 हजार वोल्ट की दो अलग पावर लाइन बनाई गई हैं। इस परियोजना के पश्चिम रेलवे वाले क्षेत्र में 134 कर्व यानी मोड़ को सीधा किया जा चुका है।
160 किमी प्रतिघंटा की स्पीड के लिए 60 किलो 90 यूटीएस वाली रेल (पटरी) की जरूरत होती है, जबकि भारतीय रेलवे में ज्यादातर जगहों पर 52 किलो 90 यूटीएस वाली पटरियां लगी हैं।
पटरियों को बदलने का काम
मुंबई-दिल्ली रूट पर परियोजना के मुताबिक पटरियों को बदलने का काम लगभग पूरा हो चुका है। स्पीड बढ़ाने के लिए पटरियों के नीचे पत्थर की गिट्टियों का कुशन 250 मिमी से बढ़ाकर 300 मिमी किया गया है।
आंकड़ों में प्रोजेक्ट
– कॉरिडोर: मुंबई से दिल्ली
– मंजूर: 2017-18
– कुल लंबाई: 1,478 किमी
– लागत: 8 हजार करोड़ रुपये