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अब खेलों में भी महाशक्ति बनने की ओर भारत

by Blitzindiamedia
October 13, 2023
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deepakप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए देशवासियों और खिलाड़ियों को बधाई दी है। इसमें कोई दो राय नहीं कि पीएम मोदी के खेलो इंडिया अभियान ने भी ऐसी उपलब्धियों को हासिल करने के लिए खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया है।

ये नया भारत है जनाब…!! ये शब्द अब सिर्फ फिल्मी नहीं रह गए क्योंकि अपना भारत अब वास्तव में बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है और नए-नए इतिहास रच रहा है। बीते माह हमारे महान विज्ञानियों ने हमें चंद्रमा के साउथ पोल पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला और एकमात्र देश बनाया था तो अब हमारे खिलाड़ियों ने गर्व करने का एक और मौका दे दिया है। चीन में खेले गए एशियाई खेलों में कामयाबी की नई इबारत लिखी जा चुकी है।

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राष्ट्रीय खेल हॉकी में गोल्ड मेडल जीतते ही भारत के 100 पदक पक्के हो गए थे और इस बार भारत ने कुल मिला कर 107 पदक हासिल किए हैं। इधर हमारा तिरंगा सबसे ऊंचा लहरा रहा था तो उधर ‘अबकी बार सौ पार’ का मंत्र पूरा हो रहा था। भारतीय खिलाड़ियों ने इस बार 2023 के एशियाई खेलों में सफलता की नई कहानी लिख दी है। भारतीय एथलीट ‘अब की बार 100 पार’ का नारा लेकर चीन के हांगझोउ में आयोजित 19वें एशियाई खेलों के लिए रवाना हुए थे। एशियाई खेलों के 72 साल के इतिहास में पहली बार भारत ने हासिल किया है यह मुकाम। पहले 4 अक्टूबर को भारत ने अधिकतम 70 पदक जीतने के रिकॉर्ड को तोड़ा और उसके बाद इस 7 अक्टूबर को 107 पदकों के साथ समापन किया। मतलब लगभग पांच वर्ष के समय में भारत की झोली में 37 पदकों का इजाफा स्वयं स्वर्णिम कहानी बयां कर रहा है। वाकई 7 अक्टूबर, 2023 का दिन भारतीय खेल के इतिहास में हमेशा यादगार रहेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए देशवासियों और खिलाड़ियों को बधाई दी है। इसमें कोई दो राय नहीं कि पीएम मोदी के खेलो इंडिया अभियान ने भी ऐसी उपलब्धियों को हासिल करने के लिए खिलाड़ियों को भरपूर प्रोत्साहित किया है। एशियाई खेलों की शुरुआत 1951 में हुई थी। दिल्ली में इसका आयोजन किया गया था और मेजबान भारत ने कुल 51 पदक जीते थे। इनमें 15 स्वर्ण, 16 रजत और 20 कांस्य पदक शामिल थे। पदक तालिका में भारत दूसरे स्थान पर था। हालांकि, इसके बाद भारत को 50 पदक हासिल करने के लिए 31 साल का इंतजार करना पड़ा। 1982 में नई दिल्ली में आयोजित एशियाई खेलों में भारत ने 13 स्वर्ण सहित 57 पदक जीते। 1954 में भारत ने कुल 17 और 1958 में सिर्फ 13 पदक जीते।
1990 में ऐसा मौका भी आया जब पदक तालिका में भारत शीर्ष 10 में भी नहीं था। उस साल भारत के पास सिर्फ 23 पदक थे जिनमें सिर्फ एक स्वर्ण पदक था। 1998 से भारत के प्रदर्शन में सुधार आया और 2006 में पहली बार भारत ने घर से बाहर 50 से ज्यादा पदक जीते। इसके बाद से भारत लगातार 50 से ज्यादा पदक जीतता आया है। 2010 में भारत ने 65 पदक और 2018 में इससे बेहतर प्रदर्शन कर 70 पदक जीते।

अब 2023 में भारत ने एक नया कार्तिमान गढ़ कर कुल 107 पदक हासिल किए हैं जिनमें 28 स्वर्ण, 38 रजत और 41 कांस्य पदक शामिल हैं। इस बार कुछ अनोखी और रोचक कहानियां भी देखने को मिलीं। घुड़सवारी ड्रेसेज टीम ने 41 साल बाद स्वर्ण पदक जीता और सिफ्त कौर समरा ने महिलाओं की 50 मीटर राइफल थ्री-पोजीशन में विश्व रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक हासिल किया। समरा ने निशानेबाजी में सफलता हासिल करने के लिए अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। एशियाड में पहली बार महिला क्रिकेट टीम की खिताबी जीत से क्रिकेट को भी एक वैश्विक खेल बनाने की नई जमीन तैयार हुई है। चीन और दक्षिण कोरिया में आयोजित 2010 एवं 2014 के एशियाड खेलों में क्रिकेट खेला गया था लेकिन तब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने इनमें अपनी टीमें नहीं भेजी थीं। इन खेलों में कुछ चौंकाने वाले क्षण देखने को मिले। भारत की सुतीर्था मुखर्जी और अयहिका मुखर्जी की जोड़ी मेजबान चीन की चेन मेंग और यिडी वांग की विश्व चैंपियन जोड़ी को पछाड़ कर टेबल टेनिस के महिला युगल स्पर्धा के सेमीफाइनल में पहुंच गई और पुरुष हॉकी के लीग मैच में भारत ने पाकिस्तान को 10-2 से हरा दिया। अपने चिर प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ भारत की जीत का यह सबसे बड़ा अंतर है।
वैसे पदकों के मामले में मेजबान चीन अन्य देशों से बहुत आगे है। स्वर्ण पदकों की उसकी गिनती भारत के मुकाबले लगभग सात गुना ज्यादा है लेकिन ऐसा लगता है कि भारत के युवा सितारों ने बड़े मंच पर बेहतर ढंग से तालमेल बिठाना सीख लिया है और यह भविष्य के लिए एक अच्छा संकेत है। बैडमिंटन, स्क्वैश, टेनिस, गोल्फ, रोइंग और सेलिंग के सितारों ने अपने अच्छे प्रदर्शन से योगदान दिया। इस बार की पदक तालिका आने वाले वर्षों में हजारों भावी खिलाड़ियों को प्रेरणा देती रहेगी। यह महज दूसरी बार है, जब भारत ने – ओलंपिक, राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में से किसी एक में 100 से अधिक पदक जीते हैं। साल 2010 में नई दिल्ली में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने 101 पदक जीते थे।

भारत ने सबसे ज्यादा रिकॉर्ड 29 पदक एथलेटिक्स में जीते हैं और निशानेबाजी में 22 मेडल। तमाम उपलब्धियों से यह बात स्पष्ट हो गई है कि भारत खेल क्षेत्र में भी महाशक्ति बनने की राह पर तेजी से अग्रसर है। अब समय आ गया है कि एक-दूसरे के अनुभवों से सीखकर खिलाड़ी तेजी से आगे बढ़ें। खिलाड़ियों ने दिए गए लक्ष्यों को पूरा किया है, तो खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों और प्रायोजकों का मनोबल भी खूब बढ़ा होगा। ऐसे मनोबल के साथ हम पेरिस ओलंपिक तथा अगले एशियाड में 200 पदकों की ऊंचाई छूने का अभियान छेड़ सकते हैं, पर उसके लिए प्रयास अभी से ही करने होंगे।

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