• Latest
  • Trending
लोकतंत्र का नया मंदिर संस्कृति व आधुनिकता का अनोखा संगम

लोकतंत्र का नया मंदिर संस्कृति व आधुनिकता का अनोखा संगम

June 2, 2023
army-base

अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास बन रहा भारतीय सेना का नया एविएशन कोर बेस

October 3, 2023
हिंडन एयरबेस में आयोजित 'भारत ड्रोन शक्ति-2023' प्रदर्शनी में औपचारिक रूप से सी -295 परिवहन विमान को भारतीय वायु सेना में शामिल कर लिया गया।

स्वदेशी ड्रोन उद्योग ने दिखाई क्षमता

October 3, 2023
un

भारत, ब्राजील, जर्मनी, जापान को स्थायी सदस्य बनाएं

October 3, 2023
Australia and UK support India's permanent membership

ऑस्ट्रेलिया और यूके का भारत की स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन

October 3, 2023
Musk approved for brain chip

ब्रेन चिप के लिए मस्क को मंजूरी

October 2, 2023
M. S. Swaminathan

हरित क्रांति के जनक स्वामीनाथन का निधन

October 2, 2023
Eggs found inside alien bodies

एलियन के शवों के भीतर मिले अंडे

October 2, 2023
Gift deed can also be canceled

निरस्त भी की जा सकती है गिफ्ट डीड

October 2, 2023
25-lac

कर्ज नहीं चुकाने वाले 25 लाख रुपये के बकायेदार भी अब होंगे डिफॉल्टर

October 2, 2023
Crackdown on corruption in Delhi will be tightened

दिल्ली में भ्रष्टाचार पर कसेगा शिकंजा

October 2, 2023
voter

वोटर रजिस्ट्रेशन के दौरान आधार की अनिवार्यता नहीं

October 2, 2023
smart-city

बिना रुके धन जुटाने वाले शहर ही बने स्मार्ट

October 2, 2023
Wednesday, October 4, 2023
Retail
संपर्क
  • देश
  • उत्तर-प्रदेश
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्री
  • चुनाव विशेष
  • स्टेट-नेशनल
  • महिला-खेल
  • डाउनलोड
  • अंग्रेजी
  • संपर्क
No Result
View All Result
Welcome To Blitz India Media
No Result
View All Result

लोकतंत्र का नया मंदिर संस्कृति व आधुनिकता का अनोखा संगम

by Blitzindiamedia
June 2, 2023
in दृष्टिकोण
0
लोकतंत्र का नया मंदिर संस्कृति व आधुनिकता का अनोखा संगम

प्रधानमंत्री मोदी ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत इस नए संसद भवन की नींव रखी और उसे रिकॉर्ड 30 महीनों के भीतर तैयार करवा कर एक अद्भुत कौशल का भी परिचय दिया।

जनता को उम्मीद, लोकतंत्र के इस नए मंदिर में देश और जनहित के फैसले चुने गए जनप्रतिनिधि पूरी ईमानदारी और सत्य निष्ठा के साथ लेंगे।

YOU MAY ALSO LIKE

पूरे राष्ट्र की राष्ट्रपिता को ‘स्वच्छांजलि’

नारी शक्ति वंदन का अभिनंदन

पिछले कई दिनों से देश की जनता को इस क्षण का बेसब्री से इंतजार था। 28 मई 2023 को वो ऐतिहासिक दिन आ गया जब देश की जनता को उनके ‘लोकतंत्र का नया मंदिर’ अर्थात नया संसद भवन मिल गया। भारत जो कि लोकतंत्र का जनक ही नहीं बल्कि विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र भी है, उसे अपना अत्याधुनिक स्वदेशी संसद भवन मिला और यह हर देशवासी के लिए गर्व का पल था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रोच्चार व वैदिक अनुष्ठान तथा सर्वधर्म प्रार्थना सभा के बाद संसद के नए भवन का शुभारंभ किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि नया भवन आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा। अभी तक हम जिस वर्तमान संसद भवन में संसदीय कार्यवाहियां पूर्ण करते थे, वह लगभग 96 वर्ष पूर्व अंग्रेजों ने बनाया था। यह वर्तमान आवश्यकताओं को पूर्ण नहीं कर पा रहा था। वहां सांसदों के बैठने के लिए भी पर्याप्त स्थान नहीं था। जनसंख्या के लिहाज से 2026 में लोकसभा तथा राज्यसभा में सीटों का नए सिरे से परिसीमन व पुनर्निर्धारण भी होगा। पुनर्निर्धारण से सांसदों की संख्या भी बढ़ेगी। यह संसद इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर बनाई गई है जिसमें अब 1272 सांसदों के एक साथ बैठने की व्यवस्था है। यह भवन पूरी तरह डिजिटल सुविधाओं से लैस है जिसे अगले 150 वर्ष तक के लिहाज से बनाया गया है। नई इमारत 7 से 9 रिक्टर स्केल तक के तीव्र भूकंप को भी झेलने में सक्षम है।

वर्तमान स्थितियों में देश को एक नए संसद भवन की सख्त आवश्यकता थी। प्रधानमंत्री मोदी ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत नए भवन की नींव रखी और उसे रिकॉर्ड 30 महीनों के भीतर तैयार करवा कर अद्भुत कौशल का भी परिचय दिया।

