• Latest
  • Trending
Pollution is the biggest threat to human existence

प्रदूषण मानव अस्तित्व पर सबसे बड़ा खतरा

November 17, 2023
Hurt President Draupadi Murmu's message through a special article, enough is enough

आहत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का विशेष लेख के जरिये संदेश बस अब बहुत हुआ

August 30, 2024
मनी लांड्रिंग केस में इकबालिया बयान को सीधे सुबूत नहीं मान सकते

मनी लांड्रिंग केस में इकबालिया बयान को सीधे सुबूत नहीं मान सकते

August 30, 2024
court

पहली नजर में एससी, एसटी का मामला न दिखे तो अग्रिम जमानत मिले

August 30, 2024
अनेक सवाल खड़े कर गया कोलकाता कांड

अनेक सवाल खड़े कर गया कोलकाता कांड

August 30, 2024
AI will tell about lung disease by the sound of cough

एआई बताएगी खांसी की आवाज से फेफड़ों की बीमारी का पता

August 30, 2024
महाभारत में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दी थी 5 सीख

महाभारत में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दी थी 5 सीख

August 30, 2024
People are shedding blood for water all over the world

दुनियाभर में पानी के लिए खून बहा रहे लोग

August 30, 2024
yogi

महिलाओं के कार्यस्थल की नियमित सुरक्षा ऑडिट के निर्देश

August 30, 2024
Yogi suddenly reached Banke Bihari temple, kept looking at the image of Thakur ji.

अचानक बांकेबिहारी मंदिर पहुंचे योगी, ठाकुर जी की छवि को निहारते रहे

August 30, 2024
Task force formed for women employees in KGMU

केजीएमयू में महिला कर्मियों के लिए बनी टास्क फोर्स

August 30, 2024
If we divide we will be cut off, if we remain united we will be safe: Yogi

बंटेंगे तो कटेंगे, एक रहे तो सुरक्षित रहेंगे : योगी

August 30, 2024
Air India flight delays are out of control

नोएडा एयरपोर्ट से उड़ान की तैयारी

August 30, 2024
Sunday, October 26, 2025
Retail
संपर्क
डाउनलोड
  • देश
  • उत्तर-प्रदेश
  • राष्ट्रीय
    • उत्तर-प्रदेश
  • राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्री
  • चुनाव विशेष
  • स्टेट-नेशनल
  • महिला-खेल
  • डाउनलोड
  • अंग्रेजी
  • संपर्क
  • ई-पेपर
No Result
View All Result
Welcome To Blitz India Media
No Result
View All Result

प्रदूषण मानव अस्तित्व पर सबसे बड़ा खतरा

by Blitzindiamedia
November 17, 2023
in दृष्टिकोण
0
Pollution is the biggest threat to human existence

deepakभारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय मुद्दा है और वायु प्रदूषण एक विकराल समस्या बन गई है। इसकी वजह से भारत ही नहीं, दुनिया भर में मौतों और बीमारियों का आंकड़ा साल दर साल बढ़ रहा है। यह मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रहा है। लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ पॉल्यूशन नामक पत्रिका 2020 में प्रकाशित एक प्रमुख अध्ययन से पता चला है कि प्रदूषण इंसान के लिए “सबसे बड़ा अस्तित्व संबंधी खतरा” बनकर उभरा है।
वायु प्रदूषण की वजह से हर साल दुनिया भर में 90 लाख से अधिक लोगों की मौत हो रही है। अध्ययन से पता चला है कि दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत में वायु प्रदूषण से अधिक लोगों की मौत होती है।

इसके परिणामस्वरूप 2019 में भारत में 16.7 लाख मौतें हुईं जो उस साल दुनिया भर में इस कारण हुई मौतों का 17.8 प्रतिशत थी। 2016 की डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण से एक घंटे में करीब 12 मौतें होती हैं। बाहरी और घरेलू वायु प्रदूषण के कारण 2016 में पांच वर्ष से कम उम्र के 1,01,788 बच्चों की समय से पहले मृत्यु हो गई। घर के बाहर की हवा प्रदूषित होने से देश में हर घंटे लगभग सात बच्चे मर जाते हैं, और उनमें से आधे से अधिक लड़कियां हैं।

YOU MAY ALSO LIKE

अनेक सवाल खड़े कर गया कोलकाता कांड

एआई बताएगी खांसी की आवाज से फेफड़ों की बीमारी का पता

2019 में दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 21 भारत में थे। 2016 के आंकड़ों पर आधारित एक अध्ययन के अनुसार, भारत में लगभग 140 मिलियन लोग 10 गुना या उससे अधिक प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं।

डब्ल्यूएचओ की सुरक्षित सीमा से अधिक और वायु प्रदूषण के उच्चतम वार्षिक स्तर वाले दुनिया के 20 शहरों में से 13 भारत में हैं जहां करीब 51 प्रतिशत प्रदूषण औद्योगिक प्रदूषण से, 27 प्रतिशत वाहनों से, 17 प्रतिशत फसल जलाने से और 5 प्रतिशत अन्य स्रोतों से होता है। आंकड़ों पर अगर गौर करें तो वायु प्रदूषण हर साल लगभग 20 लाख भारतीयों की असामयिक मृत्यु का कारण बनता है। शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान द्वारा 2023 के लिए अगस्त में जारी वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स) रिपोर्ट से पता चला है कि वायु प्रदूषण से दिल्ली में रहने वाले लोगों की जीवन प्रत्याशा (लाइफ एक्सपेंटेंसी) 11.9 साल कम हो गई है। शोधकर्ताओं ने कहा कि पीएम 2.5 भारत में मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

