ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय कार्यक्रम ‘परीक्षा पे चर्चा’ (पीपीसी) में देश भर के स्टूडेंट्स, टीचर्स और पैरेंट्स से सीधा संवाद किया। इस दौरान पीएम ने परीक्षा के तनाव, परीक्षा की तैयारी में दबाव, करियर के चुनाव, मोबाइल के सकारात्मक इस्तेमाल, आत्मविश्वास बनाए रखने आदि जैसे विषयों से सम्बन्धित छात्रों के प्रश्नों के जवाब दिए। वर्ष 2018 से शुरू हुए और हर साल बोर्ड परीक्षाओं से पहले आयोजित किए जाने वाले लाइव ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम का इस साल 7वां संस्करण नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मण्डपम में किया गया। साथ ही, इस कार्यक्रम को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लाइव देखा गया।
‘मैं हर चुनौती को चुनौती देता हूं’
पीएम मोदी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम मेरी भी परीक्षा होती है। परीक्षा के तनाव को कम करने के लिए पीएम ने अभिभावकों को सलाह दी कि वे अपने बच्चे के रिपोर्ट कार्ड को अपना विजिटिंग कार्ड न मानें। पेश है उनसे किए गए कुछ अहम सवालों के जवाब…
ऊधमसिंह नगर, उत्तराखण्ड के कक्षा 7 की एक स्टूडेंट का सवाल : आप अपनी बिजी लाइफ में पॉजीटिव कैसे बने रहते हैं?
पीएम : मैं हर चुनौती को चुनौती देता हूं। मैं चुनौती समाप्त होने की प्रतीक्षा नहीं करता। हर चुनौती का सामना करने का नया तरीका खोजता रहता हूं। मैं हमेशा मानता हूं कि कुछ भी हो 140 करोड़ देशवासी मेरे साथ हैं। अगर 100 मिलियन चुनौतियां हैं तो बिलियंस ऑफ बिलियन समाधान भी हैं। मुझे हमेशा पता है कि मेरा देश और मेरे देश के लोग सामर्थ्यवान हैं। इससे हम हर चुनौती का सामना कर लेंगे। मैं अपनी शक्ति देश का सामर्थ्य बढ़ाने में लगाता हूं।
मै हर परिस्थिति की एनालिसिस करता हूं। जिसका जिसके पास सामर्थ्य है, उसे उसका सही उपयोग करना चाहिए। मैंने निराशा की सभी खिड़की बंद कर रखी हैं। इसलिए जीवन में आत्मविश्वास से भरा रखता हूं। इससे मुझे निर्णय लेने में मदद मिलती है।
झारखण्ड के एक पैरेंट्स और हिमाचल प्रदेश के गार्जियन का सवाल : मोबाइल को डिस्ट्रैक्शन की बजाय लर्निंग का साधन कैसे बनाएं?
पीएम : हर बात की सीमा तय करनी ही होगी। मोबाइल पर कितनी भी प्रिय चीज आती हो लेकिन समय तो तय करना ही होगा। परिवार में कुछ नियम होने चाहिए। खाना खाते समय कोई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट न प्रयोग करने का नियम बनाएं। घर में ‘नो गैजेट जोन’ बनाएं। टेक्नोलॉजी से बच नहीं सकते हैं लेकिन उसका सही उपयोग आवश्यक है। स्टूडेंट्स को चाहिए कि वे अपने पैरेंट्स को बताएं कि मोबाइल पर क्या-क्या उपलब्ध है। मोबाइल स्क्रीन का पासवर्ड परिवार के सभी सदस्य को पता होना चाहिए। अपने मोबाइल में स्क्रीन टाइम एप इंस्टॉल कर सकते हैं। मोबाइल के पॉजीटिव यूज की आदत बनाएं।
छात्रों का सवाल: पैरेंट्स को कैसे विश्वास दिलाएं कि हम मेहनत कर रहे हैं?
पीएम : माता-पिता में बच्चों को लेकर ट्रस्ट-डेफिसिट आमतौर पर देखने को मिलता है। इससे बचने के लिए टीचर्स और पैरेंट्स को बहुत एनालिसिस के साथ व्यवहार करना चाहिए।
एक विद्यार्थी होने के नाते जरूर सोचें कि जो आपने अपने पैरेंट्स को कहा है, क्या आप उसका पालन करते हैं। यदि ऐसा करते हैं तो उनका आप पर विश्वास बनेगा। इसी प्रकार माता-पिता और शिक्षकों को बच्चों के साथ खुलापन रखना चाहिए। यदि बच्चे को समझ में न आए तो उन्हें हतोत्साहित न करें। सिर्फ अच्छे नंबर लाने वाले छात्र पर ही फोकस न करें। सभी छात्र-छात्राओं का आत्मविश्वास बढ़ाएं।
पानीपत हरियाणा के मिलेनियम स्कूल की 11वीं की एक छात्रा तथा अन्य छात्रों का सवाल: स्ट्रीम चुनने की दुविधा और चयन में दबाव को कैसे दूर करें?