आजादी के अमृत काल में अंतत: 75 वर्षों के बाद ही सही, नवनिर्मित संसद भवन के लोकार्पण के दिन देश एक और ऐतिहासिक गौरवशाली परंपरा की पुनरावृत्ति का साक्षी बना। इस परंपरा को आजादी की पूर्व संध्या पर अंग्रेजों द्वारा भारत को सत्ता हस्तांतरण के स्मरणीय क्षण की स्मारिका के रूप में अपनाया गया था। यह रस्म भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल माउंटबेटन द्वारा एक राजदंड रूपी सेंगोल को सौंप कर पूर्ण की गई थी। पीएम मोदी ने इस सेंगोल को विधि-विधान पूर्वक लोकसभा अध्यक्ष के आसन के समीप स्थापित किया। इसके पूर्व उन्होंने तमिलनाडु से आए 21 अधीनम संतों से हवन व मंत्रोच्चार के बाद सेंगोल को दंडवत प्रणाम करके ग्रहण किया।

हमारी प्राचीन पद्धतियों में सेंगोल का लेखा-जोखा दर्ज है जिसे राजदंड के तौर पर जाना जाता रहा है। यह राजदंड सिर्फ सत्ता का प्रतीक ही नहीं बल्कि राजा के सामने हमेशा न्यायशील बने रहने और प्रजा के लिए राज्य के प्रति समर्पित रहने के वचन का स्थिर प्रतीक भी रहा है। 5000 साल पुराने महाभारत के शांतिपर्व में कहा गया है कि ‘राजदंड राजा का धर्म है, दंड ही धर्म और अर्थ की रक्षा करता है। प्राचीन भारत में यह परंपरा विशेष रूप से दक्षिण के गुप्त और चोल साम्राज्य में सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में प्रचलित थी। यहां गौरतलब है कि माउंट बेटन के पूछने पर चक्रवर्ती राजगोपालाचारी समेत अन्य विद्वानों द्वारा इस परंपरा को आजादी के उस क्षण के लिए सर्वथा उपयुक्त पाया गया जिसके लिए सैकड़ों वर्ष से भारतवासी संघर्षरत रहे।

सेंगोल में नंदी को न्याय के रक्षक का प्रतीक मानते हुए समृद्धि और ऐश्वर्य की प्रतीक लक्ष्मी के ऊपर का स्थान दिया गया जिसमें राज्य की खुशहाली की भावना समावेशित है वहीं अमीर और गरीब के भेदभाव के बिना निष्पक्ष न्याय की चिंता एक शासक करे, ऐसा भाव इस सेंगोल में समाहित किया गया। संभवत: इसी भावना के साथ इस सेंगोल की नई संसद में स्थापना की गई है। हम सभी जानते हैं कि वैसे तो लोकतंत्र के मंदिर का महत्व उसके निर्माण से अधिक उसकी लोकतांत्रिक भावनाओं और मूल्यों को जीवंत बनाए रखने और उनके परिपालन में सजगता से होता है। देश की जनता को इस बात की पूरी उम्मीद है कि लोकतंत्र के इस नए मंदिर में देश और जनहित के फैसले उनके द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि पूरी ईमानदारी और सत्य निष्ठा के साथ लेंगे।

एक खास बात यह भी रही कि नई संसद का उद्घाटन सत्र पूर्ण रूप से भारतीय संस्कृति व परंपराओं से ओतप्रोत रहा। नवनिर्मित संपूर्ण संसद भवन भी भारतीय संस्कृति व परंपराओं के रंग में रंगा हुआ है। पीएम मोदी उद्घाटन के वक्त धोती और कुर्ता पहने थे और उनका यह लुक काफी चर्चा में रहा। नए संसद भवन के अंदर अखंड भारत के मानचित्र के साथ देश के संविधान निर्माता डॉ बीआर आंबेडकर, सरदार पटेल और चाणक्य के चित्र उकेरे गए हैं। लोकसभा की थीम राष्ट्रीय पक्षी मोर तो राज्यसभा की थीम राष्ट्रीय फूल कमल पर आधारित है। प्रांगण में राष्ट्रीय वृक्ष बरगद भी है। महात्मा गांधी की 16 फुट ऊंची कांस्य की प्रतिमा भी स्थापित है। भवन में प्रवेश करते ही संगीत गलियारे में नृत्य, गीत और संगीत को दर्शाया गया है। स्थापत्य गलियारे में देश के स्थापत्य की विरासत नजर आती है। शिल्प गलियारे में अलग-अलग राज्यों के हस्तशिल्प की झांकी दिखती है। शीर्ष पर सारनाथ अशोक स्तंभ के शेर स्थापित हैं एवं 5000 कलाकृतियां भी लगाई गई हैं। संविधान हॉल यह नई इमारत के बीचोंबीच बना है जिसके ऊपर अशोक स्तंभ है। यहां संविधान की मूल प्रति के अलावा महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, सुभाष चंद्र बोस जैसे कई महान स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीरें हैं। यही नहीं, इसमें भारत की माटी से उपजी निर्माण सामग्री का प्रयोग हुआ है।

ShareTweetSend

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Our Visitor

009349

POPULAR NEWS

  • g20-india

    जी20 की मेजबानी ने बदली भारत की छवि

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • संरा के सैन्य पर्यवेक्षक समूह को भारत ने दिखाया बाहर का रास्ता

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ‘ब्लिट्ज इंडिया ’ से गहरा नाता रहा बिंदेश्वर जी का

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • आशा का सवेरा हैं किरण मजूमदार शॉ

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • नोएडा से कानपुर तक बनेगा एक्सप्रेसवे

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
Welcome To Blitz India Media

© 2023 Blitz India Media -BlitzIndia Building A New Nation

Navigate Site

  • About
  • Our Team
  • Contact

Follow Us

No Result
View All Result
  • देश
  • उत्तर-प्रदेश
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्री
  • चुनाव विशेष
  • स्टेट-नेशनल
  • महिला-खेल
  • डाउनलोड
  • अंग्रेजी
  • संपर्क

© 2023 Blitz India Media -BlitzIndia Building A New Nation