हृदय रोगों (4.5 वर्ष) और बाल एवं मातृ कुपोषण (1.8 वर्ष) की तुलना में औसत भारतीय के जीवन में 5.3 वर्ष कम हो जाते हैं और हम सभी यह जानते हैं कि दिल्ली, दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में टॉप पर है। लैंसेट अध्ययन के आंकड़ों के मद्देनजर श्वसन तंत्र चिकित्सा के विशेषज्ञों की राय के मुताबिक, ‘हमारे देश में विशेषकर सिंधु-गंगा पट्टी में, वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के साथ मौतों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। यह वही है जो हम इन दिनों अनुभव कर रहे हैं’। वस्तुत: वायु प्रदूषण का यह ‘धीमा जहर’ अजन्मे, नवजात शिशुओं और सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर रहा है। वायु प्रदूषण के चलते जन्म के समय ही बच्चे का वजन कम होता है, बड़े होने पर वह एलर्जी का शिकार हो सकता है।

– आज की तारीख में दिल्ली-एनसीआर के कुछ इलाकों में सांस लेना 20 या इससे अधिक सिगरेट पीने के बराबर है।
– अब सरकारों को ऐसे उपायों पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है जिनसे प्रदूषण की समस्या का स्थायी समाधान निकले।

शरद ऋतु और वसंत के महीनों में कृषि क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर फसल अवशेष जलाना – यांत्रिक जुताई का एक सस्ता विकल्प – धुआं, धुंध और कण प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है। भारत में ग्रीन हाउस गैसों का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन कम है लेकिन कुल मिलाकर देश चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद तीसरा सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्पादक है।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के शहरों में प्रदूषण की खतरनाक धुंध का गाढ़ा होना न केवल दुखद, बल्कि विशेष चिंता का विषय है। दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 500 के आसपास पाया जा रहा है जो पिछले साल से भी अधिक है। अब हालत यह है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लोग आमतौर पर इस प्रदूषण को अपनी सांसों व आंखों में महसूस करने लगे हैं। वायु गुणवत्ता बहाल करने के लिए हरसंभव उपाय करने की जरूरत आ खड़ी हुई है।

अब आवश्यकता इस बात की है कि वायु गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा ठोस कदम उठाए जाएं। अभी जो उपाय किए गए हैं, उन्हें जारी रखा जाए पर ऑड-ईवन जैसे तात्कालिक उपाय भी न अपनाए जाएं जिनसे आने वाले दिनों में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़े। कृत्रिम वर्षा पर करोड़ों रुपये फूंकने के बजाय सरकारें इन्हीं रुपयों से किसानों को ऐसी मशीनें सस्ती दरों पर उपलब्ध कराएं ताकि उन्हें अपनी फसलों के ठूंठ जलाने की आवश्यकता ही न पड़े। परिवहन के सस्ते व इलेक्ट्रॉनिक साधन शहरों व गांवों में आवागमन के लिए सर्वसुलभ कराए जाएं ताकि लोग अपने वाहनों का कम से कम प्रयोग करें, तभी इस समस्या का स्थायी समाधान संभव है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण की जो गंभीर स्थिति बनी है, उसे नजरंदाज नहीं किया जा सकता। यह पूरी जिम्मेदारी से काम करने का समय है।

कहीं न कहीं सरकारों व सरकारी एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी है, जिसकी वजह से ऐसे प्रदूषण के हालात बार-बार या हर साल बनने लगे हैं। स्थिति यह है कि आज की तारीख में दिल्ली-एनसीआर के कुछ इलाकों में सांस लेना 20 या इससे अधिक सिगरेट पीने के बराबर है। इतना तो कोई भी बता सकता है कि प्रदूषण के खिलाफ बातें तो खूब हुई हैं पर जो कदम उठाए जाने चाहिए थे, वे नहीं उठाए गए। अत: अब सरकारों को ऐसे उपायों पर गंभीरता से काम करने की जरूरत है जिनसे प्रदूषण की समस्या का स्थायी समाधान निकले। साथ ही नागरिकों के हर वर्ग को भी यह दायित्व स्वत: स्वीकार करना चाहिए कि वे कोई ऐसे कार्य न करें जिनसे किसी भी प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि हो क्योंकि प्रदूषण अंतत: उनके ही अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

ShareTweetSend

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Our Visitor

158280

POPULAR NEWS

  • India shows way out to UN military observer group

    संरा के सैन्य पर्यवेक्षक समूह को भारत ने दिखाया बाहर का रास्ता

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • प्रोपर्टी पर जिसका 12 साल से कब्जा, वही होगा मालिक

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • 12 साल से है जमीन पर कब्जा तो वही होगा असली मालिक

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • गंगाजल खराब नहीं होता, लेकिन क्यों ?

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • पृथ्वी का आखिरी देश जहां सूरज केवल 40 मिनट के लिए ही डूबता है

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
Welcome To Blitz India Media

© 2023 Blitz India Media -BlitzIndia Building A New Nation

Navigate Site

  • About
  • Our Team
  • Contact

Follow Us

No Result
View All Result
  • देश
  • उत्तर-प्रदेश
  • राष्ट्रीय
    • उत्तर-प्रदेश
  • राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्री
  • चुनाव विशेष
  • स्टेट-नेशनल
  • महिला-खेल
  • डाउनलोड
  • अंग्रेजी
  • संपर्क
  • ई-पेपर

© 2023 Blitz India Media -BlitzIndia Building A New Nation