विनोद शील
नई दिल्ली। वैसे तो अयोध्या में भगवान श्रीराम का राज त्रेतायुग में था ही किंतु कलयुग में रामराज्य लाने के लिए उन्हें 500 साल की लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। अब 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के भव्य श्रीराम मंदिर में श्रीरामलला की करीब 8 फीट ऊंची प्रतिमा की विधिवत प्राण प्रतिष्ठा के बाद एक बार फिर अयोध्या में ‘रामराज्य की स्थापना’ हो जाएगी।
मंदिर ट्रस्ट ने निर्णय किया है कि 22 जनवरी की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद 23 जनवरी से भव्य राम मंदिर में आमजन के लिए दर्शन शुरू कर दिया जाएगा। अयोध्या स्थित मणिराम छावनी में हुई राम मंदिर ट्रस्ट की दो दिवसीय बैठक में यह निर्णय लिया गया कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर में स्थापित रामलला की सुंदर फोटो खींची जाएगी। इसे लाखों की संख्या में छपवा कर श्रद्धालुओं को प्रसाद के साथ वितरित किया जाएगा। इस तरह रामलला की फोटो 10 करोड़ घरों तक पहुंचाने का कार्यक्रम बनाया गया है। मंदिर ट्रस्ट के महामहासचिव चंपत राय के अनुसार दिसंबर 2024 तक पूरा मंदिर तीन तल का बन कर तैयार हो जाएगा। भूतल में 5 मंडप प्रथम तल में 3 मंडप व दूसरेअंतिम तल पर केवल दो मंडप बनेंगे। 5 सदी से अयोध्या में पर्यटक और श्रद्धालु आने से कतराते थे और भगवान श्रीराम को सभी दिन 24X7 आंधी-पानी और तूफान में फटी तिरपाल के नीचे बिताने पड़ते थे पर अब वह दृश्य नहीं रहा। सुप्रीम कोर्ट ने जब सुप्रीम फैसला राम मंदिर के पक्ष में सुनाया और 5 अगस्त 2020 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर का भूमि पूजन किया तो उस दिन से अयोध्या निरंतर प्रगति की ऊंचाई पर खड़ी नजर आने लगी है। अब जिस प्रकार की तैयारियां हो रही हैं, उसे अयोध्या में रामराज का अहसास कराने की तैयारी भी कहा जा सकता है।
लखनऊ से मिली एक रिपोर्ट के मुताबिक रामनगरी और उसके आसपास के इलाकों को बड़ी सौगात मिल सकती है। अयोध्या के पास स्थित माझा जमथरा गांव में 25 एकड़ भूमि पर भारतीय मंदिर वास्तुकला संग्रहालय की स्थापना की बात की जा रही है। संग्रहालय में छठी शताब्दी से लेकर अब तक के मंदिरों की वास्तुकला का प्रदर्शन होगा।

“जय सियाराम! आज (25 अक्टूबर) का दिन बहुत भावनाओं से भरा हुआ है। अभी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी मुझसे मेरे निवास स्थान पर मिलने आए थे। उन्होंने मुझे श्रीराम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर अयोध्या आने के लिए निमंत्रित किया है। मैं खुद को बहुत धन्य महसूस कर रहा हूँ। ये मेरा सौभाग्य है कि अपने जीवनकाल में, मैं इस ऐतिहासिक अवसर का साक्षी बनूंगा।”
संग्रहालय के लिए गाटा संख्या 57 की 25 एकड़ भूमि पर्यटन विभाग को निशुल्क हस्तांतरित करने का प्रस्ताव कैबिनेट में मंजूर किया जा सकता है। कैबिनेट में देवीपाटन धाम तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद और श्री अयोध्या जी तीर्थ क्षेत्र विकास विकास परिषद की स्थापना का विधेयक विधानमंडल के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश करने का प्रस्ताव भी मंजूर किया जा सकता है।
इस बीच 5नवंबर से अयोध्या में ‘अक्षत पूजा’ के साथ राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का अनुष्ठान शुरू हो गया है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अधिकारियों ने बताया कि ट्रस्ट ने राम जन्मभूमि पर भगवान राम के दरबार में हल्दी और देसी घी के साथ लगभग 100 क्विंटल साबुत चावल की पूजा के साथ ‘अक्षत पूजा’ का आयोजन किया। पूजा के दौरान कलश भगवान राम के सामने रखे गए थे। अक्षत पूजा के बाद देश भर से आए विहिप कार्यकर्ताओं को पीतल के 101 कलश सौंपे गए, जिसे वो देश भर में ले जाएंगे। एक कलश में 5 किलो अक्षत भरा गया है। ये कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर इस कलश के अक्षत को (कई क्विंटल अक्षत में मिलाकर) बांटेंगे। साथ ही वे घर-घर में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की सूचना देने के अलावा लोगों को अक्षत देकर रामलला की ओर से निमंत्रण भी देंगे।
प्राण प्रतिष्ठा के दिन हर गांव के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम व भजन कीर्तन करने की भी अपील की गई है।
ट्रस्ट के महामहासचिव चंपत राय ने कहा कि अगले साल एक जनवरी से 15 जनवरी तक भारत के पांच लाख गांवों में पूजित अक्षत बांटा जाएगा।
ट्रस्ट ने राम मंदिर के बारे में जानकारी देने वाले पर्चे भी प्रकाशित किए हैं, जिन्हें अक्षत के साथ बांटा जाएगा। इसमें कहा गया कि अभिषेक के दिन हर राम भक्त शाम को सरसों के तेल के पांच दीपक भी जलाए।