ब्लिट्ज ब्यूरो
लखनऊ। हर मुश्किल का जवाब पाने के लिए ‘गूगल बाबा’ की शरण में जाना कभी- कभी बड़ी मुश्किल में डाल सकता है। यदि आप भी बीमारी का इलाज कराने डॉक्टर के पास न जाकर इंटरनेट का सहारा लेने से गुरेज नहीं करते तो यह एक गंभीर मानसिक बीमारी का संकेत है।
ऐसा देखा गया है कि अपने शरीर में किसी बीमारी के कारण उभरते लक्षणों के अनुसार, इंटरनेट पर ही लोग इलाज खोजने लग जाते हैं। नए शोध में इसे मानसिक बीमारी ‘साइबर कॉन्डि्रया’ बताया गया है। केजीएमयू मानसिक स्वास्थ्य विभाग के शोध में यह बात सामने आई है। इंडियन जर्नल ऑफ साइकेट्री में शोध के नतीजे प्रकाशित किए गए।
इस शोध में मानसिक स्वास्थ्य विभाग ने ओपीडी व मेडिकल के छात्र- छात्राओं समेत कुल 1033 को शामिल किया। इनसे बातचीत की गई और इसके आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई। इन सभी की उम्र 18 साल से अधिक भी।
– 4.4 प्रतिशत मेडिकल छात्र गंभीर साइबर कॉन्डि्रया के शिकार मिले
– 95.6 प्रतिशत छात्रों ने इंटरनेट के अधिक इस्तेमाल की बात कबूल की
इनमें कुल 4.4 फीसदी मेडिकल छात्र
गंभीर साइबर कॉन्डि्रया के शिकार मिले। वहीं 95.6 प्रतिशत मेडिकल छात्र छात्राओं ने इंटरनेट के अधिक इस्तेमाल की बात तो कबूल की लेकिन बीमारी व इलाज खोजने की बात नकारी। गैर- मेडिकल समूह में 55.9 प्रतिशत लोग लक्षण के आधार पर बीमारी व इलाज खोजने के आदी पाए गए।
डॉक्टर ने बताया इसका कारण
मानसिक स्वास्थ्य विभाग के डॉ. सुजीत कर ने बताया कि इंटरनेट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। स्क्रीन के सामने लोगों का घंटों समय बीत रहा है।
इसकी वजह से लोग शारीरिक व मानसिक बीमारियों की जद में आ रहे हैं। लक्षणों के आधार पर बीमारी व इलाज खोजना बेहद घातक है क्योंकि इंटरनेट पर परोसी गई सारी सामग्री सच नहीं होती है। लिहाजा स्वास्थ्य संबंधी जानकारी के लिए अस्पताल में डॉक्टर से ही संपर्क करना चाहिए।