पीएम : आमतौर पर छात्र-छात्राएं दूसरे की सलाह पर निर्भर होते हैं। दुविधा और अनिर्णायकता सबसे बुरी स्थिति है। निर्णय लेने से पहले सबसे पहलुओं की जांच करनी चाहिए। हम अपने आप को कम न आंकें।
लद्दाख के केंद्रीय विद्यालय की छात्रा तथा अरुणाचल प्रदेश की एक शिक्षिका का सवाल: परीक्षा की तैयारी में स्वास्थ्य कैसे बनाएं रखें?
पीएम : जैसे मोबाइल को रिचार्ज करना होता है, वैसे ही शरीर को भी रिचार्ज करने की जरूरत होती है। पढ़ाई का मतलब यह नहीं कि और सब कुछ बंद। पढ़ाई के साथ-साथ स्वास्थ्य का भी महत्व है। स्वस्थ मन के लिए स्वस्थ शरीर की आवश्यकता होती है। नियम से कुछ समय निकालें ताकि आप सनलाइट ले सकें। कम नींद स्वास्थ्य के लिए अनुचित है। संतुलित आहार लें। माता-पिता को भी चाहिए कि भोजन का ध्यान रखें। कम खर्च में भी संतुलित आहार उपलब्ध है।
पश्चिम त्रिपुरा की एक छात्रा तथा कांकेर छत्तीसगढ़ में केंद्रीय विद्यालय का सवाल: परीक्षा के दौरान होने वाली गलतियों और तनाव का सामना कैसे करें?
पीएम : परीक्षा के दौरान पैरेंट्स अपने बच्चे के साथ सामान्य दिनों की तरह ही बर्ताव करें। अन्यथा इससे उनमें परीक्षा के लिए जाने से पहले ही तनाव शुरू हो जाता है। छात्र परीक्षा कक्ष में जाने के बाद स्वयं को पहले नॉर्मल करें। डीप ब्रीदिंग कर सकते हैं। एग्जाम हॉल में अनावश्यक तनाव न लें। परीक्षा में घबराहट का कारण स्वयं की सोच होती है। क्वेश्चन पेपर मिले तो उसे ध्यान से पढ़ें। किसी प्रश्न के लिए कितना समय देना है, इसकी योजना बना सकते हैं।
परीक्षा की तैयारी में लिखने की अधिक से अधिक प्रैक्टिस करें। इससे परीक्षा में जल्दी लिखने की हड़बड़ी नहीं होगी। साथ ही, एग्जाम के दिन किसी साथी की लिखने की स्पीड से तनाव न लें।
आंध्र प्रदेश के संगीत के एक शिक्षक तथा एक अन्य शिक्षक का सवाल:मैं अपने छात्रों को परीक्षा के तनाव से कैसे दूर रखूं और उन्हें प्रोत्साहित कैसे किया जाए?
पीएम : टीचर- स्टूडेंट का नाता क्लास के पहले ही दिन से एग्जाम तक निरंतर बढ़ते रहना चाहिए। इससे परीक्षा के दिनों में तनाव की नौबत ही नहीं आएगी। शिक्षक छात्र से सिलेबस से आगे बढ़कर नाता जोड़ेगा तो परीक्षा के तनाव की स्थिति बनेगी ही नहीं।
एक अन्य छात्र का सवाल : प्रेशर, कॉम्पटीशन की चिंता से कैसे बचें?
पीएम : जीवन में चुनौती होनी ही चाहिए। प्रतियोगिता होनी चाहिए लेकिन यह हेल्दी कम्पटीशन होना चाहिए। परिवार के रोजमर्रा के जीवन में छात्रों की तुलना का बीज आगे चलकर जहरीला बीज बन जाता है। माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्य अपने बच्चे की किसी से तुलना न करें। छात्रों को हमें अपने दोस्त से ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए। बल्कि दोनों को एक दूसरे की हेल्प करनी चाहिए। दोस्त अपने से अधिक तपस्वी और तेजस्वी चुनने चाहिए और उनसे सीखने का प्रयास करें।
ओमान तथा नई दिल्ली के बुराड़ी स्थित एक स्कूल के छात्रों का प्रश्न: परीक्षा के दौरान आस-पास के लोगों, सामाजिक और सांस्कृतिक दबाव को कैसे दूर करें?
पीएम : सबसे पहले स्वयं को दबाव के बारे में समझना होगा। दबाव अलग-अलग प्रकार के होते हैं। इन दबावों के लिए स्टूडेंट्स, पैरेंट्स और टीचर्स को मिलकर काम करना होगा। मिलकर प्रयास करेंगे तो एग्जाम टाइम में ऐसे प्रेशर से बचे रहेंगे।
– घर में ‘नो गैजेट जोन’ बनाएं
– छात्र खुद से करें प्रतिस्पर्धा न कि दूसरे से
– आपने पैरेंट्स से जो कहा उसका पालन करें
– बच्चे को समझाएं, उन्हें हतोत्साहित न करें
– पढ़ाई के साथ स्वास्थ्य का भी रखें ध्यान
– समय निकालें ताकि आप सनलाइट ले सकें
– एग्जाम हॉल में डीप ब्रीदिंग लें
– छात्र से शिक्षक निरंतर नाता जोड़ें
– छात्रों में हैल्दी कम्पटीशन होना चाहिए
– स्ट्रेस दूर करने के लिए स्टूडेंट्स, पैरेंट्स और टीचर्स को मिलकर काम करना होगा