ब्लिट्ज ब्यूरो
1. तैत्तरीय आरण्यक नाम ग्रंथ में राम शब्द का अर्थ है पुत्र। इसके श्लोकों में पुत्र को राम कहा गया है।
2. ब्राह्मण संहिता कहती है “रमन्ते सर्वत्र इति राम” यानी जो सभी जगह रमा हुआ है वो राम है।
3. संस्कृत व्याकरण और शब्द कोष कहता है “रमन्ते” का अर्थ राम, अर्थात जो सुंदर है दर्शनीय है, वो राम है।
4. मनोज शब्द को भी राम से जोड़ा जाता है। मनाेज का अर्थ है मन को जानने वाला। जो मन को जानता है वो राम है।
5. हिंदी व्याख्याकार राम का अर्थ बताते हैं जो आनंद देने वाला हो, संतुष्टि देने वाला हो, वो राम है।
6. कुछ विद्वानों की व्याख्या है, चार भाइयों में भरत धर्म, शत्रुघ्न अर्थ, लक्ष्मन काम और राम मोक्ष के प्रतीक हैं। अत: राम नाम का एक अर्थ मोक्ष भी है।
7. एक अर्थ और है। राम दो अक्षर और एक मात्रा से मिलकर बना है र, आ और म। र से रसातल यानी पाताल, आ से आकाश और म से मृत्युलोक यानी पृथ्वी। जो पाताल, आकाश और धरती तीनों का स्वामी है, वो राम है।
8. संस्कृत व्याकरण के मुताबिक ‘रम’ धातु में ‘घञ’ प्रत्यय के योग से ‘राम’ शब्द बनता है। ‘रम’ धातु का अर्थ रमण (निवास) करना है। वे प्राणियों के हृदय में ‘रमण’ (निवास) करते हैं, इसलिए ‘राम’ हैं। भक्त भी उनके मन में ‘रमण’ करते हैं इसलिए भी वे ‘राम’ हैं।
9. जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य कहते हैं “रमन्ते कणे कणे इति राम:” जो कण-कण में व्याप्त है, वो राम है।
10. विष्णुसहस्रनाम पर अपने भाष्य में आद्य शंकराचार्य ने कहा है कि नित्यानन्दस्वरूप भगवान में योगिजन रमण करते है इसलिए वे ‘राम’ हैं।




















