ब्लिट्ज ब्यूरो
प्रयागराज। पेंशन और सेवानिवृत्ति परिलाभों को लेकर सरकारी विभागों की लेटलतीफी से खफा इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि कर्मचारी की पेंशन और सेवानिवृत्ति परिलाभ सरकार की कृपा या वरदान नहीं है। यह कर्मचारी का कानूनी अधिकार है। इसे समय से बिना किसी टालमटोल के कर्मचारी को अदा करना सरकार का परम दायित्व है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की एकल पीठ ने कानपुर नगर निगम में तैनात रहे सफाईकर्मी की पत्नी छाया की याचिका पर सुनवाई करते हुए की।
याची के पति निगम में सफाईकर्मी थे, जिन्हें सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान नहीं किया गया था। इससे परेशान कर्मचारी की पत्नी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
नगर आयुक्त का जवाब
मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नगर आयुक्त कानपुर से पूरी जानकारी के साथ व्यक्तिगत हलफनामे पर तलब किया था। नगर आयुक्त की ओर से दाखिल हलफनामे में सेवानिवृत्ति परिलाभों के बारे में कोई जिक्र न करते हुए सिर्फ इतना बताया गया कि एलआईसी लखनऊ को बीमा राशि भुगतान के लिए 23 मार्च 24 को पत्र लिखा गया है।
इस जानकारी से असंतुष्ट कोर्ट ने ऐसे मामलों में सरकारी कार्यशैली पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा, इस तरह की तमाम याचिकाएं कोर्ट में दाखिल हैं, जिनमें सेवानिवृत्ति परिलाभों के भुगतान का समादेश जारी करने की मांग की गई है। इस पर कोर्ट ने कहा पेंशन आदि पाना कर्मचारी का अधिकार है, कोई कृपा, दया नहीं है। इसका भुगतान बिना टालमटोल के समय से किया जाना चाहिए। खफा कोर्ट पूछा कि नगर आयुक्त बताएं, सेवानिवृत्ति के ऐसे कितने मामले लंबित हैं। क्या-क्या करवाई की गई। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए तारीख नियत करते इस मामले समेत कई अन्य लंबित याचिका के जिक्र करते हुए कानपुर नगर के नगर आयुक्त से जानकारी तलब की है।