ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई । 11 जुलाई 2006 का वो दिन। समय था शाम के 6 बजकर 20 मिनट। बोरीवली जा रही पश्चिम रेलवे की उपनगरीय ट्रेन के प्रथम श्रेणी के डिब्बे में खार और सांताक्रूज स्टेशनों के बीच विस्फोट हो गया।
अगले 10 मिनट में बांद्रा, जोगेश्वरी-माहिम जंक्शन, मीरा रोड-भायंदर, माटुंगा-माहिम जंक्शन और बोरीवली स्टेशनों पर छह और धमाके हुए। यह देश में पहली बार सीरियल ट्रेन ब्लास्ट हुआ था।
हाथ गंवाया, हिम्मत नहीं
इस ब्लास्ट में महेंद्र पितले घायल हो गए थे। बाद में उनका हाथ काटना पड़ा था। सरकार की मदद से कृत्रिम हाथ लगाया गया। 7/11 ट्रेन विस्फोट की बरसी पर उन्होंने मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि दी। महेंद्र की कहानी बहुत ही प्रेरक है।
मूर्तिकार हैं महेंद्र पितले
महेंद्र पितले एक मूर्तिकार हैं। विस्फोट में वह अपना बायां हाथ खो बैठे थे। वे अब एक डिजाइनर के रूप में काम कर रहे हैं। दुघर्टना के बाद मूर्तिकला का उनका काम प्रभावित जरूर हुआ। अपने जज्बे, जिजीविषा के बूते मौत को मात देने के कारण उन्हें लोगों ने ‘लकी मैन’ कहना शुरू कर दिया था।
जोगेश्वरी में हुए धमाके की चपेट में आए थे
महेंद्र पितले जोगेश्वरी में हुए धमाके की चपेट में आए थे। इलाज के दौरान उनका बायां हाथ काटना पड़ा। सरकार की तरफ से दो लाख रुपए नकद और इलाज का खर्च दिया गया।
700 से ज्यादा घायल हुए थे
7/11 आतंकी साजिश में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। 700 से ज्यादा लोग घायल हो गये थे। इस मामले में अभी भी कई आरोपी फरार है।